दारुल उलूम में हेलीपैड प्रकरण : बिना नक्शा पास कराए कैसे बनी भव्य इमारत, डीएम ने गठित की एसआईटी

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सहारनपुर के देवबंद में दारुल उलूम मदरसा की तीन साल पहले बनी बिल्डिंग की फाइल को डीएम ने फिर से खोल दिया है। इस बिल्डिंग की छत पर हेलीपैड बनाए जाने की शिकायत हुई थी तब ये प्रकरण दबा दिया गया था।

जानकारी के मुताबिक डीएम अखिलेश सिंह ने देवबंद दारुल उलूम परिसर में बनी लाइब्रेरी की भव्य इमारत के मामले की फाइल को फिर से खोल दिया है। इस इमारत का निर्माण बिना नक्शा पास करवाए किया गया था और इसकी छत पर हेलीपैड बनाए जाने की बात कही जा रही थी, जिसकी शिकायत बजरंग दल के एक नेता ने 2019 में रहे डीएम आलोक कुमार से की थी। उस दौरान डीएम ने तमाम विभागों से जांच करवाते हुए इस इमारत के निर्माण को गैर कानूनी माना। इस पर दारुल उलूम प्रबंधन ने कंपाउंड जुर्माना दिए जाने की पेशकश की थी, जिस पर टाउन प्लानर ने 40 करोड़ का जुर्माना डाला था। इसके बाद दारुल उलूम ने अपने जुगाड़बंदी से इसका जुर्माना 39 लाख करवा दिया, लेकिन उसी दौरान डीएम आलोक कुमार का तबादला हो गया।

अब इस इमारत के गैर कानूनी होने की खबरें फिर से सोशल मीडिया पर सुर्खियां बनीं तो डीएम अखिलेश ने फाइल तलब कर एक विशेष जांच दल गठित कर दिया, जिसमें उप जिलाधिकारी देवबंद और चार विभागों के अभियंताओं को रखा गया है। डीएम इस बात की भी जांच करवा रहे हैं कि इतनी भव्य इमारत बनने में दो से तीन साल लगे, तब उस समय क्यों नहीं एक्शन लिया गया? जानकारी के मुताबिक डीएम ने प्राधिकरण और नगर के प्रशासनिक अधिकारियों का भी जवाब तलब किया है।

उधर खबर है कि दारुल उलूम प्रबंधन भी आज के हालात में इस फाइल के खुल जाने से परेशान नजर आ रहा है। हालंकि डीएम अखिलेश सिंह ने कहा है नियमानुसार जो कार्य होगा, वही किया जाएगा। यदि दारुल उलूम प्रबंधन ने गलती की है और स्वीकार की है तो उसके बारे में विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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