झारखंड में ‘ए—सी भारत सरकार कुटुंब परिवार’ के सदस्य लोगों को देश के विरुद्ध भड़काने में लगे हैं। ऐसे ही तत्वों ने कुछ साल पहले राज्य में पत्थरगड़ी कर लोगों को सरकार और प्रशासन के खिलाफ भड़काया था।
हाल के दिनों में झारखंड में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनसे संकेत मिल रहा है कि राज्य में एक बार फिर से पत्थरगड़ी के नाम पर लोगों को सरकार के विरुद्ध भड़काने वाले तत्व सक्रिय हो गए हैं। बता दें कि 2017—18 में झारखंड के कई जिलों के गांवों के बाहर एक पत्थर गाड़ कर उस पर लिखा जाता था, ”गांव में बिना इजाजत किसी का भी प्रवेश प्रतिबंधित है, यहां तक कि प्रशासन के लोग भी नहीं आ सकते।” इसके पीछे चर्च प्रेरित वे तत्व थे, जिनकी धारणा है कि वे इस देश के कानून से बंधे नहीं हैं, बल्कि वे इस देश के राजा हैं। भाजपा की तत्कालीन राज्य सरकार ने इन तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की थी और इसके अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया था। इस कारण पत्थरगड़ी आंदोलन समाप्त हो गया था, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार ने ऐसे लोगों का मुकदमा वापस लेकर फिर से इनके दुस्साहस को ही बढ़ाने का काम किया है।
उसी का नतीजा है कि अब एक बार फिर से पत्थरगड़ी करने वाले तत्व दिखने लगे हैं। हालांकि इस बार इनका स्वरूप बदला हुआ है। अब ये लोग सीधे पत्थरगड़ी नहीं कर रहे हैं, पर काम वैसे ही कर रहे हैं। पिछले दिनों इन तत्वों ने झारखंड के कुछ हिस्सों में स्नेह सम्मेलन करने की घोषणा की थी। इसके पीछे मुख्य रूप से ‘ए—सी भारत सरकार कुटुंब परिवार’ नामक संगठन ही है। इस संगठन की विचारधारा काफी खतरनाक है। इस संगठन से जुड़े लोगों का मानना है कि वे लोग खुद ‘भारत सरकार’ हैं और इस कारण वे लोग अपनी गाड़ी पर ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ लिखवाकर चलते हैं। पिछले दिनों इनकी कुछ ऐसी गाड़ियां झारखंड पुलिस द्वारा पकड़ी गई हैं।
ताजा मामला खूंटी जिले के तोरपा थाने का है। यहां 31 मई की रात 11:00 बजे वाहन जांच के दौरान बिना नंबर प्लेट वाले तीन वाहनों को तोरपा पुलिस ने पकड़ा। वाहन में गुजरात और महाराष्ट्र की दो महिला समेत 10 लोग सवार थे। इनके साथ स्थानीय कोरला गांव के 4 लोग भी थे। सभी ने पुलिस को बताया कि वे लोग यहां विश्व शांति सम्मेलन में शामिल होने आए हैं। लाइसेंस, नंबर प्लेट और अन्य कागजात नहीं होने पर वाहनों से करीब 1,30,000 रु का जुर्माना वसूला गया। हालांकि ये लोग इस जुर्माने के पैसे को भी देने से मना कर रहे थे। उनका कहना था कि वे लोग खुद भारत सरकार हैं और उनके वाहन के आगे ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ की नेम प्लेट भी लगी है, जबकि एक वाहन के ऊपर लाल बत्ती भी लगी थी।
कहा जा रहा है कि ये लोग ‘ए—सी भारत सरकार कुटुंब परिवार’ नामक संगठन के लोग थे। ये लोग मुरहू के गुड़बुड़ु में 2 जून से होने वाले तीन दिवसीय विश्व शांति सम्मेलन के लिए आए थे। लेकिन जब गांव वालों को इस सम्मेलन की जानकारी हुई तो ग्रामीणों ने आपत्ति जताई और प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर इस सम्मेलन को नहीं कराने की मांग की। ग्रामीणों का कहना था कि अगर यह कार्यक्रम होता है तो गांव में तनाव की स्थिति बन सकती है। अंततः प्रशासन ने कार्यक्रम को रद्द करवा दिया और सम्मेलन होने वाले स्थान पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया। इस कार्यक्रम में गुजरात और महाराष्ट्र से कुछ लोग आए हुए थे, उनमें ‘ए—सी भारत सरकार कुटुंब परिवार’ के प्रमुख कुमार केश्री सिंह के परिजन यशपाल सिंह भी शामिल थे।
आपको बता दें कि पत्थरगड़ी का मामला शांत होते ही ‘ए—सी भारत सरकार कुटुंब परिवार’ की ओर से झारखंड के कई गांवों में सदस्य बनाए जा रहे हैं। आरोप है कि इस परिवार के सदस्य सभाओं का आयोजन कर लोगों को सरकार के खिलाफ उकसाते हैं। इनके सदस्यों को भारत सरकार के खिलाफ प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला 2020 में रांची जिले के तमाड़ प्रखंड में प्रकाश में आया था। प्रखंड की परासी पंचायत के बंदासरना, लुंगटु, मानकीडीह और बिरडीह गांव के करीब 100 परिवारों ने ‘ए—सी भारत सरकार कुटुंब परिवार’ के भड़काने पर ही अपने आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड वापस कर दिए थे। जानकारी के अनुसार जिन लोगों ने गांव वालों को उकसाया था, उन्हें केश्री सिंह द्वारा ही प्रशिक्षण दिया गया था। इन लोगों का मानना है कि जनजातीय समाज के लोग किसी भी न्याय प्रणाली के अधीन नहीं आते हैं इसलिए उन्हें आधार कार्ड, वोटर कार्ड और अन्य सरकारी कागजातों की जरूरत नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर राज्य में अचानक बढ़ी राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब से झारखंड में गठबंधन की सरकार बनी है तभी से अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। राष्ट्र विरोधी शक्तियों के दबाव में हेमंत सरकार ने पत्थरगड़ी से जुड़े मामले वापस लिए। इसके परिणामस्वरूप इन राष्ट्र—विरोधी लोगों और संगठनों का विरोध करने पर जनजातीय समाज के सात लोगों की हत्या हुई है।
इन लोगों की हत्या पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था, ”मरने वाले भी मेरे ही हैं और मारने वाले भी मेरे हैं।” इन बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड सरकार की मंशा क्या है? यही कारण है कि झारखंड में एक बार फिर से देश—विरोधी तत्व सिर उठाने लगे हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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