खूंटी जिले के कमडा गांव में 12 बच्चों को ईसाई बनाया गया। गांव वालों ने पंचायत कर कहा कि प्रशासन ऐसी घटनाओं पर रोक लगाए। इसके बावजूद दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
झारखंड में वर्षों से कन्वर्जन का खेल चल रहा है, लेकिन जब से राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार आई है तब से मिशनरियों की हिम्मत दिनों—दिन बढ़ती जा रही है। ताजा मामला खूंटी जिले के तोरपा विधानसभा क्षेत्र का है। यहां एक बार फिर से कन्वर्जन का मामला सामने आया है। इस बार चर्च के लोगों ने 12 नाबालिग बच्चों का कन्वर्जन कराया है। उन नाबालिगों के नाम हैं— मसखु गुड़िया, सोमा गुड़िया, दिनेश बरला, ज्योति बरला, कुंवरी बरला, सुमन गुड़िया, कुशल गुड़िया, सागेन गुड़िया, अनिता गुड़िया, शांति बरला, रंजीत बरला और रोशन बरला। ये सभी गांव कमडा, थाना तपकरा, जिला खूंटी के रहने वाले हैं।
कन्वर्जन की इस घटना के बाद तपकरा थाने के कई गांवों के लोगों में भारी गुस्सा है। पिछले दिनों ‘सरना धर्म सोतो समिति’ के तत्वावधान में एक बैठक हुई। इसमें ग्रामीणों ने कन्वर्जन के विरुद्ध गुस्सा जताया और प्रशासन से मांग की कि कन्वर्जन को पूरी तरह रोका जाए, नहीं तो लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे। एक ग्रामीण दुलार मुंडा ने बताया कि कन्वर्जन के जरिए जनजाति संस्कृति और परम्पराओं को नष्ट किया जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बैठक के बाद ‘सरना धर्म सोतो समिति’ का एक प्रतिनिधिमंडल खूंटी के अनुमंडल पदाधिकारी से मिला और उन्हें एक आवेदन दिया। इसमें ईसाई बनाए गए सभी नाबालिगों का वर्णन है। आवेदन में सारी परिस्थितियों की जानकारी देते हुए रोमन कैथोलिक चर्च तोरपा पर नाबालिग बच्चों के कन्वर्जन का आरोप लगाया गया है। यह भी मांग की गई कि इस चर्च के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।
कमडा गांव के रेड़ा मुंडा का कहना है कि झारखंड में कन्वर्जन निषेध कानून बनने के बाद भी गैरकानूनी रूप से लोगों का कन्वर्जन कराया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि ईसाई बने लोगों को जनजाति के नाम पर मिल रही सुविधाएं लेने से रोका जाए।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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