भारत इसी माह फाइटर सुखोई से स्वदेशी एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल का करेगा 'पहला लाइव लॉन्च'
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भारत इसी माह फाइटर सुखोई से स्वदेशी एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल का करेगा ‘पहला लाइव लॉन्च’

हवा से हवा में मार करने वाली रूसी-फ्रांसीसी मिसाइलों पर निर्भरता होगी खत्म, एमके-2 का परीक्षण वायु सेना को वापस लाएगा हवा से हवा में युद्ध की श्रेष्ठता

by WEB DESK
Jun 2, 2022, 08:44 pm IST
in रक्षा
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भारत इस महीने 160 किलोमीटर रेंज की स्वदेशी एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल का परीक्षण करेगा। मिसाइल का ‘पहला लाइव लॉन्च’ भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से किया जाएगा।

हवा से हवा में मार करने वाली रूसी और फ्रांसीसी मिसाइलों पर दशकों की भारतीय निर्भरता को समाप्त करने के लिहाज से यह परीक्षण काफी अहम माना जा रहा है। एमके-2 का परीक्षण भारत को हवा से हवा में युद्ध की श्रेष्ठता को वापस लाएगा, क्योंकि डीआरडीओ ने मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए एक दोहरी-पल्स रॉकेट मोटर विकसित की है।

रक्षा मंत्रालय ने 31 मई को भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए एस्ट्रा एमके-1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल सिस्टम और सम्बंधित उपकरण खरीदने के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ 2,900 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। फिलहाल यह मिसाइल सुखोई लड़ाकू विमानों पर लगाई गई है लेकिन अब इसे हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) पर भी चरणबद्ध तरीके से लगाया जाना है। इसी तरह भारतीय नौसेना भी अपने मिग 29के लड़ाकू विमानों में मिसाइल को एकीकृत करेगी। अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी लेकिन अब डीआरडीओ ने वायु सेना के समन्वय से तकनीक विकसित की है।

यह भारतीय सशस्त्र बलों को मिलने वाली पहली स्वदेशी मिसाइल है, क्योंकि भारत अब तक हवा से हवा में मार करने वाली रूसी (मुख्य रूप से आर 73 और आर 77) और फ्रेंच (मीका और उल्का) मिसाइलों पर निर्भर रहा है। भारत की एस्ट्रा एमके-1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल की मौजूदा रेंज लगभग 110 किलोमीटर है। डीआरडीओ ने मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए एक दोहरी-पल्स रॉकेट मोटर विकसित की है जिससे अगली पीढ़ी की स्वदेशी एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल असली गेम-चेंजर साबित होगी।भारतीय रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान 160 किलोमीटर की रेंज वाली एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल के पहले परीक्षण के लिए तैयार है।

भारत ने लड़ाकू राफेल के साथ फ़्रांस निर्मित उल्का मिसाइलों को लैस किया है, जिनकी रेंज लगभग 150 किमी. है। प्रत्येक मिसाइल की कीमत लगभग 25 करोड़ रुपये थी। भारत पहले उल्का मिसाइलों को ही अन्य लड़ाकू विमानों पर लगाना चाहता था लेकिन महंगी कीमत होने की वजह से इसे अन्य लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत करने की योजना को टाल दिया गया। मिसाइल के यूरोपीय निर्माता एमबीडीए ने वायु सेना को बताया कि फ्रांसीसी निर्मित मिराज-2000 और रूसी सुखोई एसयू-30 एमकेआई इस मिसाइल के लिए उपयुक्त नहीं हैं, क्योंकि इन विमानों के राडार इसकी क्षमता के साथ न्याय नहीं करेंगे।

तेजस विमान के लिए एमबीडीए ने कहा कि इस मिसाइल को तभी एकीकृत किया जा सकता है जब विमान शुरू में इस्तेमाल होने वाले इजरायल के बजाय स्वदेशी एईएसए रडार से लैस हो। इसके बाद वायु सेना ने उल्का मिसाइल को राफेल तक सीमित रखने का फैसला किया और अपनी मुख्य मारक क्षमता के लिए एस्ट्रा और इजरायली आई-डर्बी के बेहतर संस्करणों पर भरोसा किया। इसलिए रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए 31 मई को एस्ट्रा एमके-1 के लिए 2,971 करोड़ रुपये की लागत से एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है। एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल की लागत लगभग 7-8 करोड़ रुपये है और इसकी अधिकतम गति 5,500 किमी प्रति घंटे से अधिक है। हालांकि रक्षा प्रतिष्ठान मिसाइलों की सही संख्या पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह 200 से अधिक है।

(सौजन्य सिंडिकेट फीड)

Topics: राष्ट्रीय समाचारdefense newsफाइटर सुखोई अपडेटस्वदेशी एस्ट्रा एमके-2 मिसाइलएमके-2 मिसाइल का लांचFighter Sukhoi UpdatesIndigenous Astra Mk-2 MissileLaunch of Mk-2 Missileरक्षा समाचारNational News
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