राज्यसभा के चुनाव में महाराष्ट्र में घमासान चालू है। संभाजीराजे छत्रपती द्वारा यह चुनाव न लड़ने का फैसला करने के पश्चात भी इस चुनाव में दिलचस्पी कम नहीं हुई है। महाविकास आघाड़ी में अंतर्विरोध, रस्साकशी और नाराजगी के बीच इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने तीसरा उम्मीदवार उतारा है, उसके जीतने की संभावना बढ़ गयी है।
राज्यसभा के लिए कांग्रेस ने राज्य के किसी अनुभवी नेता को अवसर न देकर बाहरी उम्मीदवार को मौका दिया, इससे पार्टी के अंदर जमकर विरोध हो रहा है। कांग्रेस प्रदेश महासचिव आशीष देशमुख ने विरोध में इस्तीफा दिया है। राज्यसभा के छह जगह के लिए सात उम्मीदवार मैदान में उतरने से पहले ही दिलचस्प बने इस चुनाव में अब उलटफेर होने की संभावना बढ़ गई है। इस घटनाक्रम ने भारतीय जनता पार्टी के तीसरे उम्मीदवार धनंजय महाडीक के विजयी होने की संभावना को मजबूत किया है।
महाराष्ट्र के विधानमंडल में विधायक संख्या को देखते हुए राज्यसभा में विजयी होने के लिए 42 विधायक संख्या होने की जरूरत है। भारतीय जनता पार्टी के दो, कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना का एक-एक प्रत्याशी चुनने के लिए पर्याप्त संख्या में विधायक हैं । छठी जगह के लिए संघर्ष हो रहा है। शिवसेना ने संजय पवार को मैदान में उतारा है। भाजपा की ओर से कोल्हापुर के धनंजय महाडिक को प्रत्याशी बनाया गया है। निर्दलीय और छोटे दल के विधायक जिसे समर्थन देंगे उसके विजयी होने की संभावना देखी जा रही है।
इसके बीच कांग्रेस की उम्मीदवार की सूची घोषित हुई और महाराष्ट्र से जो नाम आया वह चौंकाने वाला था। महाराष्ट्र में अपरिचित इमरान प्रतापगढ़ी का नाम आने से कांग्रेस के अंदर से ही नाराजगी के सुर उभरने लगे। इमरान प्रतापगढ़ी न तो महाराष्ट्र में परिचित चेहरा हैं न तो उनका महाराष्ट्र कांग्रेस से कुछ संबंध रहा है। राज्य के कांग्रेस महासचिव आशीष देशमुख ने अपना विरोध जताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होने कहा, ‘किसी बाहरी को थोपना पार्टी को लाभ नहीं देने वाला है। यह महाराष्ट्र मे कई दिन से काम कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी है। महाराष्ट्र में बहुत सारे मेहनती और क्षमतावान कार्यकर्ता हैं। उनके पास अच्छा अनुभव भी है। अगर इस तरह किसी बाहरी को थोप दिया जाएगा तो इससे राजनीति में हल्कापन आएगा। कांग्रेस कमजोर हो जाएगी। उनसे कोई उम्मीद नहीं है कि वे राज्य के लिए काम करेंगे।’
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी इस फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की है। फिल्म अभिनेत्री नगमा ने भी अपनी नाराजगी जताई है। नगमा ने कहा है कि 2003-04 में मैं पार्टी से तब जुड़ी जब हम सत्ता में नहीं थे, तब सोनिया गांधी ने मुझसे व्यक्तिगत रूप से वादा किया था कि मुझे राज्यसभा भेजा जाएगा। तब से लेकर अब तक 18 साल गुजर गए, लेकिन वो समय नहीं आया है। इधर इमरान प्रतापगढ़ी राज्यसभा चले गए। क्या मैं कम काबिल हूं? ’
कांग्रेस में इस बढ़ती नाराजगी का असर विधायकों की वोटिंग पर अगर पड़ता है तो राज्यसभा चुनाव के परिणाम विपक्ष के लिए फायदेमंद आ सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी को अपना तीसरा उम्मीदवार विजयी करने के लिए 13 वोटों की जरूरत है। निर्दलीय और छोटे दलों से समर्थन जुटाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में सत्तापक्ष के दलों में नाराजगी का असर चुनाव पर पड़ सकता है। अगर राज्यसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी का अंतर्विरोध सामने आता है तो आगे चल कर राज्य सरकार को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
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