भारतीय मीडिया : निष्पक्ष या पक्षपाती
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भारतीय मीडिया : निष्पक्ष या पक्षपाती

लोकनीति केंद्र, नई दिल्ली ने ऐसा ही एक शोध किया जिसके निष्कर्ष पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हैं

by शुभम वर्मा
Jun 1, 2022, 10:15 pm IST
in भारत
रोहित वेमुला

रोहित वेमुला

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारतीय मीडिया का एजेंडाधारी स्वरूप कई बार सामने आ चुका है। देखा गया है कि मीडिया कई बार इस बात का ध्यान तक नहीं रखता कि उसके खबरों के प्रकाशन से समाज में वैमनस्य न फैले। इसके बजाय वह कई बार सीधे-सीधे पक्षपाती और उकसाने वाली खबरें छापता दिखता है। लोकनीति केंद्र, नई दिल्ली ने ऐसा ही एक शोध किया जिसके निष्कर्ष पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हैं

भारतीय मीडिया आज दुनियाभर में अपनी खबरें पहुंचा रहा है। किसी भी पक्षपाती एजेंडे को थोपे बिना खबर दिखाना मीडिया हाउस की जिम्मेदारी मानी जाती है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से यह पाया गया है कि कुछ मीडिया हाउस मीडिया की नैतिकता का पालन नहीं कर रहे और समाचारों का निष्पक्ष कवरेज दिखाने के बजाए, समाचारों में एक खास विचारधारा के प्रभाव में अपनी राय जोड़ रहे हैं। लेकिन, हम बिना सबूत के यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कर रहे हैं क्योंकि कुछ लोग अभी भी सोचते हैं कि मीडिया निष्पक्ष है। इसलिए, लोकनीति शोध केंद्र, नई दिल्ली ने कुछ वर्ष पहले यह शोध करने का फैसला किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि रिपोर्टिंग करते समय मीडिया पक्षपाती है या निष्पक्ष।

इस शोध में कुछ कुख्यात घटनाओं की रिपोर्टिंग को लिया गया। ऐसी दो बड़ी घटनाएं थीं – रोहित वेमुला आत्महत्या तथा अखलाक हत्याकांड। इन घटनाओं को मीडिया ने इतना बढ़ा-चढ़ा कर उठाया था कि देशभर में आंदोलन शुरू हो गया था। इसमें एक घटना थी – एक छात्र की अत्महत्या तथा दूसरी – एक धर्म के लोगों द्वारा दूसरे मजहब के व्यक्ति की हत्या करना। हमने रोहित वेमुला और अखलाक कांड के समय दूसरे स्थान पर हुई आत्महत्या तथा एक मजहब के दूसरे धर्म के व्यक्ति की हत्या कर देने के बारे में 5 अखबारों के रेपोर्टिंग पैटर्न की जांच की। इसका निष्कर्ष चौंकाने वाला था। नीचे दोनों घटनाओं की रिपोर्टिंग किस तरह हुई, इसके आंकड़े हैं-
शोध में हमने कुख्यात रोहित वेमुला आत्महत्या का मामला लिया और इसकी तुलना तमिलनाडु के एक ऐसे ही मामले से की जिसमें विल्लुपुरम की 3 लड़कियों ने आत्महत्या की थी। रोहित वेमुला आत्महत्या घटना जहां 17 जनवरी, 2016 को हुई थी, वहीं 3 छात्राओं की आत्महत्या की घटना 23 जनवरी, 2016 को हुई थी। दोनों ही घटनाएं दक्षिण भारत की थीं तथा छात्र आत्महत्या से संबंधित थीं। इसमें हमने 5 समाचार पत्रों (अंग्रेजी + हिन्दी) का चयन किया और दोनों मामलों के 10 दिनों के कवरेज का अध्ययन किया। इस अध्ययन के परिणाम निम्नलिखित हैं –

रोहित वेमुला आत्महत्या केस – (17 जनवरी, 2016):
इस केस की शुरूआत होती है 3 अगस्त, 2015 को, जब रोहित और चार अन्य एएसए ने 1993 के मुंबई बम विस्फोटों में शामिल एक दोषी आतंकवादी याकूब मेमन को मौत की सजा के खिलाफ प्रदर्शन किया। जवाब में, एबीवीपी के स्थानीय नेता नंदनम सुशील कुमार ने उन्हें ‘गुंडे’ कहा, जिसके बाद कुमार के ऊपर उनके छात्रावास के कमरे में हमला किया गया। उन्होंने कहा कि ‘मेरे कमरे में घुसने वाले लगभग 40 एएसए सदस्यों ने उनके साथ मारपीट की।’ रोहित वेमुला और चार अन्य एएसए सदस्यों को निलंबित कर दिया गया और उनके छात्रावास आने पर रोक लगा दी गई। जनवरी 2016 में निलंबन की पुष्टि के बाद, रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली और एक नोट लिखा जिसमें उन्होंने खुद को आत्महत्या के लिए दोषी ठहराया। रोहित की आत्महत्या पर विपक्ष ने पूरे भारत में विरोध और आक्रोश फैलाया और दलितों के खिलाफ भेदभाव के कथित मामले के रूप में मीडिया ने इसका व्यापक प्रचार किया। इसमें सरकार को तो दलित विरोधी बताया ही गया बल्कि भारत दलित विरोधी देश है, देश की ऐसी छवि बनाने का मीडिया में प्रयास किया गया जबकि इस केस का जाति से कोई संबंध नहीं था।

विल्लुपुरम मे 3 छात्राओं की आत्महत्या की घटना – (23 जनवरी 2016): तमिलनाडु में विल्लुपुरम के पास कल्लाकुरिची में एसवीएस योग मेडिकल कॉलेज में नेचुरोपैथी का कोर्स कर रही तीन छात्राओं ने प्रशासन पर अधिक फीस वसूलने और यातना देने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली और कॉलेज के अध्यक्ष को उनकी मौत के लिए दोषी ठहराया। तीनों के शव कॉलेज के पास एक कुएं में मिले। फीस के साथ-साथ यातना का भी मामला था किन्तु मामला तमिलनाडु का था और न विपक्ष को इसमें रुचि थी, न ही मीडिया को। अत: यह देखना समीचीन है कि इसका कवरेज उन्हीं 5 अखबारों में किस तरह किया गया।

दोनों ही घटनाएं वंचित तबके के छात्रों की थीं, दक्षिण भारत की थीं, दोनों ही घटनाएं जनवरी की थीं किन्तु एक को मीडिया ने उछाला और दूसरी घटना का कवरेज जितना होना चाहिए था, उतना नहीं किया गया।

अखलाक हत्याकांड: इसमे उत्तर प्रदेश के दादरी में 28 सितम्बर 2015 को अखलाक की हत्या हो गई थी। इस घटना में उत्तर प्रदेश के बिसारा गांव में कुछ लोगों ने अखलाक नामक मुसलमान व्यक्ति की हत्या कर दी। हत्या का कारण उसके घर में गाय के मांस का होना बताया गया, बाद में एक रिपोर्ट ने भी यह कहा कि वह गौ मांस ही था। मगर फिर भी, एक व्यक्ति की हत्या को कभी भी जायज नहीं ठहराया जा सकता। इस हत्या के बाद मीडिया ने इसे इतना अधिक कवरेज दिया कि देशभर में विपक्ष ने आंदोलन शुरू कर दिया। विदेशी अखबारों में भारत को अल्पसंख्यक विरोधी देश बताया जाने लगा तथा कुछ वामपंथी बुद्धिजीवियों ने अवार्ड वापसी शुरू कर दी। इसी घटना के 3 महीने के भीतर 2 घटनाएं और हुईं जिसमें एक समुदाय के लोगों की भीड़ ने दूसरे समुदाय के एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। हमने तीनों घटनाओं का मीडिया कवरेज देखा कि किसे कितना स्थान मिला है तो नतीजे फिर चौंकाने वाले थे। शुरूआत करते हैं अखलाख की घटना की कवरेज से इस घटना में एक मुस्लिम की हिन्दू भीड़ ने हत्या कर दी थी। अब देखें यही घटना जब दो अलग जगहों पर हिन्दू युवकों के साथ हुई जिसमे मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने उनकी हत्या की, तब मीडिया ने क्या किया –

संजू राठौर हत्याकांड, रामपुर (29 जुलाई 2015) :
उत्तर प्रदेश के ही रामपुर के कुपगांव गांव में मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति के खेत में एक गाय चली गई। इस पर मुस्लिम समुदाय इतना नाराज हुआ कि मस्जिद से फतवा जारी हुआ कि इन हिन्दुओं की गाय हमारे खेत खा रही हैं। इसके बाद गुस्साए लोगों ने 15 वर्षीय संजू राठौर को गोली मार दी और उसकी मौत हो गई। देखिए, अखबारों ने इस खबर को कितना स्थान दिया –
सिर्फ एक बार इस घटना को छापा गया। क्या सिर्फ इसलिए कि संजू हिन्दू था?

गौरव हत्याकांड, अलीगढ़ (12 नवम्बर 2015) :
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ क्षेत्र में पटाखे चलाते समय एक मुस्लिम घर में थोड़ी चिन्गारी चली गई। इस बात पर उन्होंने बाहर आकर झगड़ा किया तथा गौरव को गोली मार दी। इसके बाद इलाके में तनाव बढ़ गया। गौरव के विषय में समाजवादी पार्टी से यह सवाल भी पूछा गया कि गौरव के मरने के बाद उसके परिवार को अखलाक से कम मुआवजा क्यों दिया गया? इस घटना में भी एक समुदाय की भीड़ द्वारा दूसरे समुदाय के व्यक्ति की हत्या का मामला था। मीडिया का कवरेज कुछ इस प्रकार रहा-

इन तीन मामलों को तुलनात्मक अध्ययन के लिए चुनने का कारण ये था कि यह सभी लगभग 5 महीनों के भीतर एक ही प्रदेश में हुए मामले थे, तथा सभी में दो समुदाय शामिल थे। अखलाक कांड के विषय में सभी जानते हैं क्योंकि यह चर्चित मामला है तथा इसमें नयनतारा सहगल, अशोक वाजपेयी आदि बुद्धिजीवियों ने अवार्ड वापसी और असहिष्णुता आदि वाले बयान दिए थे। किन्तु बाकी के 2 मामलों में अधिकतर विपक्ष, मानवाधिकार वाले और सिविल सोसाइटी शांत दिखाई दी। ऐसे में मीडिया का यह फर्ज बनता था कि वह तटस्थ रहते हुए तीनों हत्याकांड को जनता के सामने समान रूप से रखती किन्तु मीडिया ने एक खास विचारधारा, जो भारत को अल्पसंख्यक विरोधी तथा दलित विरोधी बताकर अपनी रोटियां सेंकती है, इन्हीं के विचार के अनुरूप उन्हीं मामलों को उछाला और बाकी मामलों में एक गुप्त मौन धारण कर लिया।

आज भी देखा जाए तो कभी अफजल गुरु, यासीन मालिक तो कभी याकूब मेनन के समर्थन मे खबरें निरंतर छप रही हैं किन्तु देश में हो रहे सकारात्मक कार्यों के विषय में बहुत कम खबरें बनती हैं। अल्पसंख्यकों पर एक अपराध हो जाए तो इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और इस तरह दुनिया के सामने रखा जाता है जैसे भारत में सारे अल्पसंख्यक बहुत अत्याचार का सामना कर रहे हैं। जबकी असलियत में ऐसा बिलकुल भी नहीं है तथा भारत से अधिक सहिष्णु सभ्यता कोई दूसरी नहीं है। अत: मीडिया को संयमित रहते हुए इस तरह की पत्रकारिता करनी चाहिए जिससे न तो भारत की छवि वैश्विक स्तर पर धूमिल हो और न ही भारत की जतियों और समुदायों में आपस में वर्ग संघर्ष की स्थिति बने।

(लेखक लोकनीति शोध केंद्र में शोधकर्ता रह चुके हैं)

Topics: मुस्लिम समुदायभारतीय मीडियाअखलाक हत्याकांड:लोकनीति केंद्रकुपगांव गांव
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Vishnu Shankar jain Sanatan Dharma

विष्णु शंकर जैन का कांग्रेस पर हमला: जैन समुदाय को अल्पसंख्यक बनाकर सनातन धर्म को तोड़ने का आरोप

वक्फ संशोधन बिल पास

वक्फ संशोधन विधेयक पा​रित होने पर ईसाइयों, मुस्लिमों ने मनाया जश्न, सोशल मीडिया पर भी मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया

वक्फ बोर्ड

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक: मुस्लिम समुदाय के उज्जवल भविष्य की कुंजी

भारत में सांप्रदायिक हिंसा के पीछे छिपी साजिश? भारत की आंतरिक सुरक्षा पर बढ़ते असली खतरे का विशेष विश्लेषण

(प्रतीकात्मक चित्र)

इस्लाम पर टिप्पणी की तो यूट्यूबर के घर पर ग्रेनेड से हमला, ‘पाकिस्तानी डॉन’ ने ली हमले की जिम्मेदारी

Karnataka Congress

“कर्नाटक का हलाल बजट”: मुस्लिमों को सरकारी ठेके में आरक्षण, इमाम को 6000, भाजपा बोली कांग्रेस का औरंगजेब से प्रेरित बजट

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Tarrif War and restrictive globlization

प्रतिबंधात्मक वैश्वीकरण, एक वास्तविकता

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies