तालिबान नेता इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि भारत ही वह देश है जो दशकों से अफगानिस्तान के आम लोगों के हित से जुड़े कामों को करने में सबसे आगे है
अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत ने इधर भारत को लेकर खासी दिलचस्पी दिखाई है। इसके नेताओं के बयानों में भारत के साथ राजनीतिक और कारोबारी संबंध बनाने को लेकर एक विशेष इच्छा दिखाई दी है। अब एक दिन पहले ही जारी तालिबान हुकूमत के बयान ने इस बात की पुष्टि की है कि वे भारत के साथ बातचीत करने और भारत से तमाम तरह की सहायता की अपेक्षा रख रहे हैं।
तालिबान नेता इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि भारत ही वह देश है जो दशकों से अफगानिस्तान के आम लोगों के हित से जुड़े कामों को करने में सबसे आगे है। वे जानते हैं कि पाकिस्तान की तो अपनी सरकार ही स्थिर नहीं है, वहां उनकी ही जेब खाली है, खाने के उनको भी लाले पड़े हैं, ऐसे में पाकिस्तान वाले अफगानियों की क्या मदद करेंगे।
तालिबान शासन भारत की महत्ता जानता है और चाहता है कि भारत उसे मान्य कर दे। लेकिन हमारे नीति-निर्माताओं को चाहिए कि इस मामले में बहुत संभलकर और पूरी तरह आकलन करके हमेशा की तरह भारत के हित को सर्वोच्च रखते हुए आगे बढ़े।
कल अफगानिस्तान हुकूमत में कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने अपनी पहले की बात को दोहराते हुए कहा है कि तालिबान चाहता है कि भारत अफगानिस्तान में अपना दूतावास तथा वाणिज्य दूतावास खोले और हम उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने को तत्पर हैं।
दरअसल, हिंसक संघर्ष और जबरदस्त मारकाट वाले अभियान के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा करके वहां की कुर्सी पर चढ़ बैठी तालिबान हुकूमत शुरू से ही भारत की तरफ कूटनीतिक चैनल खोलने को उतावली रही है। तालिबान नेताओं ने विभिन्न मंचों से लगातार ही यही कहता आ रहा है कि, वह भारत से संबंधों को सुधारना चाहता है। अब वहां के कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्तकी का भारत को दूतावास खोलने और उसकी सुरक्षा की गारंटी लेने की बात करना उसी कड़ी का एक हिस्सा है।
भारत के कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, तालिबान के राज वाले अफगानिस्तान में भी भारत अफगान लोगों के हितार्थ मानवीय सहायता से कभी पीछे नहीं हटा है। लेकिन तालिबान के नेताओं की एक शर्त भी है कि भारत अफगानिस्तान के पूर्व शासकों के साथ कोई संबंध न रखे। विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान शासन भारत की महत्ता जानता है और चाहता है कि भारत उसे मान्य कर दे। लेकिन हमारे नीति-निर्माताओं को चाहिए कि इस मामले में बहुत संभलकर और पूरी तरह आकलन करके हमेशा की तरह भारत के हित को सर्वोच्च रखते हुए आगे बढ़े।
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