सेना में ड्रोन का प्रयोग तो आम बात है, लेकिन डाक विभाग में ड्रोन का इस्तेमाल भारत में पहली बार हुआ है। दो दिन पहले ‘टेकईगल’ नामक ड्रोन ने गुजरात में भुज तालुका के हाबे गांव से कच्छ जिले के भाचानू तालुका के नेर गांव में डाक पहुंचाई। इसके साथ ही भारतीय डाक विभाग ने इतिहास रच दिया है। यह पूरी कार्रवाई केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय की देखरेख में पूरी हुई। ‘टेकईगल’ 100 किलोमीटर के क्षेत्र में तीन किलोग्राम तक का पार्सल 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ले जा सकता है। इस सफल प्रयोग के बाद उम्मीद की जा रही है कि भारतीय डाक विभाग जल्दी ही डाक पहुंचाने के लिए ड्रोन का उपयोग करने लगेगा।
बता दें कि इस समय भारत में फोटोग्राफी, निगरानी, आपदा के समय राहत सामग्री या सामान्य दिनों में किसी वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में भी ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। ड्रोन के इस बहुउपयोग को देखकर ही भारत की अनेक कंपनियां ड्रोन बना रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय भारत में ड्रोन उत्पादन करने वाली कंपनियों का कारोबार 80 करोड़ रु. का है। आशा की जा रही है अगले तीन साल में यह करोबार 900 करोड़ रु. को पार कर जाएगा। यह भी अनुमान है कि ड्रोन से जुड़े तीन क्षेत्रों—हार्डवेयर उत्पादन, साफ्टवेयर और सर्विसेज सेक्टर, को मिला दिया जाए तो भारत में इसका कारोबार केवल तीन साल में 30,000 करोड़ रु को पार कर सकता है और 10,000 लोगों को रोजगार मिल सकता है।
ड्रोन उद्योग के पंख भारत सरकार की नीतियों से फैल रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ड्रोन के पंखों को हवा देने में लगे हैं। उन्होंने कहा है कि 2030 तक भारत ‘ड्रोन हब’ बनेगा।
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