झारखंड के खूंटी जिले में अब वह सब होने लगा है, जिसकी कल्पना किसी हिंदू ने नहीं की होगी। इस जिले में मुसलमान गोहत्या के साथ—साथ गोतस्करी भी करते हैं। अब ईसाई भी चर्च के अंदर गोहत्या करने लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन दिनों कट्टर जिहादी तत्व और चर्च के लोग मिलकर हिंदुओं के विरुद्ध काम कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कर्रा स्थित कैथोलिक चर्च में गोहत्या।
कहा जा रहा है कि वहां दो तरह के कार्यक्रम हो रहे थे—एक पावन पुरोहित अभिषेक और दूसरा परम प्रसाद। पावन पुरोहित अभिषेक उन लोगों का होता है, जो फादर बन जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए कार्यक्रम का आयोजन होता है। इसमें फादर बना व्यक्ति ईसाई मत के लिए ही कार्य करने का संकल्प लेता है और विवाह न करने का भी वचन देता है। ‘परम प्रसाद’ शादी से पहले का एक संस्कार होता है।
इन दोनों कार्यक्रमों के लिए 29 मई को चर्च में बड़ी संख्या में लोग आए थे। अंत में इन लोगों को गोमांस के रूप में ‘प्रसाद’ देने के लिए गोहत्या की गई थी। जब इसकी जानकारी कुछ संगठनों के कार्यकर्ताओं को हुई तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस पहुंची तो वहां उपस्थित महिलाओं ने पुलिस को चर्च के अंदर जाने से रोकने का प्रयास किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने थोड़ी सख्ती की और उन लोगों को रास्ते से हटाकर चर्च में प्रवेश किया। तोरपा के एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी, पुलिस इंस्पेक्टर दिग्विजय सिंह और कर्रा के अंचलाधिकारी बैजनाथ कामती की देखरेख में छापा मारा गया और कच्चा गोमांस बरामद किया। कर्रा प्रखंड के पशु चिकित्सक डॉ.सौरभ आनंद ने मांस का नमूना लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा। गोहत्या के आरोप में चर्च के फादर 62 वर्षीय जोवाकिम बारला, 30 वर्षीय मनीष तिडू, 26 वर्षीय गुलशन होरो और 40 वर्षी जार्ज भेंगरा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
इसके बाद से स्थानीय सरना समाज (मूल जनजाति समाज) के लोगों में गुस्सा है। इन लोगों का आरोप है कि चर्च के लोग सरना समाज की मान्यताओं और धारणाओं पर चोट करते हैं। यदि प्रशासन ने इन्हें नहीं रोका तो सरना समाज अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए आंदोलन शुरू करेगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
22 मई को भी चर्च के लोगों ने यहां सरना समाज को भड़काने वाला काम किया था। उस दिन 12 नाबालिग बच्चों को ईसाई बनाया गया था। इसकी शिकायत हर स्तर पर की गई है, लेकिन दोषियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस कारण सरना समाज का गुस्सा सातवें आसमान पर है।
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