कश्मीर का अलगाववादी नेता और आतंकी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा मिली तो पाकिस्तान को सबसे ज्यादा दर्द हुआ। इस आतंकी की सजा माफी के लिए वह संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच गया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल को पत्र लिखकर यासीन मलिक को रिहा करने और सभी आरोपों से बरी कराने की मांग तक कर डाली। बिलावल भूल गए कि ये वही आतंकी है जिसके हाथ घाटी में निर्दोषों के खून से सने हुए हैं। इसने कश्मीर में आतंक की फसल बोई और इसी आतंक के सहारे दशकों तक फला-फूला।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से बुधवार को बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने यासीन मलिक का मामला उठाने के साथ कश्मीर की स्थिति की ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया है। पाकिस्तान के इन्हीं प्रयासों का नतीजा बैचलेट को बिलावल की ओर से लिखा गया पत्र है। पत्र में भारत सरकार पर कश्मीरियों और उनके नेतृत्व को सताने व दमन करने का आरोप लगाया गया है।
बिलावल ने संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त से कहा है कि वे भारत से यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी कर तत्काल रिहा करने को कहें। यासीन मलिक को परिवार के साथ फिर से रहने देने, स्वास्थ्य ठीक करने व सामान्य जीवन जीने देने जैसी मांगें की गयी हैं। बिलावल भुट्टो जरदारी ने इस्लामिक देशों के संगठन, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा को भी पत्र लिखा है। उनको लिखे पत्र में बिलावल ने कश्मीर में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और चिंतनीय मानवीय स्थिति का आरोप लगाया है।
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