उत्तराखंड में पैर जमाने से पहले ही उखड़ गई AAP, सीएम पद का चेहरा रहे कोटियाल और कार्यकारी अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले सेना से सेवा निवृत्त होकर आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने वाले कर्नल अजय कोटियाल ने पार्टी को छोड़ दिया है।

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उत्तराखंड ब्यूरो

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी चुनावों से पहले भारी जोश, उमंग के साथ चुनाव मैदान में उतरती है, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का साथ छोड़ जाते हैं या फिर उन्हे केजरीवाल पार्टी से चलता कर देते हैं। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले सेना से सेवा निवृत्त होकर आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने वाले कर्नल अजय कोटियाल ने पार्टी को छोड़ दिया है। कर्नल कोटियाल ने अपनी सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। अरविंद केजरीवाल के सामने जोर शोर से 19 अप्रैल 2021 को पार्टी की सदस्यता लेने वाले कर्नल कोटियाल ने कहा कि लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर इस्तीफा दिया है।

उधर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की विचारधारा राज्य के हित में नहीं है, कर्मठ लोगों की अनदेखी कर रही है। इसलिए अपने रास्ते अलग हो रहे हैं। भूपेश उपाध्याय ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी में अंतर है। एक अन्य कार्यकारी अध्यक्ष अनंत राम चौहान पहले ही पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में चल दिए थे।

पिछले दिनों पार्टी ने नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दीपक बाली को मनोनीत कर दिया था, जिसके बाद से आम आदमी पार्टी को छोड़कर जाने वालों का तांता लगा हुआ है। पूर्व में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी रहे अनूप नौटियाल और बल्ली सिंह चीमा भी पार्टी से किनारा कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी, उत्तराखंड में जोश के साथ आई थी और लगने लगा था कि पार्टी यहां तीसरे विकल्प के रूप में उभर रही है, लेकिन चुनाव में 70 विधानसभाओं में से ज्यादातर में जमानत जब्त हो गई थी।

कर्नल कोटियाल और भूपेश का पार्टी छोड़ने से आम आदमी पार्टी की साख को धक्का लगा है। उत्तराखंड में इस साल स्थानीय निकाय, फिर अगले लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में नामी चेहरों का AAP का साथ छोड़ना, केजरीवाल की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर भी निराशा है कि दिल्ली में बैठे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का उनसे संवाद नहीं है, जिसकी वजह उनका मनोबल भी गिर रहा है।

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