धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों पर रोक का आदेश देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रशासन को क्या करना है, इसका निर्देश पहले दिया गया है। जरूरी हो तो याचिकाकर्ता अवकाशकालीन बेंच से सुनवाई का अनुरोध कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों पर रोक का आदेश देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में प्रशासन को क्या करना है, इसका निर्देश पहले दिया गया है। जरूरी हो तो याचिकाकर्ता अवकाशकालीन बेंच से सुनवाई का अनुरोध कर सकता है। वहीं, भड़काऊ भाषण के दूसरे मामलों पर सुनवाई 21 जुलाई तक के लिए टाल दी गई है।
मामले की पिछली सुनवाई 17 मई को हुई थी। कोर्ट ने हरिद्वार में हुए धर्म संसद के मामले में त्यागी (पूर्व में वसीम रिजवी) को अंतरिम जमानत देते हुए नसीहत दी थी। हिमाचल के ऊना में 17 अप्रैल को हुई धर्म संसद पर नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने पूछा था कि ऐसे मामलों के लिए पहले आ चुके निर्देशों के पालन के लिए क्या कदम उठाए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पूछा कि यह सब इंस्पेक्टर रैंक के जांच अधिकारी का स्टैंड है या डीसीपी का। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद दिल्ली पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यक्रम को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है।
कोर्ट ने 27 अप्रैल को उत्तराखंड के रुड़की में होने वाले धर्म संसद के लिए राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि भड़काऊ भाषण पर लगाम नहीं लगी तो उच्च अधिकारियों को जिम्मेदार माना जाएगा। याचिकाकर्ता कुर्बान अली के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि प्रशासन ने भड़काऊ बातों से रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए।
वहीं, कोर्ट ने 22 अप्रैल को दिल्ली में 19 दिसंबर 2021 को हुए हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम पर पुलिस के जवाब पर सफाई मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पूछा कि यह सब इंस्पेक्टर रैंक के जांच अधिकारी का स्टैंड है या डीसीपी का। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद दिल्ली पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यक्रम को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है।
एक याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मौलाना महमूद मदनी ने दायर की है। याचिका में कहा गया कि भड़काऊ बयान देने वालों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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