दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सभी निजी विद्यालयों से कहा है कि कोरोना काल में अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों से ट्यूशन फीस के रूप में जो पैसा लिया गया था, उसे उन्हें वापस करें। इसे आप तुष्टीकरण की राजनीति नहीं तो और क्या कहेंगे!
राजनीति में नई लीक गढ़ने की बात करने वाली आम आदमी पार्टी भी उसी तरह मुसलमानों का तुष्टीकरण करने लगी है, जिस तरह कांग्रेस करती रही है। अभी हाल में दिल्ली के शिक्षा निदेशक ने एक पत्र जारी किया है। इसमें दिल्ली के सभी निजी विद्यालयों से कहा गया है कि कोरोना काल में अल्पसंख्यक छात्रों से जो ट्यूशन फीस ली गई है, उसे वापस करें। स्पष्ट शब्दों में कह सकते हैं कि दिल्ली सरकार ने निजी विद्यालयों के संचालकों को चेताया है कि वे मुसलमान छ़ात्रों को ट्यूशन का पैसा वापस कर दें। अब इसका असर यह हो रहा है कि कुछ हजार रुपए के लिए भी मुस्लिम बच्चों के अभिभावक स्कूल पहुंच रहे हैं और पैसा वापस मांग रहे हैं। अब कल्पना करिए कि दिल्ली सरकार की इस नीति से विद्यालयों के सामने कैसी स्थिति पैदा होती होगी।
यही कारण है कि दिल्ली भाजपा ने दिल्ली सरकार की इस नीति का विरोध किया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि केंद्र सरकार सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास जैसी नीति को अपनाते हुए काम करती है, लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार तुष्टीकरण की राजनीति से पूरी तरह ग्रसित है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की राह पर निकल पड़ी आम आदमी पार्टी भी देश को बहुत नुकसान पहुंचाने वाली है, क्योंकि अब आआपा की तुष्टिकरण की राजनीति शिक्षा तक पहुंच चुकी है। इसलिए भाजपा यह मांग करती है कि दिल्ली सरकार तुष्टीकरण की राजनीति से ऊपर उठकर इस आदेश को तुरंत वापस ले और सभी वर्ग के गरीब बच्चों के लिए ट्यूशन फीस माफ करने का नया आदेश जारी करे।
दिल्ली भाजपा ने यह भी कहा है कि मजहब विशेष की राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि कोरोना काल के दौरान सभी मध्यमवर्गीय परिवार या निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के अभिभावकों ने आर्थिक मार झेली है। दो साल के अंदर लोगों का काम—धंधा मंदा पड़ गया। उन्होंने कोरोना काल के दौरान कई बार फीस कम करने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी एक भी बात नहीं सुनी गई, लेकिन अब अल्पसंख्यकों की फीस कम करके शिक्षा पर राजनीति की जा रही है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली को मजहब के आधार पर बांट रहे हैं। पहले केजरीवाल सरकार द्वारा मस्जिदों के इमामों को वेतन देने का काम किया गया, लेकिन मंदिर के पुजारियों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि आखिर अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों की चिंता केजरीवाल क्यों नहीं कर रहे हैं, आखिर उनके बच्चे कहां जाएंगे। भाजपा का एक ही प्रयास है कि देश समान व्यवस्था के आधार पर चले। इसलिए केजरीवाल सरकार इस तरह के आदेश जारी करके बच्चों के अंदर मजहबी नफरत का बीज बोने का प्रयास न करे।
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