ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मामले को लेकर न्यायालय में आज सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत होनी थी। इसको लेकर विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने न्यायालय से दो दिन की मोहलत मांगी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। वहीं न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को पूरे मामले से हटा दिया है।
सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप ने बताया अजय मिश्रा का सहयोग सर्वे में नहीं मिल रहा था। उनके द्वारा रखा गया वीडियोग्राफर और कुछ सहयोगी मीडिया में गोपनीयता को उजागर कर दे रहे थे। विशाल सिंह ने कहा कि हमारा कार्य न्यायालय को रिपोर्ट देना है। हम लोगों ने स्पॉट रिपोर्ट भी तैयार की है। कुछ कारणों से आज हम न्यायालय में रिपोर्ट नहीं दे पाये, लेकिन हमें दो दिनों की मोहलत मिल गयी है।
उल्लेखनीय है कि आज वाराणसी जनपद न्यायालय में मंजू व्यास, रेखा पाठक और सीता साहू की ओर से एक याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया कि परिसर के अंदर मिले शिवलिंग और नंदी के बीच दीवार है। इस दीवार को गिरा दिया जाये। इसके साथ ही जहां पर सर्वे नहीं हो पाया है, वहां सर्वे कराया जाये। परिसर में स्थित मलबे को हटाकर जांच की जाए। इस याचिका पर कल सुनवाई होनी है।
बता दें कि एक प्रार्थना पत्र सरकारी अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडे ने भी न्यायालय में दिया। उन्होंने कहा कि जिस परिसर को सील किया गया है, वहां पानी की पाइप लाइन है। नमाज पढ़ने वालों को दिक्कत हो रही है। शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है। इसके साथ तालाब में मौजूद मछलियों को कहीं और छोड़ दिया जाए ताकि मछलियां जीवित रह सकें। कल इस पर भी सुनवाई होनी है।
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