तीसरे दिन का सर्वे पूरा होने के बाद हिंदू पक्ष की तरफ से सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया। प्रार्थना पत्र में कहा गया कि मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिला है। इसलिए उस परिसर को तत्काल सील कर दिया जाए। वहां पर शिवलिंग एवं अन्य साक्ष्यों से कोई छेड़छाड़ न हो। इसके लिए न्यायालय से प्रार्थना की गई कि सम्बन्धित अधिकारीगण को आदेश दिया जाए।
पत्रावली अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से न्यायालय में पेश की गई। प्रार्थना पत्र पर वादी द्वारा कहा गया कि आज दिनांक 16 मई को शिवलिंग, मस्जिद कॉम्प्लेक्स के अंदर दौरान कमीशन के सर्वे में पाया गया है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य है इसलिए सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेशित किया जाए कि वह इसे सील कर दें। जिलाधिकारी वाराणसी को भी इस संबंध में आदेश दिया जाए कि वहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित कर दें। मात्र 20 मुसलमानों को नमाज अदा करने की इजाजत दी जाए और उन्हें वजू करने से भी तत्काल रोक दिया जाए।
प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करने के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि पत्रावली देखने से भी स्पष्ट है कि पूर्व में न्यायालय के द्वारा कमीशन की कार्यवाही का आदेश दिया गया है। आज वादी द्वारा प्रार्थना पत्र पर यह कहा गया है कि मस्जिद कांप्लेक्स में शिवलिंग प्राप्त हुआ है। अतः उसे संरक्षित किया जाना अति आवश्यक है। प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है। जिलाधिकारी वाराणसी को आदेशित किया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दें और सील किये गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। उस स्थान को संरक्षित एवं सुरक्षित करने की पूर्णतः जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी। इसके सुपरविजन की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय लखनऊ तथा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की होगी।
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