उत्तर प्रदेश की एटीएस ने भारत और बांग्लादेश सीमा पर उन स्थानों को चिन्हित कर लिया है, जहां से घुसपैठिये भारत में दाखिल हो रहे हैं। अब माना जा रहा है कि बांग्लादेश की सीमा पर घुसपैठ प्रभावी ढंग से रोकी जा सकेगी। यूपी एटीएस ने भारत के ऐसे शहरों व कस्बों को भी चिह्नित किया है, जहां पर फर्जी कागजात को तैयार किया जा रहा था। उन्ही फर्जी कागजात की मदद के सहारे उन घुसपैठियों को भारत का नागरिक बना कर भारत की सीमा में प्रवेश कराया जा रहा था। बांग्लादेशी नागरिकों के अतिरिक्त म्यांमार से बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या भी अवैध रूप से भारत में घुसपैठ कर रहे थे। एटीएस ने बीते दिनों में 20 अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
उल्लेखनीय है कि फर्जी कागजात बनवाकर रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश बॉर्डर से भारत में दाखिल कराया जा रहा है। भारत में लाकर इन रोहिंग्या मुसलमानों को स्लाटर हाउस में काम पर लगा दिया जाता है। एटीएस को यह भी जानकारी मिली थी कि इन रोहिंग्या मुसलमानों से नौकरी दिलाने के नाम पर रुपयों की वसूली भी की जाती है। गत वर्ष मार्च के महीने में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के कासिम नगर मोहल्ले में रोहिंग्या मुसलमान को गिरफ्तार किया था। मोहम्मद इदरीश के मकान में शाहिद अपनी पत्नी हसीना खातून एवं चार बच्चों के साथ किराए पर रह रहा था।
हसीना खातून ने एटीएस को बताया था कि “मेरी बहन अलीगढ़ के एक स्लाटर हाउस में काम करती थी। कुछ दिन बाद मैं भी अपनी बहन के साथ स्लाटर हाउस में काम करने लगी। वर्ष 2012 में स्लाटर हाउस में ही शाहिद से मेरी मुलाकात हुई थी। शाहिद ने बताया था कि वह अलीगढ़ का रहने वाला है। उसके पास अलीगढ़ के पते का आधार कार्ड भी है। मैं विगत पांच वर्षों में उन्नाव जनपद के कई मोहल्ले में किराए पर चुकी हूं। शाहिद ने कभी भी अपना पैतृक आवास नहीं दिखाया।” पूछताछ के बाद एटीएस ने घर की तलाशी ली। शाहिद के घर से आठ पासपोर्ट मिले थे जिसमे दो पासपोर्ट उसकी पत्नी हसीना खातून के हैं। रोहिंग्या शाहिद ने अन्य रोहिंग्या मुसलमानों को भी स्लाटर हाउस में नौकरी दिलवाया था।
टिप्पणियाँ