देवसहायम को कैथोलिक चर्च ने दी संतई की पदवी, 2014 में पोप ने माना था 'चमत्कारी'
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

देवसहायम को कैथोलिक चर्च ने दी संतई की पदवी, 2014 में पोप ने माना था ‘चमत्कारी’

तमिलनाडु की बिशप काउंसिल और कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप्स ऑफ इंडिया कई साल से कर रही थी मूलत: कन्याकुमारी में हिन्दू परिवार में जन्मे नीलकंठन पिल्लै या 'देवसहायम' को वेटिकन से संत की पदवी दिलाने का प्रयास

by Alok Goswami
May 16, 2022, 02:10 pm IST
in विश्व
पोप और देवसहायम  (फाइल चित्र)

पोप और देवसहायम (फाइल चित्र)

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आखिरकार देवसहायम पिल्लै को वेटिकन के रोमन कैथोलिक पोप ने संत बना ही दिया। भारत के ईसाई जगत ने यह बात खूब जोर—शोर से उछालनी शुरू कर दी है कि देवसहायम पहले भारतीय हैं जिन्हें पोप ने खास समारोह में संतई की पदवी दी है।

पोप फ्रांसिस ने वेटिकन के आलीशान सेंट पीटर्स बेसिलिका में कल एक खास कार्यक्रम ‘कैनोनाइजेशन सेरेमनी'(जिसमें किसी मृत व्यक्ति को पोप की तरफ से संत की पदवी दी जाती है) में देवसहायम के नाम का संत के रूप में एलान कर दिया। उनके अलावा 9 अन्य को ‘संत’ की उपाधि दी गई। इस समारोह में पूरे विश्व से 50 हजार से ज्यादा रोमन कैथोलिक और दूसरे सरकारी प्रतिनिधि मौजूद थे।

देवसहायम को संतई की पदवी दिलाने के लिए तमिलनाडु की बिशप काउंसिल और कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप्स ऑफ इंडिया कई साल से प्रयास करती आ रही थी। पता चला कि साल 2004 में इन्होंने वेटिकन के पास यह सिफारिश भेजी थी। 2014 में पोप ने देवसहायम को लेकर प्रचलित एक चमत्कार को मान्यता दी थी, और इससे उन्हें संत की पदवी दिए जाने का मार्ग खुल गया।

कौन थे ये देवसहायम पिल्लै? यह जानने के लिए इतिहास की थोड़ी छानफटक करनी होगी। नाम के साथ ‘पिल्लै’ लगा है इसलिए शायद कुछ आभास हुआ होगा आपको! दरअसल, ये दक्षिण के हिन्दू व्यक्ति थे, जिन्होंने 18वीं सदी में ईसाई मत अपना लिया था। देवसहायम तब त्रावणकोर रियासत का हिस्सा रहे कन्याकुमारी नगर में रहते थे।

ईसाई मत में प्रचलित दंतकथा के अनुसार, 23 अप्रैल 1712 को एक हिंदू नायर परिवार में जन्मे देवसहायम के पिता एक मंदिर में पुजारी थे। देवसहायम को संस्कृत, तमिल और मलयालम भाषा का ज्ञान था। देवसहायम का बचपन में लालन—पालन हिंदू परंपराओं के हिसाब से हुआ था।

हुआ यूं कि एक डच नौसेना कमांडर कैप्टन यूस्टाचियस लैनॉय को 1741 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने त्रावणकोर के कब्जे वाले एक बंदरगाह पर आधिपत्य करने के लिए भेजा। लेकिन त्रावणकार की सेना से डच सेना हार गई। कमांडर लैनॉय और उनके सैनिकों को कैद में डाल दिया गया। कुछ समय बाद माफी मिलने और सजा से मुक्त होने पर उस डच नौसेना कमांडर त्रावणकोर सेना का सेनापति बनाया गया। बताते हैं, उसने कई युद्ध जीते और कई इलाकों को जीतकर त्रावणकोर में मिलाया।

इसी बीच उस डच कमांडर और देवसहायम का आपस में परिचय हुआ, एक-दूसरे से मिलना और बातचीत होने लगी थी। डच कमांडर ने ही उन्हें ईसाई मत के बारे में बताया। उसकी बातों से प्रभावित होकर 1745 में देवसहायम ईसाई मत में कन्वर्ट हो गए। तब तक उनका नाम नीलकंठन पिल्लै होता था।

इधर कुछ साल से उनके साथ अनेक तरह के चमत्कारों को जोड़ा जाने लगा और वेटिकन तक इसकी खबर पहुंचाई जाने लगी। जैसा पहले बताया, भारत में चर्च के बड़े संगठन देवसहायम को ‘संत’ घोषित कराने का अभियान चलाए हुए थे।

देवसहायम का बप्तिस्मा हुआ जिसके बाद उनका नाम बदलकर लेजारस रखा गया। लेजारस यानी ‘प्रभु की सहायता’। तमिल तथा मलयालम में इसका अनुवाद करें तो यह शब्द बनता है ‘देवसहायम’। बस लेजारस का यही नाम प्रचलित हो गया।

उस दौर में, त्रावणकोर रियासत को ये कन्वर्जन रास नहीं आया। अत: देवसहायम को उसका क्रोध झेलना पड़ा। यहां वेटिकन द्वारा फरवरी 2020 में जारी एक विज्ञप्ति पर नजर डालें तो उसमें लिखा है कि, ‘उनका कन्वर्ट होना उनके मूल धर्म से जुड़े प्रमुख लोगों के गले नहीं उतरा, इसलिए उनके विरुद्ध राजद्रोह और जासूसी जैसे झूठे आरोप लगाए गए। उन्हें प्रशासन के शाही पद से हटा दिया गया और जेल में डाल दिया गया। 14 जनवरी 1752 को मृत्युदंड स्वरूप उन्हें गोली मार दी गई। उन्हें उनके मत के अनुयायियों ने ‘शहीद’ बताकर प्रचारित किया। शायद यही कारण है कि देवसहायम की जहां भी छवि उकेरी गई है वहां उन्हें हथकड़ी—बेड़ियों में जकड़े ही दिखाया गया है।

इधर कुछ साल से उनके साथ अनेक तरह के चमत्कारों को जोड़ा जाने लगा और वेटिकन तक इसकी खबर पहुंचाई जाने लगी। जैसा पहले बताया, भारत में चर्च के बड़े संगठन देवसहायम को ‘संत’ घोषित कराने का अभियान चलाए हुए थे।

15 मई को वेटिकन में हुए इस खास समारोह में शुरू में पोप ने 10 नए संतों के नाम घोषित किए जिनमें छह पुरुष और चार महिलाएं हैं। इनके नाम हैं—टाइटर ब्रैंड्स्मा, लेजारस देवसहायम, सीजर डि बस, लुइगी मारिया पोलाज्जोलो, गस्टीनो मारिया रुसोलिल्लो, चार्ल्स डि फोकॉल्ड, मारिया रिवर, मारिया फ्रेंसेस्का ऑफ जीसस रबाटो, मारिया ऑफ जीसस सैंटोकनाल तथा मारिया डोमेनिका मंटोवानी।

पाठकों को याद होगा, इससे पहले सितम्बर 2016 में मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना करने वाली ‘मदर टेरेसा’ को वेटिकन द्वारा संत की उपाधि दी गई थी। ये उपाधि उन्हें ‘गरीबों, अनाथों और लाचारों की सेवा’ के लिए दी गई थी। लेकिन भारत में मिशनरीज आफ चैरिटी का नाम कोई बहुत उजला तो कभी नहीं रहा है। इस पर बड़े पैमाने पर कन्वर्जन करने के आरोप लगते रहे हैं। लाचारों, असहायों को ‘दर्द दूर करने की आड़ में हिन्दू धर्म से दूर करने’ की कोशिशें की जाती हैं।

टेरेसा को मिली संतई की उपाधि के बाद, देवसहायम को इस पदवी पर आने वाला पहला भारतीय इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि टेरेसा मूलत: भारतीय नहीं थीं, वे आज के मैसेडोनिया में जन्मी थीं, इसलिए देवसहायम ‘भारत में जन्मे पहले ईसाई संत’ कहे जा रहे हैं।

यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि जब नवम्बर 1999 में पोप जॉन पॉल द्वितीय भारत आए थे तो दीपावली के दिन ही नई दिल्ली में अपने भाषण में उनकी कही एक बात भारत के बहुसंख्यक समाज को बहुत चुभी थी। उन्होंने कहा था कि 21वीं सदी एशिया में ईसाइयत की फसल काटने की सदी है। यहां उन्होंने ‘क्रूसेड’ शुरू करने का आह्वान किया था। क्या पहले टेरेसा और अब देवसहायम को संत की पदवी देने का उस ‘क्रूसेड’ से कोई नाता है?

Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’

Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश

international border पर पाकिस्तान की कायराना हरकत : गोलाबारी में BSF के 8 जवान घायल!

Fact Check

पाकिस्तान ने भारत में फैलाए ये फेक वीडियो

सीजफायर का पाकिस्तान ने किया उल्लंघन

पाकिस्तान ने 3 घंटे बाद ही सीजफायर तोड़ा, समझौते का कर रहा घोर उल्लंघन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

CeaseFire Violation : गुजरात के शहरों में फिर ब्लैकआउट, कच्छ में फिर देखे गए पाकिस्तानी ड्रोन

india pakistan ceasefire : भारत ने उधेड़ी पाकिस्तान की बखिया, घुटनों पर शहबाज शरीफ, कहा- ‘युद्धबंदी चाहता हूं’

Pakistan ने तोड़ा Ceasefire : अब भारत देगा मुहंतोड़ जवाब, सेना को मिले सख्त कदम उठाने के आदेश

international border पर पाकिस्तान की कायराना हरकत : गोलाबारी में BSF के 8 जवान घायल!

Fact Check

पाकिस्तान ने भारत में फैलाए ये फेक वीडियो

सीजफायर का पाकिस्तान ने किया उल्लंघन

पाकिस्तान ने 3 घंटे बाद ही सीजफायर तोड़ा, समझौते का कर रहा घोर उल्लंघन

‘अच्छा इसलिए झुका पाकिस्तान’… : जानिए India Pakistan Ceasefire के पीछे की कहानी

पाकिस्तानी गोलाबारी में JCO बलिदान, 6 की मौत और 20 से अधिक घायल

मऊ में ट्रिपल तलाक का सनसनीखेज मामला : रिजवाना को छोड़कर अशरफ ने रचाया दूसरा निकाह, पीड़िता ने SP से लगाई गुहार

उत्तराखंड : जमरानी बांध पहुंचे सांसद अजय भट्ट- 2029 तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies