एनआईए ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य को गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में सात आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। आरोपितों में खुर्रम परवेज भी शामिल है।
सभी आरोपितों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लेने, आतंकी घटनाओं को अंजाम देने, आतंकियों तक रुपये पहुंचाने और आतंकियों की भर्ती करने जैसे गंभीर आरोप हैं। एनआईए ने इस मामले में नवंबर 2021 में मामला दर्ज किया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने कश्मीर के रहने वाले खुर्रम परवेज, मुनीर अहमद कटारिया, अर्शीद अहमद टोंच और जफर अब्बास के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों को आगे बढ़ाने और भारत में आतंकी घटनाओं के लिए एक नेटवर्क चलाने की साजिश रची थी ।
आरोपितों ने सुरक्षा बलों के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, तैनाती और आवाजाही के बारे में जानकारी जुटाकर लश्कर-ए तैयबा तक पहुंचाई थी। साथ ही हिमाचल प्रदेश के रहने वाले और सरकारी अधिकारी ने उन्हें आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए दस्तावेज उपलब्ध कराए। एनआईए ने पश्चिम बंगाल के रहने वाले रामभवन प्रसाद और चंदन महतो के खिलाफ भी षडयंत्र रचने का आरोप लगाया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने जाली पहचान पत्र बनाए थे, जिनका इस्तेमाल सिम कार्ड हासिल करने और बैंक खाते खोलने के लिए किया गया था।
एनआईए के मुताबिक जांच के दौरान दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, बिहार , जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली गई और आपत्तिजनक दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई थी। विभिन्न लोगों के नाम पर फर्जी बैंक खाते बनाए जा रहे थे।
25 फरवरी को कोर्ट ने अरविंद दिग्विजय नेगी समेत चार आरोपितों को एक महीने की न्यायिक हिरासत मे भेजा था। कोर्ट ने नेगी, खुर्रम परवेज, मुनीर अहमद चौधरी और अरदिश अहमद को न्यायिक हिरासत में भेजा था। खुर्रम परवेज को 22 नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था। मुनीर अहम को 16 नवंबर, 2021 जबकि अरदिश अहमद को 18 नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था।
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