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देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देती पाकिस्तान की आईएसआई

देश में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक बेचैनी देखी जा सकती है। राजनीतिक कारण है, क्योंकि देश की राजनीति में सांप्रदायिकता के आधार पर वोट ली जाती है और नागरिकता संशोधन कानून का डर दिखाकर राजनीतिक दल मुस्लिम समाज में अस्थिरता पैदा कर रहे हैं।

by कर्नल शिवदान सिंह
May 13, 2022, 07:06 pm IST
in दिल्ली
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धारा 370 हटाने और देश में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक बेचैनी देखी जा सकती है। इसके पीछे राजनीतिक कारण है, क्योंकि देश की राजनीति में सांप्रदायिकता के आधार पर वोट ली जाती है और नागरिकता संशोधन कानून का डर दिखाकर राजनीतिक दल मुस्लिम समाज में अस्थिरता पैदा कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और देश में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक बेचैनी देखी जा सकती है। इसके पीछे राजनीतिक कारण है, क्योंकि देश की राजनीति में सांप्रदायिकता के आधार पर वोट ली जाती है और नागरिकता संशोधन कानून का डर दिखाकर राजनीतिक दल मुस्लिम समाज में अस्थिरता पैदा कर रहे हैं। इस अस्थिरता के कारण आजकल हर मौके पर सांप्रदायिक तनाव देखा जा सकता है। इस समय देश की इस स्थिति का फायदा पाकिस्तान की आईएसआई उठा रही है। वर्ष 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बाद पाकिस्तान की सेना ने यह निश्चय कर लिया है कि वह भारत के भी बांग्लादेश की तरह टुकड़े करेगी और इसके लिए पाकिस्तानी सेना ने अपनी आईएसआई को इस काम पर पूरे जोर-शोर से लगा दिया है।

आईएसआई एक इंटेलिजेंस एजेंसी है जिसकी स्थापना और प्रशिक्षण अमेरिका की सीआईए के द्वारा उस समय की गई जब अफगानिस्तान में रूसी सेना 1987 में आ गई थी। तब अमेरिका ने पाकिस्तान को रूसी सेनाओं के खिलाफ अभियान चलाने के लिए अपना ठिकाना बनाया था। सीआईए ने आईएसआई के माध्यम से पाकिस्तान में मुस्लिम युवकों को वहां के मदरसों में आतंकवाद की ट्रेनिंग देकर उन्हें अफगानिस्तान में रूसी सेनाओं के विरुद्ध छापामार युद्ध के लिए भेजा।

अफगानिस्तान की तरह ही आईएसआई ने पहले भारत के पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट चलाकर वहां पर युवाओं को आतंकवाद की ट्रेनिंग और हथियार देकर देश में आतंकवाद को चलाया जिसको पंजाब के राष्ट्रवादी निवासियों ने अपनी देशभक्ति की भावना के द्वारा पूरी तरह से विफल किया और वहां पर अमन-चैन स्थापित हुआ। परंतु अभी दोबारा पिछले कुछ समय से पंजाब की राजनीतिक उथल-पुथल का फायदा उठाकर दोबारा आईएसआई पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को जिंदा करना चाहती है। इसी का उदाहरण है हरियाणा के करनाल में पकड़े गए बब्बर खालसा के चार आतंकवादी जो हथियार और गोला बारूद तेलंगाना में पहुंचाने के लिए जा रहे थे और इनका नियंत्रण पाकिस्तान में बैठा आतंकवादी हरजिंदर सिंह रिंडा कर रहा था जो पहले पंजाब में एक गैंगस्टर था, जिसे आईएसआई ने पाकिस्तान में बुलाकर खालिस्तानी आतंकवाद के लिए नियुक्त कर दिया है। आईएसआई ने यह हथियार फिरोजपुर में ड्रोन से गिराए थे। इसी प्रकार गुजरात के सौराष्ट्र में हथियारों का जखीरा मिला है और यह भी आईएसआई के द्वारा ही भेजे गए थे। आईएसआई द्वारा ही कर्नाटक में मिनी पाकिस्तान नाम के एक संगठन का भी निर्माण किया गया है।

आईएसआई अक्सर अपने ऑपरेशन चलाने के लिए ऐसे स्थानों की तलाश करती है जहां पर उसे परोक्ष रूप से राजनीतिक सहायता मिल सके। देश में अक्सर कुछ राजनैतिक दल सांप्रदायिकता के आधार पर वोट प्राप्त करने की कोशिश करते हैं जिसके कारण वह मुस्लिम समाज को और पंजाब में सिखों के वोट प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए वह राजनीतिक फायदे के लिए अल्पसंख्यकों की भावनाओं को भड़काने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को इस प्रकार प्रस्तुत करते हैं जिससे उन्हें लगे की उनका अस्तित्व खतरे में है। इसके लिए नागरिकता संशोधन कानून काफी कारगर साबित हुआ जिससे मुस्लिमों को डराया गया और उन्हें इसके विरुद्ध खड़ा होने के लिए कहा गया।

अफगानिस्तान की तरह ही आईएसआई ने पहले भारत के पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट चलाकर वहां पर युवाओं को आतंकवाद की ट्रेनिंग और हथियार देकर देश में आतंकवाद को चलाया जिसको पंजाब के राष्ट्रवादी निवासियों ने अपनी देशभक्ति की भावना के द्वारा पूरी तरह से विफल किया और वहां पर अमन-चैन स्थापित हुआ।

दिल्ली का शाहीनबाग धरना प्रदर्शन इसी का उदाहरण है। इसलिए जब आईएसआई ने देखा कि देश के अल्पसंख्यकों में असंतोष पैदा किया जा सकता है तब उसने देश के विभिन्न भागों में सांप्रदायिक दंगा कराने की योजना बनाई। जिसके उदाहरण राजस्थान के करौली, जोधपुर और भरतपुर में देखे गए। इस प्रकार की कोशिश मध्यप्रदेश में भी की गई और वहां वह सफल नहीं हो पाए। अभी-अभी दिल्ली के जहांगीरपुरी में इसी प्रकार का सांप्रदायिक तनाव देखा गया जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को इस्तेमाल किया गया। देश में सांप्रदायिक तनाव को चरम पर ले जाने के लिए आईएसआई ने जम्मू के सांबा क्षेत्र में एक सुरंग बनाई जिसके द्वारा वह देश की प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा में इस तरह की आतंकी घटनाएं करा सके जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव चरम पर पहुंच सके।

दंगाग्रस्त राज्यों की विवेचना के द्वारा यह ज्ञात होता है कि इन राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं जिनके कारण आईएसआई ने यहां पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जनसंख्या देश के सब राज्यों से सबसे ज्यादा है परंतु यहां पर पिछले काफी समय से कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं देखा गया है। इसका मुख्य कारण है कि यहां की सरकार ना तो अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण कर रही है और न ही बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए कोई विशेष रियायत दे रही है। इसलिए यहां पर कानून का राज है जो सबके लिए बराबर है। परंतु विपक्ष की सरकारों के राज्यों में आईएसआई मानकर चलती है कि राज्य सरकारें तुष्टिकरण की नीति के कारण उनके द्वारा फैलाए गए तनाव के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं करेंगी इसलिए ज्यादातर सीमावर्ती राज्य पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में आईएसआई अपनी गतिविधि चलाने की कोशिश कर रही है। जिसके द्वारा वह अल्पसंख्यक समाज को असुरक्षा की भावना दिखाकर उन्हें समाज के विरुद्ध गतिविधि करने के लिए प्रोत्साहित करती नजर आ रही है। यह देश की सामाजिक स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

पिछले काफी समय से पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति काफी खराब है जिसके कारण वहां पर काफी अस्थिरता है। इसीलिए इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा। इसके साथ साथ चीन के द्वारा वहां पर स्थापित की गई साझा आर्थिक गलियारा योजना भी खटाई में पड़ती नजर आ रही है क्योंकि पाकिस्तान इस योजना में उसके द्वारा निवेश किए जाने वाले धन का बंदोबस्त नहीं कर पा रहा है। इसके साथ-साथ चीन की इस योजना के विरुद्ध पाकिस्तान में बहुत बड़ा असंतोष है। इस असंतोष का मुख्य कारण है चीन की विस्तारवादी नीति, जिसके द्वारा उसने अपने पड़ोस में स्थित 10 देशों की भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है। इसी नीति के अनुसार चीन ने पाकिस्तान में बहुत से भूखंडों को तरह तरह के उपक्रम लगाने के लिए पाकिस्तान से ले लिया है। वहीं पर वह अपने लिए सुरक्षित बंदरगाह की तलाश में वहां के ग्वादर बंदरगाह को अपने कब्जे में ले रहा है। ऐसा ही उसने श्रीलंका में भी यही सब किया है।

शाहीन बाग धरना प्रदर्शन में व्यवस्थित तरीके से आईएसआई ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को इस्तेमाल किया। भारत को बदनाम कराने के लिए इस धरना प्रदर्शन को दिल्ली दंगों के रूप में उस समय परिवर्तित किया, जब भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति दौरे पर थे जिससे विश्व मीडिया दिल्ली के दंगों को पूरे विश्व में दिखा सके।

आज श्रीलंका में चारों तरफ आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण असंतोष नजर आ रहा है। इसी प्रकार पाकिस्तान के बलूचिस्तान के निवासी अपने ग्वादर बंदरगाह को चीन को नहीं देना चाहते, इसलिए वहां पर बलूच लिबरेशन आर्मी नाम का एक संगठन अक्सर वहां पर काम कर रहे चीनियों पर हमला करता है। इस सबके चलते हुए साझा आर्थिक गलियारा योजना पाकिस्तान में फेल होने के कगार पर है। इस सब को देखते हुए आईएसआई पाकिस्तान की जनता को यह दिखाना चाहती है कि हमारे पड़ोसी देश भारत में भी भारी असंतोष है और भारत में जगह-जगह सांप्रदायिक तनाव फैला हुआ है।

इस सांप्रदायिक तनाव को फैलाने के लिए उसने जैसे ही भारत में पड़ोसी देशों से घुसपैठ को रोकने के लिए नागरिकता संशोधन कानून पास हुआ, उसने इस मौके को मुस्लिमों में असंतोष फैलाने के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई, और अपने स्लिपर्स एजेंटों से शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन शुरू कराया ! जिसके लिए आर्थिक मदद उसने अपने विदेश में बैठे एजेंटों से करवाई, जिनके ब्योरे मीडिया में आ चुके हैं। शाहीन बाग धरना प्रदर्शन में व्यवस्थित तरीके से आईएसआई ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को इस्तेमाल किया। भारत को बदनाम कराने के लिए इस धरना प्रदर्शन को दिल्ली दंगों के रूप में उस समय परिवर्तित किया, जब भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति दौरे पर थे जिससे विश्व मीडिया दिल्ली के दंगों को पूरे विश्व में दिखा सके।

इस समय देखने में आ रहा है कि कोई भी त्यौहार बगैर सांप्रदायिक तनाव के नहीं गुजर रहा है। इसलिए देश की सामाजिक सुरक्षा अक्सर खतरे में आ जाती है। इस स्थिति में देश की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती दी जा रही है जो राष्ट्रीय सुरक्षा का एक बहुत जरूरी भाग है। इसको देखते हुए देश की इंटेलिजेंस एजेंसियों को और राज्य पुलिस को चौकन्ना रहकर आईएसआई के स्लीपर एजेंटों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।

इसके लिए तुष्टीकरण की नीति से ऊपर उठकर राज्य सरकारों को अपनी पुलिस को निष्पक्षतापूर्वक कार्य करने देना चाहिए, अन्यथा यदि यह सब चलता रहा तो देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और छवि कुछ दिनों में उसी प्रकार धूमल हो सकती है जिस प्रकार आज पाकिस्तान और श्रीलंका की है। अभी तक भारत में प्रशासनिक ढांचा उपनिवेशवादी कानूनों के अनुसार ही काम कर रहा है, जिसके कारण अभी तक देश में पुलिस और प्रशासनिक सुधार लागू नहीं हुए हैं जिनके कारण अक्सर प्रशासन के कार्यों में शिथिलता से नजर आती है। पुराने कानूनों के कारण जब देश की जनता को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है तो समाज में असंतोष फैलता है और यह असंतोष देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है।

इसलिए अब समय आ गया है जब आधारभूत ढांचे मैं देश की प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था को भी आधुनिक बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। इसलिए सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ऐसे कानून बनाने चाहिए जिन से कोई देश की आंतरिक सुरक्षा को ठेस न पहुंचा सके।

Topics: राजनीतिक स्थितिविश्व मीडिया दिल्लीपंजाब के राष्ट्रवादी निवासिशाहीनबागअफगानिस्तानआईएसआईइंटेलिजेंस एजेंसीपाकिस्तान की आर्थिक
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