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उत्तराखंड : गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, आचमन के योग्य नहीं जल

by उत्तराखंड ब्यूरो
May 12, 2022, 06:36 pm IST
in भारत
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हिमालय से आने वाली गंगा हरिद्वार में आकर मैली हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण के लिए प्रशासन को चेताया है। हालांकि ये भी कहा गया है कुम्भ क्षेत्र में सबसे साफ पानी हरकी पैड़ी का है, लेकिन ये भी आचमन के योग्य नही है। ऋषिकेश से हरिद्वार तक आते आते गंगा जल प्रदूषित हो रहा है और हरिद्वार से बाहर जाते जाते और भी इसमे गंदगी मिल रही है।

चारधाम यात्रा में भारी भीड़ को देखते हुए ये कहा जा रहा था कि गंगा में गंदगी फैलने में कोई कसर यात्री नही छोड़ते हैं। हिमालय से निकलने वाली गंगा की धाराएं इन दिनों श्रद्धालुओं के द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण से प्रभावित है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हरिद्वार में करीब बीस स्थानों से गंगा जल के सैंपल लिए है‍ं, हालांकि ये सैंपल हर तीन माह में वैसे भी लिए जाने की सामान्य प्रक्रिया है। इस सैंपल के नतीजे जनमानस को सचेत कर रहे हैं कि गंगा उनकी वजह से मैली हो रही है। हरकी पैड़ी जैसे पवित्र स्थान पर गंगा में टीसी कोलीफॉर्म का स्तर 63 मापा गया है, जोकि स्टैंडर्ड मानक से कहीं ज्यादा है। जबकिं चंडीघाट और लक्सर के पास ये और भी ज्यादा है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  के अनुसार गंगा में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) का न्यूनतम स्तर पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होनी चाहिए। इससे कम होने से जलीय जीव जंतुओं के लिए खतरा माना जाता है। हरिद्वार में डीओ का स्तर 6.8 से लेकर 9.5 तक मिला है।

-बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का मानक 3 ग्राम प्रति लीटर है। इससे कम होने पर पानी में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है। हरिद्वार में बीओडी का स्तर 1.1 से लेकर 2.5 मिला है।

– कोलीफॉर्म (एफसी) और टोटल कोलीफार्म (टीसी) पानी की शुद्धता का सबसे अहम कारक होता है। 50 एमपीएन से नीचे पानी ही पीने योग्य होता है। 50 एमपीएन से अधिक स्तर का पानी नहाने योग्य होता है। इसे ट्रीटमेंट करके पिया भी जा सकता है। हरिद्वार में एफसी औसतन 34 से 94 मिला है। जबकि टीसी 63 से लेकर 120 एमपीएन मिला है,जो आचमन के लिए उपयुक्त नही ,अलबत्ता यहां नहाने के लिए सही कहा जा सकता है।

गंगा में पानी की शुद्धता मापने के कई बिंदु हैं। बिंदुओं के आधार पर ही पानी के स्तर को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। ए श्रेणी के मानक का पानी पीये योग्य होता है। जबकि बी और सी श्रेणी का पानी नहाने और ट्रीटमेंट कर पीने योग्य किया जा सकता है। डी श्रेणी का जल पशुओं के लिए उपयुक्त माना जाता है।

सुभाष पंवार, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड:

हरिद्वार में पीसीबी ने 12 जगहों से गंगाजल की जांच की है। जांच में डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ), बॉयोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर स्टैंडर्ड मानक से अच्छा मिला है। जबकि एफसी और टीसी का स्तर अधिक होने से गंगा का जल बी श्रेणी में आया है। यह बिना क्लोरिनेशन पीने योग्य नहीं है।

पीसीबी की हरिद्वार से रुड़की तक गंगा के जल की जांच रिपोर्ट:

सैंपलिंग -डीओ बीडीओ-टीसी-एफसी 

  1. बिंदुभगीरथ  8.1  2.0     70    47
  2. हरकी पैड़ी   9.0 1.5      63    46
  3. ललतारो पुल   8.1-1.6-79-43
  4. डामकोठी     8.8-1.5-79-49
  5. ऋषिकुल  6.8-1.2-79-49
  6. रुड़की-9.5-1.1-110-70
  7. अजीतपुर-9.2-1.9-84-58
  8. बिशनपुर-8.2-1.8-94-58
  9. सुल्तानपुर- 8.8-1.2-84-34
  10. लक्सर-6.8-2.4-110-84
  11. कुडीनेतवाल-6.5-2.0-120-84
  12. कंकरखेड़ा-6.8-2.5-110-94

Topics: uttarakhand newsउत्तराखंड समाचारगंगा जलगंगा में प्रदूषणहरकी पैड़ीGanga JalPollution in GangaHarki Paidi
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