जब कर्नाटक में हिजाब को लेकर जो आन्दोलन हुआ, उसमें यह कहा गया कि हिजाब स्वैच्छिक है और लडकियां अपने मन से ओढती है, इसके लिए कोई जबरदस्ती नहीं की जाती है। लडकियां स्वयं ही हिजाब पहनना पसंद करती हैं, ऐसे दावे कई बार किये जाते हैं और इस बहाने इसे चॉइस का विषय बना दिया जाता है। परन्तु हाल ही में केरल से एक वीडियो सामने आया है, जिसे कथित रूप से केरल का बताया जा रहा है। और जिसमें कथित रूप से एक शिक्षक उन बच्चियों को मार रहा है, जिन बच्चियों ने हिजाब नहीं पहना हुआ है।
यह वीडियो देखने में अत्यंत हैरान करने वाला है क्योंकि खुले आम मानवाधिकार और पहनने की आजादी का उल्लंघन हो रहा है। केवल लड़कों को और उन लड़कियों को कुछ नहीं कहा जा रहा है, जिन्होनें हिजाब पहला हुआ है। इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ही हैरान हैं और वह प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर ऐसा कोई कैसे कर सकता है?
https://twitter.com/hiteshshankar/status/1522797817281990657
परन्तु कट्टर मजहबी लोग ऐसा करते हैं और इसका प्रमाण हमें उन दो कट्टर इस्लामी आतंकी संगठनों द्वारा हिहाब गर्ल मुस्कान को दिए गए समर्थन से मिल चुका है। कर्नाटक की बुर्का गर्ल मुस्कान के समर्थन में भारत के ही कट्टरपंथी संगठन नहीं आए थे, बल्कि तालिबान और अलकायदा जैसे संगठन आए थे।
केरल के इस वीडियो से अफगानिस्तान में तालिबान सरकार द्वारा बुर्के को अनिवार्य करना
जहाँ केरल का यह वीडियो सोशल मीडिया में छाया है तो उसी समय अफगानिस्तान में जहाँ पर पिछले वर्ष तालिबान ने सरकार संभाली है, वहां पर नए तालिबान का दावा करने वाले लोगों ने जहाँ पहले लड़कियों का स्कूल बंद कराया, लड़कियों का अकेले सफ़र बंद कराया और फिर अब आकर उन्होंने लड़कियों के लिए यह फतवा जारी कर दिया है कि वह बिना बुर्के के या परदे के घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं। केवल आँखें ही उनकी दिखाई देनी चाहिए।
वाइस और वर्च्यु मंत्रालय के प्रवक्ता अकिफ मुजाहिर ने कहा कि चेहरे को ढाकने का नियम हर उस औरत पर लागू होता है, जो अभी बच्चे पैदा कर सकती है। और यह किशोरावस्था से ही लागू होगा। और इसमें या तो परम्परागत अफगानी बुर्का पहन सकती हैं, जिनमें आँखों पर झिर्री होती है और या फिर वह काला बुर्का पहन सकती हैं। और इसमें यह भी कहा गया है कि हिजाब का पालन करने का सबसे सही तरीका यही है कि वह घर से बाहर ही न निकलें।
इतना ही नहीं, जो कुछ औरतें अफगानिस्तान में नौकरी कर रही हैं, उन्हें इन नियमों का पालन न करने पर नौकरी से बाहर भी किया जा सकता है। इस में यह भी कहा गया है कि यदि औरतों ने इन नियमों का पालन नहीं किया तो इसका परिणाम उनके घर के मर्दों को झेलना होगा।
भारत में लिबरल जगत द्वारा सराहे गए सत्ता परिवर्तन ने लड़कियों के लिए स्कूल खोलकर फिर से बंद कर दिए थे
जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता सम्हाली थी, उसके बाद भारत के सेक्युलर वर्ग और यहाँ तक कि वाम फेमिनिस्ट की भी बांछें खिल गयी थीं और वह एक प्रकार से प्रशंसा में उतर आए थे। परन्तु धीरे धीरे जैसे जैसे तालिबान में वहां की औरतों पर जुल्म करने आरम्भ किये थे, तब भी प्रशंसा करने वालों ने तालिबान की बुराई नहीं की थी। फिर चाहे वह महिला खिलाड़ी की हत्या हो, या फिर कलाकारों की हत्याएं! इन हत्याओं की श्रृंखला चलती रही, और भारत में जो वर्ग तालिबान के सत्ता परिवर्तन पर शब्दों के फूल बरसा रहा था, वह एकदम मौन था।
तालिबान के इस आदेश की कुछ लोगों ने आलोचना की है
हालांकि सुहासिनी हैदर जैसे लोगों ने तालिबान के इस आदेश की आलोचना की है, परन्तु यह भी बात सही है कि भारत में कर्नाटक में जो हिजाब का आन्दोलन हुआ, जिसमें हिन्दुओं पर हमले किए गए और जिसमें हिन्दुओं को हिजाब का विरोधी बताकर उन्हें पूरे मुस्लिम जगत में एक ऐसे शत्रु के रूप में चित्रित किया गया, जो उन्हें उनके मूल अधिकार का पालन भी नहीं करने दे रहे हैं, वह पूरा लिबरल वर्ग हिजाब की कट्टरता के पक्ष में खड़ा रहा।
यह बात समझ नहीं आती है, कि आखिर जो लोग अफगानिस्तान में जिस आदेश को मुस्लिम औरतों का शोषण बता रहे हैं, वह भारत में केरल से लेकर कर्नाटक तक हिजाब और बुर्के के अधिकार के लिए लड़ रही हैं? केरल, कर्नाटक और अफगानिस्तान में हिजाब और बुर्के को लेकर वाम और कट्टर इस्लाम एक ही राह पर चल रहा है।
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