भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को कहा कि ज्ञान, विज्ञान, अर्थ, गणित सभी की उत्पत्ति का बीज संस्कृत ही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं है बल्कि विभिन्न आयामों को आगे बढ़ाने का रास्ता भी है।
यहां अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के ‘उत्कर्ष महोत्सव’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि हमारे पुरातन ज्ञान को संजोकर रखने वाली भाषा भी संस्कृत ही है। जहां संस्कृत है, वहीं संस्कृति है। वहीं संस्कृति के साथ-साथ विकास के माध्यम भी हैं। उन्होंने कहा कि अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का माध्यम संस्कृत ही है। हम संस्कृति के रक्षक हैं और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दृष्टि से कार्य कर रहे हैं। इसलिए जहां संस्कृत होगी, वहां हमारी विचारधारा होगी।
नड्डा ने कहा कि भारतीय परंपरा, भारतीय संस्कृति, भारतीय उल्लेखों को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने संस्कृत और उसकी महत्ता का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया में भारत का जो कोई मुकाबला नहीं है, उसका मूल कारण हमारी संस्कृति ही है। कई देश अगर मानवता की दृष्टि से काम करने का सोच सकते हैं तो ये प्राथमिक स्तर पर ही है। लेकिन भारत में ये बहुत विकसित है। हमारी ये जो ताकत है, वो हमारी संस्कृति से ही आती है।
भाजपा अध्यक्ष ने विपक्षी दलों पर को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया कि आखिर संस्कृत के केंद्रीय विश्वविद्यालय पहले की सरकार में क्यों नहीं बने? आज ही क्यों केंद्रीय विश्वविद्यालय बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक दृष्टि से न सोचते हुए तीनों विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नीयत साफ है, इसलिए नीति भी स्पष्ट है।
नड्डा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और स्वास्थ्य नीति, दोनों ही भारत की जड़ों से जुड़ी हुई हैं । नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा का विशेष ध्यान रखा गया है। संस्कृत के बारे में इसमें चिंता की गई और चर्चा को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को भारतीय परिवेश को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है ।
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