पिछले दिनों यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईएएस निधि केसरवानी को निलंबित किये जाने की संस्तुति की थी। इसी मामले में अब एक रिटायर्ड आईएएस और डीएम रह चुके विमल शर्मा के खिलाफ भी यूपी सरकार ने मामला दर्ज कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक मण्डल आयुक्त प्रभात कुमार की एक मामले की जांच के बाद डीएम गाजियाबाद रही निधि केसरवानी को शासन ने निलम्बित किया था। ये मामला मेरठ दिल्ली एक्सप्रेसवे की जमीन अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है। कमिश्नर के पास क्षेत्र के 23 किसानों ने ये शिकायत की थी उन्हें उनकी 71.14 हैक्टेयर ज़मीन का मुआवजा नही मिला। जांच शुरू हुई तो पता चला कि उनकी जमीन बिकी और फिर उसपर किसी और ने मुआवजा ले लिया। जांच में जो जानकारी आयी उसमें तत्कालीन एडीएम घनश्याम सिंह और आमीन संतोष की भूमिका सवालों के घेरे में आई इन दोनों के परिवारो के नाम से सरकार से 25 करोड़ की राशि मुआवजा मद में ले ली गयी थी। जांच में भूमि अधिग्रहण धारा 3 डी का उलंघन हुआ साफ साफ दिख रहा था। इस नियम के तहत अधिग्रहण अधिसूचना जारी होने के बाद वो ज़मीन खरीदी या बेची नही जा सकती। इस मामले में डीएम विमल शर्मा और उसके बाद डीएम निधि केसरवानी की भूमिका भी संदिग्ध पायी गयी। इसमे एडीएम के एक पुत्र शिवांग राठौर को आठ करोड़ की मुआवजा राशि का भुगतान किया गया था।
राजधानी लखनऊ में नियुक्ति कार्मिक देवेश चतुर्वेदी के द्वारा इस मामले में एफआईआर दर्ज कर दी गयी है। एडीएम घनश्याम और आमीन संतोष पहले से ही निलम्बित चल रहे है। डीएम रहे और चार साल पहले सेवानिवृत्त होचुके विमल शर्मा के खिलाफ मुक़दम्मा दर्ज कराया गया है इसी एफआईआर में आईएएस निधि केसरवानी को भी आरोपी बनाया गया है।
एफआईआर दर्ज करने से पहले शासन ने मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार से भी मंजूरी हासिल कर ली है। इस मामले में अभी और विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार से गैरकानूनी रूप से मुआवजा हासिल करने वालो के खिलाफ भी अभियोग पंजीकृत कराया जा रहा है।
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