वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की अमृतलाल नागर सृजन पीठ की ओर से 26 से 28 अप्रैल तक वर्धा साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें अनेक साहित्यकारों और विद्वानों ने अपने विचार रखे।
समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में नए प्रकाशनों का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं लोकसभा सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की विशेष उपस्थिति रही और सान्निध्य डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ का मिला।
समारोह में डॉ. ‘निशंक’ की पुस्तक ‘मैं गंगा बोल रही हूं’ एवं ‘सफलता के शिखर तक पहुंचाती है विनम्रता’, डॉ. जयंत उपाध्याय और डॉ. अमित कुमार विश्वास द्वारा संपादित पुस्तक ‘रजनीश कुमार शुक्ल से संवाद’, प्रो. रजनीश शुक्ल द्वारा लिखित पुस्तक ‘सनातन और निरंतर : सभ्यता का पक्ष एवं भारतीय ज्ञान परंपरा’, ऋषभ कुमार मिश्र संपादित पुस्तक ‘शिक्षा जो स्वर साध सके’, वागीश शुक्ल की पुस्तक ‘छन्द-छन्द पर कुंकुम’, डॉ. मनोज कुमार राय एवं डॉ. गोपाल कृष्ण ठाकुर द्वारा संपादित पुस्तक ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : एक सिंहावलोकन,’ प्रो. कृपाशंकर चौबे एवं अमित कुमार विश्वास संपादित पुस्तक ‘कश्मीर का साहित्य’, ‘भारतीय साहित्य में कश्मीर’, ‘कश्मीर का सांस्कृतिक अवबोध और समकालीन विमर्श’ तथा डॉ. कृपाशंकर चौबे के ‘बहुवचन’ के कश्मीर विशेषांक एवं सुब्रमण्य भारती विशेषांक तथा डॉ. प्रियंका मिश्र की ‘नाद सुनाना पड़ता है’, डॉ. प्रकाश त्रिपाठी की ‘डॉ. हेडगेवार : व्यक्ति और विचार’ जैसी चौदह पुस्तकों को लोकार्पित किया गया।
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