दो मई को पश्चिम बंगाल में ममता सरकार को सत्ता संभाले एक साल हो गया। लेकिन यह पूरा साल राजनीतिक हिंसा की ही भेंट चढ़ा रहा। टीएमसी के गुंडों ने भाजपा सहित विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं—समर्थकों को चुन—चुनकर निशाना बनाया। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं सहित परिजनों तक की हत्याएं की गईं। इनके घरों को तहस—नहस किया गया। डर के चलते हजारों लोगों ने पलायन किया। आज भी बहुत से पीड़ित अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगहों पर जीवन काटने पर मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर वे अपने घर जाते हैं, तो उनके साथ कुछ भी हो सकता है। ऐसे में पीड़ितों ने न्यायालय का रुख किया। इसके बाद न्यायालय ने मामलों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था। सीबीआई ने एक साल के दौरान बड़ी कार्रवाई की हैं। कोर्ट को दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक बंगाल हिंसा को लेकर अब तक कुल 58 प्राथमिकी विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज कर कुल 224 लोगों को गिरफ्तार किया है।
हाई कोर्ट के निर्देश के बाद हो रही है जांच
चुनाव बाद पूरे बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाने लगा। उनके घरों पर हमले होने शुरू हो गए। हत्या की जाने लगीं। इस सबसे डरकर हजारों लोगों ने घर छोड़ दिए। पीड़ितों ने जब पुलिस का दरवाजा खटखटाया तो उन्हें वहां भी डराया गया और चुप रहने को कहा गया। इन सभी घटनाओं में जिस प्रशासन को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करनी थी, वह उल्टे उन्हें संरक्षण देती थी। राज्य की ममता सरकार ने तो इन घटनाओं पर आंख ही मूंद ली। तब पुलिसिया जांच से असंतुष्ट लोगों ने कोर्ट का रुख किया। बंगाल हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद उसकी जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को करने का आदेश दिया। जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए दो विशेष जांच टीमें बनाईं और दो संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों को जांच की निगरानी सौंपी। सीबीआई द्वारा इस मामले में कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक इस मामले में अब तक कुल 58 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। ये प्राथमिकी हत्या बलात्कार, लूट, दंगे से संबंधित हैंं। इन मामलों की अब तक की जांच में कुल 224 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा 26 आरोप पत्र कोर्ट के सामने दाखिल किए गए हैं। वहीं इस मामले में सीबीआई की जांच जारी है।
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