प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज डेनमार्क में रह रहे भारतीय समुदाय को संबोधित किया। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन भी साथ थीं। प्रधानमंत्री मोदी न कहा कि एक भारतीय, दुनिया में कहीं भी जाए, वो अपनी कर्मभूमि के लिए, उस देश के लिए पूरी ईमानदारी से सहयोग करता है। अनेक बार जब मेरी वैश्विक नेताओं से मुलाकात होती है तो वे अपने देशों में बसे भारतीय समुदाय की उपलब्धियों के बारे में मुझे गर्व से बताते हैं।
समग्रता और विविधता भारतीय समुदाय की ऐसी शक्ति है, जो हम सबको प्रतिपल जीवंतता का एहसास कराती है। हज़ारों वर्षों के कालखंड ने इन मूल्यों को हमारे भीतर विकसित किया है। भाषा कोई भी हो, लेकिन हम सभी के संस्कार भारतीय ही हैं। हमारी खाने की थाली बदल जाती है, स्वाद बदल जाता है। लेकिन स्नेह से बार-बार आग्रह करने का भारतीय तरीका नहीं बदलता। हम राष्ट्ररक्षा के लिए मिलकर खड़े होते हैं, राष्ट्रनिर्माण में मिलकर जुटते हैं।
आज भारत जो कुछ भी हासिल कर रहा है, वो उपलब्धि सिर्फ भारत की नहीं है, बल्कि वो करीब वन-फिफ्थ ह्यूमेनिटी की उपलब्धि है। कल्पना कीजिए कि अगर भारत में हम वैक्सीनेशन को हर परिवार तक नहीं पहुंचा पाते, तो उसका दुनिया पर क्या असर होता? अगर भारत मेड इन इंडिया, सस्ती और प्रभावी वैक्सीन्स पर काम ना करता, बड़े स्केल पर प्रोडक्शन ना करता, तो दुनिया के अनेक देशों की क्या स्थिति होती?
5-6 साल पहले हम प्रति व्यक्ति डेटा उपयोग करने के मामले में दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में से एक थे। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अनेक बड़े देश मिलकर जितना प्रति व्यक्ति मोबाइल डेटा कंज्यूम करते हैं, उससे ज्यादा हम भारत में करते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि आज जो भी नया यूज़र जुड़ रहा है, वो भारत के गांव से है। इसने भारत के गांव और गरीब को तो समर्थ किया ही है, बहुत बड़े डिजिटल मार्केट का गेट खोल दिया है। ये नए भारत की रियल स्टोरी है। लगभग 75 महीने पहले हमने स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम शुरु किया था। तब स्टार्ट अप इकोसिस्टम के रूप में हमारी गिनती कहीं नहीं होती थी। आज हम यूनिकॉर्न्स के मामले में दुनिया में नंबर-3 पर हैं। आज स्टार्ट अप्स के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम हिंदुस्तान है।
भारत की ताकत जब बढ़ती है तो दुनिया की ताकत बढ़ती है। फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की भूमिका में भारत ने मुश्किल समय में पूरी दुनिया का साथ दिया है, अनेकों देशों को दवाइयां भेजी हैं। भारत के पास स्केल और स्पीड के साथ-साथ शेयर और केयर के संस्कार भी हैं। इसलिए वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की कैपेसिटी में निवेश करना पूरी दुनिया के हित में है।
LIFE – यानि Lifestyle for environment को प्रमोट करने का समय सबसे बड़ी मांग है। उपयोग करो और फेंक दो ‘Use and throw’ वाला विचार ग्रह के लिए नकारात्मक है।
डेनमार्क भारत की श्वेत क्रांति में हमारे साथ था, अब हमारे ग्रीन फ्यूचर में मज़बूत साझेदार बन रहा है। हमारे बीच इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन हाईड्रोजन, वेस्ट – टू- वेल्थ, सतत शहरीकरण, ग्रीन शिपिंग, विज्ञान, तकनीक, इनोवेशन में सहयोग की अनंत संभावनाएं हैं।
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