उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र धार्मिक परम्पराओं, लोक पर्व और सामाजिक विषयों के संरक्षण के प्रति जन जागरण के लिए गोलज्यू संदेश यात्रा शुरू की गई है। करीब 2200 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस यात्रा का जगह-जगह अभूतपूर्व स्वागत हो रहा है।
कुमायूं में गोलज्यू को न्याय के देव के साथ-साथ संस्कृति की रक्षा के लिए भी पूजा जाता है। मान्यता है कि कोई भी शुभकार्य बिना गोलज्यू को ध्यान में रख कर संपन्न नहीं हो सकता। उत्तराखंड के कुमायूं और गढ़वाल के कुछ क्षेत्रों में गोलज्यू देव का ही राज चलता है। गोलज्यू को पूज्य देव मानते हुए पिथौरागढ़ जिले के अंतिम गांव बोनागांव से गोलज्यू संदेश यात्रा का शुभारंभ 25 अप्रैल 2022 को हुआ है।
कई विषयों पर ली जा रही राय
यह यात्रा लगभग 2200 किलोमीटर का सफर तय करेगी और प्रत्येक पड़ाव में उत्तराखंड की संस्कृति संरक्षण व संवर्धन हेतु जन जागरण अभियान के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कैसे हो ? शिक्षा के क्षेत्र में कैसे सुधार हो? कृषि को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है? ऐसे कई विषयों पर पंचायत लगाकर राय भी ली जा रही है। पड़ाव में गोलज्यू मंदिरों में जाकर परंपरागत तरीके से उनका पूजन भी हो रहा है और राज्य के समृद्ध विकास के लिए प्रार्थना भी की जा रही है।
उत्तराखंड के विकास के लिए आगे बढ़ना है
गोलज्यू संदेश यात्रा के संयोजक विजय भट्ट ने बताया कि समय-समय पर हमें अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं को स्मरण करते हुए उत्तराखंड के विकास के लिए आगे बढ़ना है। ये देव भूमि है हमारे मंदिर, हमारे देवालय, हमारे आश्रम, शक्तिपीठ आदि संरक्षित सुरक्षित रहें। यहां श्रद्धालुओं का आना जाना सुविधाजनक हो। हम तीर्थाटन से अपनी आर्थिकी को जोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि हर पड़ाव में गोलज्यू संदेश यात्रा का स्थानीय लोगों द्वारा आस्था के साथ स्वागत किया जा रहा है। और यह यात्रा 6 मई को घोड़ाखाल के गोलज्यू मंदिर में समाप्त होगी। इसमे हमने जो भी संकल्प लिए हैं स्थानीय लोगों से सुझाव लिए हैं, उन्हें उत्तराखंड सरकार के समक्ष रखे जाएंगे।
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