हलाला समाज के लिए एक अभिशाप है। सामाजिक कार्यकर्ता फरहत नकवी हलाला करने वालों के खिलाफ बलात्कार के मुकदमे भी दर्ज करा चुकी हैं। बरेली की निदा खान भी हलाला के विरुद्ध आन्दोलन चला रही हैं, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को इस संत्रास से मुक्ति नहीं मिल पाई है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद का है।
रायबरेली के मिल एरिया में एक मुस्लिम महिला को उसके पति और देवर ने पांच बार तलाक दिया। दो बार उसका हलाला भी किया गया। तीसरी बार बहनोई के साथ हलाला कराने का दबाव बनाया गया तो महिला मायके लौट आई और पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी। पीड़िता ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधीक्षक से न्याय की मांग की है।
पीड़िता का निकाह वर्ष 2015 में मोहम्मद आरिफ के साथ हुआ था। पीड़िता का आरोप है कि निकाह के बाद ससुरालियों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। दहेज की मांग को लेकर जब विवाद काफी बढ़ गया तब उसके पति ने उसे तलाक दे दिया। उस समय पीड़िता ने पुलिस में शिकायत करने का प्रयास किया। इस बीच ससुराल वालों ने उस पर हलाला के लिए दबाव बनाया और 21 अक्टूबर 2016 को उसका निकाह देवर जाहिद से कराने के बाद हलाला कराया गया। हलाला होने के बाद देवर जाहिद ने उसे तलाक दिया। उसके बाद 23 मार्च 2017 को दोबारा उसका निकाह आरिफ से हुआ।
कुछ समय बाद फिर विवाद हुआ। आरिफ ने फिर से तलाक दे दिया और पीड़िता को घर से निकाल दिया। कुछ समय बीतने के बाद दोनों तरफ के लोगों ने बातचीत करके समझौता कराया। पीड़िता का दुबारा निकाह उसके देवर जाहिद से कराया गया। जाहिद ने हलाला के बाद फिर से तलाक दिया। तीसरी बार वर्ष 2021 में पीड़िता का आरिफ से निकाह हुआ। इसके बाद हद तो तब हो गई जब आरिफ ने वर्ष 2022 के मार्च माह में तीसरी बार तलाक दे दिया। इसके बाद उस महिला पर दबाव बनाया गया कि आरिफ के बहनोई के साथ हलाला कराए फिर उसके बाद आरिफ से निकाह कराया जाएगा।
ससुराल वालों की हरकत से तंग आकर तीन अप्रैल को पीड़िता ने पति आरिफ, सास नसरीन, देवर बबलू, देवरानी बुद्धन, देवर जाहिद, जीजा बुधई एवं अन्य के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराई।
एफआईआर में भी उन्होंने शीरान रजा खान को नामजद किया था। मोईन सिद्दीकी ने मेरा हक़ फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी और निदा खान के खिलाफ फतवा जारी किया था कि उनकी चोटी काट कर लाने वाले को 11 हजार 786 रूपये का इनाम दिया जाएगा।
जब निदा खान को इस्लाम से खारिज किया गया
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में तलाक और हलाला पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहीं आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान के खिलाफ लगातार दो फतवे जारी किेए गए। पहले फतवे में उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया गया। दूसरे फतवे में निदा खान और मेरा हक़ फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी को देश से बाहर निकालने एवं चोटी काटने पर इनाम घोषित किया गया। निदा खान ने बरेली जनपद के थाना बारादरी में फतवा जारी करने वालो के खिलाफ अलग-अलग दो एफ.आई.आर दर्ज कराई थी। निदा खान ने दोनों एफ.आई.आर में फतवा जारी करने वाले मौलानाओं के साथ-साथ अपने पति को भी नामजद किया था। निदा खान का आरोप है कि फतवा जारी कराने की साजिश उनके पति ने रची थी।निदा ने अपनी शिकायत में शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम, फतवा तहरीर करने वाले काजी मुफ्ती अफजाल रज़वी और अपने पति शीरान रज़ा खान को नामजद किया था। निदा खान ने शीरान रजा खान पर षड्यंत्र रच कर फतवा जारी कराने का आरोप लगाया था। उन्होंने फैजाने मदीना खान काउंसिल के अध्यक्ष मोईन सिद्दीकी के खिलाफ भी बरेली जनपद के थाना बारादरी में एक दूसरी एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में भी उन्होंने शीरान रजा खान को नामजद किया था। मोईन सिद्दीकी ने मेरा हक़ फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी और निदा खान के खिलाफ फतवा जारी किया था कि उनकी चोटी काट कर लाने वाले को 11 हजार 786 रूपये का इनाम दिया जाएगा।
उस समय निदा खान ने पांचजन्य को बताया था कि उनका निकाह वर्ष 2015 में हुआ था। कुछ ही समय बाद उनके ससुराल वाले उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे। दहेज न मिलने पर ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया और उनके पति ने भी उन्हें तलाक दे दिया। निदा खान का आरोप है कि अक्सर शीरान उनके खिलाफ फर्जी तलाकनामा और फतवे जारी कराने सरीखी साजिशों में शामिल रहते हैं। निदा खान कहती है, ” तत्काल तीन तलाक और हलाला गलत है और मैं इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रही हूं, मगर मेरे पति शीरान रज़ा ने फतवा जारी करा दिया। फतवे में कहा गया कि मुझे इस्लाम से खारिज कर दिया जाए। जिंदा न रहने दिया जाए। फतवा जारी करने के बाद मेरे परिवार को खतरा है। सुन्नी मुसलमान फतवे की वजह से मेरे खिलाफ हो गए हैं। फतवे के बाद से मेरा परिवार परेशान है। हम लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया गया है।”
ससुर से हलाला के बाद देवर से हलाला की शर्त पर भड़कीं शबीना
बरेली जनपद की एक पीड़ित महिला शबीना खान की शादी वसीम नाम के युवक से हुई थी। महिला ससुराल में आई तो उसका पति वसीम किसी न किसी बात को लेकर उसके साथ मारपीट करता था। शबीना का कहना है कि उसकी शादी वर्ष 2009 में बरेली के मुरावपुरा के रहने वाले वसीम के साथ हुई थी। शादी के कुछ वर्ष बाद ही वसीम उसको प्रताड़ित करने लगा और करीब दो साल बाद वर्ष 2011 में वसीम ने उसको तीन बार तलाक कह कर उसे तलाक दे दिया।” तलाक दिए जाने के बाद उसके पास कोई सहारा नहीं था। शबीना के मायके वालों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। कुछ समय बीत जाने के बाद उसके पति वसीम से कई बार अनुरोध किया गया। तब वसीम दोबारा निकाह के लिए तैयार हो गया मगर इस्लाम के अनुसार उसने अपनी बीवी के सामने शर्त रखी कि उसे हलाला करना होगा। हलाला की शर्त सुनकर वह चौंक गई। शबीना के पास और कोई रास्ता नहीं था। जीवन – यापन के लिए वह अपने पति वसीम पर ही आश्रित थी। विवश होकर उसने हलाला की शर्त को स्वीकार कर लिया। वसीम ने अपने पिता के साथ उसे हलाला के लिए भेज दिया। शबीना अपने ससुर से हलाला करने के बाद अपने ससुराल में रहने लगी। शबीना का आरोप है कि दोबारा जब निकाह हुआ तो वसीम फिर से अपने पुराने ढर्रे पर आ गया और आये दिन मारपीट करने लगा। घर के खर्च के लिए पैसे मांगने पर भी मारपीट करता था।
वसीम ने इस बार अपने भाई से हलाला करने की शर्त रखी। शबीना देवर से हलाला के लिए तैयार नहीं हुई। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद उसने देवर के साथ हलाला के लिए मना कर दिया । इसके बाद वह अपनी बहन के घर रहने चली आई और अपने पति के खिलाफ मारपीट करने और घर से निकालने की एफआईआर दर्ज करा दी।
दोबारा निकाह के बाद दोनों लोगों के हालात में कोई बदलाव नहीं आया। आये दिन झगड़ा करने के बाद वसीम ने उसे फिर से तलाक दे दिया। दोबारा तलाक देने के बाद फिर से शबीना की स्थिति खराब हो गई। दोबारा फिर उसने अपने पति को मनाने की कोशिश की। पति काफी समय बाद फिर से दोबारा शादी को तैयार हुआ मगर उसने अपनी धार्मिक कट्टरता को नहीं छोड़ा। तलाक के बाद शादी के लिए फिर से उसने हलाला करने की शर्त रखी। वसीम ने इस बार अपने भाई से हलाला करने की शर्त रखी। शबीना देवर से हलाला के लिए तैयार नहीं हुई। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद उसने देवर के साथ हलाला के लिए मना कर दिया और अपने अधिकार के लिए लड़ने का फैसला किया। इसके बाद वह अपनी बहन के घर रहने चली आई और अपने पति के खिलाफ मारपीट करने और घर से निकालने की एफआईआर दर्ज करा दी।
पीड़ित शबीना का कहना है कि पहली बार तलाक होने के बाद उसने ससुर से हलाला कर लिया था क्योंकि उसके पास ओर कोई विकल्प नही था मगर दोबारा निकाह के पहले देवर के साथ हलाला की शर्त से वह बहुत ज्यादा शर्मिन्दा महसूस कर रही हैं। वह किसी भी कीमत पर देवर के साथ हलाला नहीं करेगी। अब उसकी एक ही इच्छा है कि उसके पति को हर हाल में सजा मिले.
दोस्त से हलाला, दोबारा तलाक के बाद चार बच्चों के साथ भटकने को विवश
बरेली जनपद की निशा खान के साथ भी इसी तरह की घटना हुई। पहले तलाक हुआ फिर किसी तरह से समझौता हुआ। उसके साथ हलाला की शर्त रखी गई। हलाला की शर्त मान लेने के बाद दोबारा शादी हुई मगर पति ने कुछ दिन बाद फिर से तलाक दे दिया। निशा खान का विवाह बरेली जनपद के रहने वाले अकबर के साथ वर्ष 1999 में हुआ था। शादी के बाद पारिवारिक जीवन में काफी कलह रहने लगी। अकबर रोज रात में घर शराब पीकर आता था और झगड़ा करने के बाद मारता-पीटता था। काफी ज्यादा तनाव बढ़ जाने पर अकबर ने निशा खान को एक दिन तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया। वर्ष 2010 में तलाक हो जाने के बाद निशा खान के साथ विवशता थी कि पति के घर के अलावा उसके पास कोई ठिकाना नहीं था। मायके वाले ऐसी स्थिति में नहीं थे कि निशा खान का आगे का खर्च उठा पाते। पांच वर्ष बाद किसी तरह से समझौता हुआ। अकबर ने इस्लाम के अनुसार हलाला की शर्त रखी। निशा को पहले तो अटपटा लगा मगर इस्लामिक नियम को देखते हुए उसने हामी भर दी। अकबर ने अपने दोस्त अफरोज से उसका हलाला कराया। वर्ष 2017 में एक दिन अकबर ने दोबारा तलाक देकर निशा को मार-पीटकर घर से निकाल दिया। इस दौरान निशा के चार बच्चे हुए। चारों बच्चों के साथ निशा इन्साफ के लिए अब थाना- कचहरी के चक्कर लगा रही है।
दुकान मालिक से हलाला कराया उसके बाद फिर तलाक
मीना की शादी बरेली के अहमद अली तालाब निवासी मुन्ना से वर्ष 2010 में हुई थी। मीना के दो बच्चे हुए। करीब तीन साल बाद दो छोटे बच्चों की परवाह ना करते हुए मुन्ना ने मीना को तलाक दे दिया। मीना दो साल तक तलाकशुदा जिन्दगी गुजारने के बाद फिर से अपने पति मुन्ना के यहां पहुची तो इस्लाम के मुताबिक़ उसे भी हलाला की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। मुन्ना जिस दुकान में नौकरी करता था उस दुकान मालिक से मीना का हलाला कराया। फिर से शादी हो गई मगर दुबारा शादी भी कुछ ही महीने चल पाई। वर्ष 2016 में मुन्ना ने फिर से मीना को तलाक दे दिया।
देवर से हलाला के बाद दोबारा दे दिया तलाक
नजमा की आपबीती भी कुछ इसी तरह की है। नजमा का विवाह बरेली के पुराने शहर मे रहने वाले हसीब से हुआ था। नजमा का आरोप है कि घर के खर्च के पैसे मांगने पर हसीब मारपीट करता था। इस बीच हसीब, नजमा और दो बच्चों को छोड़कर जयपुर नौकरी करने चला गया। घर चलाने के लिए नजमा एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगी। वर्ष 2015 में हसीब ने नजमा को तलाक दे दिया। उसके बाद किसी तरह समझौता हुआ तो उसने अपने भाई से हलाला कराया। नजमा देवर से हलाला के बाद फिर से ससुराल में आई मगर वर्ष 2016 में फिर से हसीब ने उसे तलाक दे दिया।
तलाक के बाद दी गई प्रताड़ना से हुई रजिया की मौत
बरेली जनपद में तलाक की पीड़िता को इस कदर प्रताड़ना दी गई कि उसने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रजिया की शादी वर्ष 2005 में नईम से हुई थी। वर्ष 2012 में रजिया के एक बेटा भी हुआ। रजिया की बहन सारा का आरोप है कि करीब दो महीने पहले नईम ने तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया। आरोप है कि तलाक देने के बाद नईम ने रजिया को एक घर में कैद कर रखा था और उस दौरान उसे भूखा रखा गया था। रजिया की राड से पिटाई की गयी थी जिसकी वजह से उसको गंभीर चोट भी आई थी। एक महीने के बाद जब रजिया की हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो नईम ने उसे घर से निकाल दिया। रजिया की बहन सारा और सामाजिक संस्था “मेरा हक़” की संचालक फरहत नकवी की मदद से रजिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में रजिया का एक महीने तक इलाज चला मगर उसे बचाया नहीं जा सका। रजिया जिन्दगी की जंग हार गयी। फरहत नकवी ने पांचजन्य को बताया कि नईम ने रजिया के ऊपर बहुत जुल्म किया था। रजिया के ससुराल वाले दहेज मांगते थे। मांग पूरी ना कर पाने में रजिया के घर वाले सक्षम नहीं थे। दहेज़ नहीं मिलने पर नईम और उसके घर वालों ने रजिया को मारा-पीटा, जिसकी वजह से उसको गंभीर चोट लगी। फरहत नकवी ने कहा कि रजिया ने आखिरी वख्त में मुझसे हाथ जोड़ कर यह कहा था कि मेरे बच्चे को वापस बुला लीजिएगा और मेरे पति को सजा जरूर मिलनी चाहिए।
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