एटा शहर की जानी मानी जलेसर दरगाह एक बार फिर से सुर्खियों में है। दरगाह के इंतजामिया कमेटी के लोगों ने सरकारी जमीन बेचकर मुस्लिम बस्ती को बसा दिया है, अब जब सरकार ने जांच पड़ताल शुरू की तो हडकंप मच गया।
जलेसर दरगाह के पास पिछले दिनों खुदाई में हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली थी,जिसे खुद डीएम ने वहां जाकर देखा और बाद में मूर्तियों को अपने कार्यालय में सुरक्षित रखवा दिया और इसकी जांच परख के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा।
बता दें कि क्षेत्रीय विधायक संजीव दिवाकर और जलेसर देहात ग्राम पंचायत प्रधान शीलेंद्र सिंह भी इस स्थान पर शनिदेव मंदिर का दावा कर चुके हैं। उनका कहना है कि प्राचीन काल से इस स्थान पर शनिदेव का मंदिर स्थापित था। बाद में दरगाह कमेटी से जुड़े लोगों ने अतिक्रमण कर निर्माण कर लिया। धीरे-धीरे मंदिर का अस्तित्व खत्म करते गए और अब इन्होंने यहां दरगाह बना डाली।
अभी ये मामला सुर्खियों में ही था कि बड़े मियां दरगाह के पास सरकारी जमीन पर अवैध मुस्लिम बस्ती बना लेने की खबरे सामने आ गयी। जानकारी के मुताबिक बड़े मियां जलेसर दरगाह के पास मोहल्ला सादात किला की सरकारी जमीन पर सालों तक अवैध कब्जे किये गए, इस जमीन को पहले दरगाह कमेटी अपना बता कर लोगों को बेचती रही जिससे यहां बड़ी संख्या में पक्के मकान खड़े होते रहे।
जानकारी के मुताबिक ये मामला विधायक की शिकायत पर जिला प्रशासन तक पहुंचा। जब प्रशासन ने जांच पड़ताल की तो पता चला कि ये दरगाह की नही सरकारी जमीन है।
जानकारी के मुताबिक यहां 110 मकान है जो सालों से खरीद बिक्री में चढ़ते रहे और इसमे दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अकबर अली और उनके पदाधिकारियों ने मोटी रकम बनाई। कमेटी के इन्ही कर्ता धर्ताओं पर 99 करोड़ की हेराफेरी करने के आरोप में पहले से ही एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अकबर अली सहित कुल नौ आरोपी फरार है।
उपजिलाधिकारी अलंकार अग्निहोत्री ने बताया कि जमीन सरकारी है, दस्तवेज़ों में दर्ज है दरगाह कमेटी के सदस्यों ने इसे बेच दिया था इसलिए इनपर भू माफिया कानून के तहत कारवाई किये जाने पर विचार चल रहा है। ज़मीन की पैमाइश हो चुकी है करीब पांच एकड़ में 110 मकान सरकारी जमीन पर बने हुए है। इसे सरकार खाली करवाएगी। बेहतर यही है की लोग खुद इन्हें छोड़ कर चले जाएं।
बरहाल एटा प्रशासन इस बस्ती को बुल्डोजर से ध्वस्त करने की योजना बना चुका है, और यहाँ रहने वाले अतिक्रमणकारी पहले तो इस बात से अनिभिज्ञ दिखे कि ये सरकार की ज़मीन है, जब उनसे ज़मीनों की रजिस्ट्री, दाखिल खारिज दिखाने को कहा तो वो घरों में छुप गए।
एसडीएम का बयान
ज़मीन सरकारी है, दरगाह की नही,कब्जेदारों को खाली करने जा नोटिस दिया गया है, दूसरी बात ये है कि सरकारी जमीन बेचने वाले दरगाह कमेटी के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इनके पास 12 शास्त्र लाइसेंस भी है जिन्हें रद्द करने के लिए डीएम को संस्तुति की गई है। हम आरोपियों को मौका दे रहे है कि वो हमारे सामने आकर अपना जुर्म कबूल ले। अन्यथा कानून अपना काम करेगा।
: अलंकार अग्निहोत्री, एसड़ीएम एटा
टिप्पणियाँ