कहा जाता है कि बदलाव ही एकमात्र स्थायी चीज है। ट्विटर पर जल्दी ही होने वाले बदलाव से यह बात फिर साबित होने जा रही है। लेकिन कौन-सा बदलाव? यह बात समझने से पहले आपको दो साल पीछे ले चलते हैं। ट्विटर के संस्थापक व पूर्व सीईओ जैक डोरसी कई साल से यह बात दोहराते आ रहे हैं कि वे ट्विटर पर टिप्पणियों को संपादित करने की सुविधा नहीं देंगे। 2018, 2019 व 2020 में उन्होंने यह बात बार-बार दोहराई, क्योंकि उनकी नजर में ऐसा करने का मतलब यह होगा कि किसी टिप्पणी को पोस्ट करने के बाद उसका मतलब बदल दिया जाना। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि विवादित टिप्पणी पोस्ट करने व अच्छा खासा विवाद खड़ा करने के बाद आप उसे संपादित करके चुटकियों में सारा सबूत मिटाकर पतली गली से निकल जाएं, यह न आपके लिए उचित है, न कानून के लिए और न ही ट्विटर के लिए।
ट्विटर पर टिप्पणियों को संपादित करने की इजाजत नहीं थी, जबकि फेसबुक व लिंक्डइन जैसे दूसरे मंच इसकी अनुमति देते हैं। लिंक्डइन पर तो संपादित टिप्पणियों के साथ संपादित शब्द जोड़ा जाता है, पर फेसबुक पर तो वह भी नहीं होता। इंस्टाग्राम, मीडियम, यूट्यूब आदि पर भी यह सुविधा है और उसका कोई बड़ा दुष्प्रभाव देखने को मिला हो, ऐसा नहीं है। वैसे दुरुपयोग किया जा सकता है, यह सोच पूरी तरह गलत भी नहीं है। मिसाल के तौर पर आप किसी बदनाम शख्स के बारे में टिप्पणी करें और बाद में उसकी जगह किसी नामचीन शख्स का नाम डाल दें। किसी की आपत्तिजनक चित्र डाल दें, फिर उसे बदलकर दूसरा चित्र लगा दें। ऐसे में टिप्पणी तो बदली ही, जिन लोगों ने इस पर प्रतिक्रियाएं कीं, उनके साथ भी नाइंसाफी होगी।
इंटरनेट पर डाली गई हर सूचना किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं सुरक्षित हो ही जाती है या कर ली जाती है।
इन सबके बावजूद ट्विटर के प्रयोक्ताओं की मांग को नकारते हुए जैक डोरसी ने 2020 में कहा था कि संपादन
की सुविधा शायद कभी नहीं आएगी।
दूसरी तरफ संपादन की जरूरत है, यह दलील भी अपनी जगह पर जायज है। यह कितना आम है कि कोई टिप्पणी करने के बाद हमें अहसास होता है कि उसमें कोई गलत तथ्य, वर्तनी की गलती, अनुचित भाषा या किसी के बारे में आपत्तिजनक बात चली गई है। हालांकि लोग अपनी टिप्पणियों को डिलीट तो आज भी कर सकते हैं, लेकिन उनके साथ तमाम प्रतिक्रियाएं, सवाल, जवाब और लाइक्स भी चले जाते हैं। सब कुछ बरकरार रखते हुए संपादन की सुविधा मिले तो कई उलझनें दूर हो जाएं।
सवाल है कि आखिर क्यों एक सोशल नेटवर्किंग मंच जिस सुविधा को जायज मानता है, उसे दूसरा नाजायज मानता है? शायद इसलिए कि ट्विटर काफी हद तक एक राजनीतिक औजार बन चुका है और नामचीन लोगों की सूचनाओं का आधिकारिक ठिकाना भी। उस पर टिप्पणियां अनगिनत खबरें बना देती हैं और कितने ही लोगों को उठा या गिरा चुकी हैं। संपादन की सुविधा आने पर शायद बहुत से लोग राहत की सांस लेंगे, लेकिन बहुत से दूसरे तकलीफ में पड़ जाएंगे। हालांकि किसी गलत टिप्पणी के सबूत पूरी तरह खत्म होने की आशंका नहीं है, क्योंकि हर टिप्पणी ट्विटर में सहेजी जा चुकी होती है और संपादन का मतलब यह नहीं है कि मूल टिप्पणी उसके डेटाबेस से भी डिलीट हो गई है। इंटरनेट पर डाली गई हर सूचना किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं सुरक्षित हो ही जाती है या कर ली जाती है। इन सबके बावजूद ट्विटर के प्रयोक्ताओं की मांग को नकारते हुए जैक डोरसी ने 2020 में कहा था कि संपादन की सुविधा शायद कभी नहीं आएगी।
जैक डोरसी की जगह भारतीय पराग अग्रवाल अब ट्विटर के नए सीईओ हैं। उनके आने के बाद ट्विटर का रुख बदला है। पिछले एक अप्रैल को ट्विटर ने कहा था कि वह संपादन बटन पर काम कर रहा है, पर ‘अप्रैल फूल’ के दिन ज्यादार लोगों ने इसे मजाक समझा था। अब ट्विटर ने संपादन बटन लाने की घोषणा की है। हाल ही में विख्यात उद्यमी एलन मस्क ने ट्विटर में 9.2 प्रतिशत की भारी-भरकम हिस्सेदारी खरीदी है और इसके सबसे बड़े शेयरधारक बन गए हैं। ट्विटर में निवेश के बाद उन्होंने सबसे पहले इसके प्रयोक्ताओं से यही सवाल पूछा कि क्या वे इस माइक्रोब्लॉगिंग मंच पर संपादन का बटन चाहते हैं? कहने की जरूरत नहीं है कि भारी संख्या में लोगों ने कहा-हां।
ट्विटर के नए सीईओ और सबसे बड़े निवेशक की राय का पालन स्वाभाविक है। ट्विटर ने कहा है कि शुरुआत में वह ट्विटर ब्लू नामक सेवा के उपभोक्ताओं को संपादन की सुविधा देने जा रहा है। यह सुविधा किस रूप में आएगी और क्या हमें कुछ खास मिनटों के भीतर ही टिप्पणी को संपादित करना होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है (जैसे व्हाट्सएप्प पर अपनी टिप्पणी को डिलीट करने के लिए आपको लगभग एक घंटा आठ मिनट का समय मिलता है)। क्या संपादित टिप्पणियों की अलग से पहचान की जाएगी? पता नहीं। लेकिन इस छोटी-सी सुविधा के बाद ट्विटर वैसा नहीं रह जाएगा, जैसा आज हम उसे जानते हैं।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक-भारतीय भाषाएं और सुगम्यता के पद पर कार्यरत विख्यात तकनीकविद् हैं)
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