राजनेताओं की मुफ्तखोरी का असर पंजाब रोडवेज पर पड़ना शुरू हो चुका है। डीजल बिल का समय पर भुगतान कर पाने में अक्षम दिखाई दे रही पंजाब रोडवेज अब बसों पर लगे फास्टैग भी रिचार्ज नहीं करवा पा रही है। पंजाब रोडवेज की आर्थिक जर्जरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली की तरफ बस लेकर जा रहे कंडक्टर पहले यात्रियों को टिकट बेचते हैं और उसके बाद कुछ पैसे से टोल प्लाजा पर जाकर टोल का भुगतान करते हैं।
टोल प्लाजा पर पहुँचने के बाद भुगतान करने में भी रोडवेज को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। पंजाब रोडवेज की बसों पर लगे फास्टैग एडवांस में रिचार्ज ही नहीं होते हैं। जब बस बिना रिचार्ज फास्टैग के टोल प्लाजा पर पहुंच जाती है तो फिर नियम के मुताबिक दोगुना भुगतान करना पड़ रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जालंधर से दिल्ली की तरफ रवाना होने वाली बस को न्यूनतम क्या टोल प्लाजा क्रॉस करने पड़ते हैं और उन सभी पर ही बस को दोगुना भुगतान करना पड़ रहा है। ऐसा ही दुगना भुगतान बस को दिल्ली से वापस जालंधर आते हुए भी टोल प्लाजा पर करना पड़ रहा है।
पंजाब रोडवेज की आर्थिक और जर्जर हालत का कारण ताकि मुख्य बाजार पंजाब सरकार की तरफ से विभिन्न वर्गों को दी जाने वाली निशुल्क यात्रा सुविधा का भुगतान न किया जाना ही बना है। सरकार की तरफ पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी के लगभग ढाई सौ करोड रुपए बकाया पड़े हुए हैं और नि शुल्क यात्रा लगातार जारी है। हालात यह हो गए हैं कि डीजल भरवाने और फास्टैग रिचार्ज करवाने तक के भी पैसे रोडवेज के पास नहीं हैं।
पंजाब रोडवेज के एक अधिकारी ने कहा कि जब बकाया ही सरकार की तरह पेंडिंग है तो फिर मांगने की हिम्मत कैसे जुटा सकता है। रोडवेज मुख्यालय से लेकर परिवहन मंत्री तक इस बात से अवगत हैं कि रोडवेज आर्थिक संकट में चल रही है।
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