आईएएस संजीव वर्मा ने एक जांच रिपोर्ट के आधार पर अशोक खेमका के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी। खेमका पर आरोप है कि उन्होंने वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में एमडी के पद पर रहते हुए गलत तरीके से भर्तियां की थी। संजीव वर्मा ने इस संबंध में हरियाणा के मुख्य सचिव को भी कार्रवाई के लिए लिखा था।
संजीव वर्मा ने अपनी शिकायत पुलिस में दी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी संजीव कौशल को भी भेजी थी। आईएएस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कराने से पहले सरकार से इसकी मंजूरी लेनी होती है।
संजीव वर्मा ने 20 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी थी। इसी बीच यह रिपोर्ट लीक हो गई। जैसे ही मीडिया में यह खबर लीक हुई तो अशोक खेमका ने तुरंत ही संजीव वर्मा पर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एक शिकायत पंचकुला पुलिस को दे दी। रिपोर्ट में बताया गया कि खेमका ने एचएसडब्ल्यूसी के एमडी रहते हुए दो अधिकारियों की नियुक्ति में अनियमितता बरती थी। 12 साल पुराने इस मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश संजीव वर्मा ने की थी। सरकार ने संजीव वर्मा की रिपोर्ट पर अभी निर्णय नहीं लिया था। इसलिए पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।
इधर खेमका ने आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा पर सरकारी वाहन के दुरूपयोग का आरोप लगाया था। इस मामले में उन्होंने भी एक शिकायत पुलिस में दे रखी थी। इस पर भी पलिस ने कुछ नहीं किया। इसी बीच मंगलवार को अशोक खेमका ने गृह मंत्री अनिल विज से इस मामले में संपर्क किया। उन्होंने अनिल विज को एक एसएमएस कर मामले की जानकारी दी। इस पर स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज पंचकूला के डीसीपी कार्यालय पहुंचे। उनके साथ अशोक खेमका भी थे। विज ने पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा को शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज करने के आदेश दिए। तब पुलिस ने अशोक खेमका और संजीव वर्मा दोनों की शिकायत पर एक दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
खेमका का तर्क उनके खिलाफ गलत शिकायत दी है
1991 बैच के अधिकारी खेमका वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी हैं और उनके द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि 12 साल पुराने मामले में, एचएसडब्ल्यूसी के एमडी और आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा के कहने पर उनके (खेमका) के विरुद्ध गलत शिकायत दर्ज की गई।
काबिल ए गौर है कि अशोक खेमका की छवि काफी ईमानदार अधिकारी की रही है। लेकिन अब जिस तरह से उन पर आरोप लग रहे हैं,इससे उनकी छवि को धक्का लग रहा है। ब्यूरोक्रेसी में चर्चा इस बात की है कि अभी तक अशोक खेमका अपने पत्रों से दूसरों को परेशान करते रहे हैं। यह पहला मौका है, जब उनके खिलाफ पत्र लिखे जा रहे है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे हैं। पूरा मामला ब्यूरोक्रेसी में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जानकारों का कहना है कि इस बार खेमका को दिक्कत आ सकती है। क्योंकि संजीव वर्मा ने जो आरोप लगाए हैं, वह काफी संगीन नजर आ रहे हैं। जिस तरह से खेमका के खिलाफ सरकार ने मंगलवार को ही एफआईआर दर्ज करने की हामी भरी, इससे भी लग रहा है कि किसी न किसी स्तर पर सरकारी गलियारों में भी खेमका की कोशिश से सरकार खुश नहीं है। क्योंकि इस विवाद से ब्यूरोक्रेसी की छवि पर विपरीत असर पड़ा है।
हालांकि खेमका का दावा है कि उन पर जो भी आरोप लगाए गए, वह पूरी तरह से गलत है। इन दावों में कोई दम नहीं है। खेमका ने संजीव वर्मा पर सरकारी वाहन के दुरुपयोग करने के आरोप भी लगाए हैं। अब इस पूरे मामले में सभी की नजर पुलिस पर टिकी हुई है। पुलिस आखिर करती क्या है? जानकारों का कहना है कि पुलिस के लिए भी इस मामले की जांच आसान नहीं है। क्योंकि एक ओर आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा है तो दूसरी ओर अशोक खेमका। इसलिए पुलिस की जांच टीम पूरे मामले में फूंक फूंक कर कदम रख रही है। देखना यह होगा कि अब एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस की अगली कार्यवाही क्या होती है। फिलहाल तो ऐसा लग रहा है कि दोनों अधिकारियों का यह टकराव अभी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ सकता है।
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