एक गुमनाम शिकायती पत्र की जांच में यह खुलासा हुआ कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में उर्दू सहायक अध्यापक प्रियंका यादव ने प्रियंका प्रजापति के नाम पर नौकरी हासिल की थी. जांच में पाया गया प्रियंका प्रजापति कन्नौज की रहने वाली है और वे वर्तमान समय में लंदन में रहती है. प्रियंका यादव की सेवा समाप्त कर दी गई है. इस अपराधिक कृत्य के लिए एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है.
उल्लेखनीय है कि प्रियंका यादव अभी तक करीब 38 लाख रुपये वेतन के रूप में आहरित कर चुकी है. उसके द्वारा किये गए फ्राड की शिकायत एक गुमनाम पत्र द्वारा की गई थी. उस शिकायती पत्र पर कार्रवाई आगे बढाते हुए शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की.
संयुक्त शिक्षा निदेशक कामता राम पाल के अनुसार, शैक्षणिक कागजातों के सत्यापन के दौरान यह प्रकरण संज्ञान में आया. सत्यापन के दौरान शिकायत सही पाई गई. प्रियंका यादव की सेवा समाप्त कर दी गई है. इसके साथ ही थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
समिति ने प्रियंका यादव के प्रकरण में पाया कि विंध्याचल मंडल में वर्ष 2014 में उर्दू सहायक टीचर के लिए भर्ती निकली थी जिसमे प्रियंका यादव ने प्रियंका प्रजापति के नाम पर सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी हासिल की थी.जब विभाग को शिकायत मिली तो विभाग की ओर से प्रियंका यादव के मूल पते पर पत्र भेजा गया. प्रियंका यादव के नाम से जब पत्र पहुंचा तो मनोज प्रजापति ने लिखकर बताया कि उनकी बेटी प्रियंका प्रजापति वर्ष 2019 से लंदन में रहती है. प्रियंका प्रजापति कहीं पर भी नौकरी नहीं करती है. उस पते पर मनोज प्रजापति का उत्तर आने के बाद यह साफ़ हो गया कि प्रियंका यादव ने प्रियंका प्रजापति की डिग्री लगाकर फ्राड तरीके से उर्दू शिक्षक की नौकरी हासिल की थी.
संयुक्त शिक्षा निदेशक कामता राम पाल के अनुसार, शैक्षणिक कागजातों के सत्यापन के दौरान यह प्रकरण संज्ञान में आया. सत्यापन के दौरान शिकायत सही पाई गई. प्रियंका यादव की सेवा समाप्त कर दी गई है. इसके साथ ही थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
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