उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए बड़ी कार्य योजना बनाई है. सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है. लखनऊ में डिजिटल फॉरेंसिक लैब और हर जोन स्तर पर साइबर फॉरेंसिक लैब की स्थापना का भी प्रस्ताव है. 18 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों में पिछले पांच वर्षों में 863 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें 586 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई है और आरोपियों से चार करोड़ से अधिक धनराशि बरामद की गई है.इसके अतिरिक्त करीब सात अरब की धनराशि को बैंक खातों में फ्रीज कराया गया है और करीब 11 करोड़ रुपए पीड़ितों के खातों में वापस कराए गए हैं.
पिछले पांच वर्षों में 18 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई और इन थानों में 414 पदों का सृजन किया गया है जबकि प्रदेश में पांच वर्ष पहले लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में मात्र दो साइबर क्राइम थाने हुआ करते थे. हर परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों में महिला साइबर क्राइम सेल की स्थापना की गई है. साइबर क्राइम की भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
लंबित अभियोगों के तेजी से गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए कर्मचारियों को साइबर क्राइम मुख्यालय पर ट्रेनिंग दी जा रही है. आगामी वर्षो में 18 परिक्षेत्रीय साइबर थानों को अपने प्रशासनिक भवनों में संचालित किया जाएगा. इसके साथ ही अन्य जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. साइबर क्राइम मुख्यालय पर शोध, प्रशिक्षण और विवेचना में तकनीकी सहायता के लिए साइबर विशेषज्ञ से सहायता ली जाएगी और मुख्यालय पर उच्च कोटि का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस विकसित किया जाएगा. इसके साथ ही हर जिले में सर्टिफाइड क्राइम प्रिवेंशन स्पेशलिस्ट (सीसीपीएस) की स्थापना की जायेगी.
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