व्यक्ति पर विचारधारा और संस्कारों का प्रभाव किस तरह पड़ता है, उसका एक उदाहरण रांची में मिला। एक जनाजे में शामिल लोगों ने अफवाह के आधार पर एक घंटे तक हंगामा किया, पुलिस की गाड़ी में तोड़—फोड़ की, वहीं पथ संचलन में शामिल संघ के स्वयंसेवकों ने खुद ही यातायात व्यवस्था संभालकर प्रशासन के कार्य को आसान बना दिया।
झारखंड में कट्टरपंथी अपनी हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि इसके पीछे झारखंड सरकार की तुष्टीकरण नीति ही जिम्मेदार है। ऐसे अनेक प्रसंग हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है राज्य सरकार ने जिहादी तत्वों को पूरी छूट दे रखी है। पिछले दिनों लोहरदगा, बोकारो जैसे शहरों में जिहादी तत्वों ने हिंदुओं पर हमले किए, लेकिन उनके विरुद्ध कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। अब उसका दुष्परिणाम राजधानी रांची में देखने को मिला है। मामला 23 अप्रैल का है, लेकिन आने वाले भविष्य का संकेत देने वाला है। अमीर-ए-तब्लीगी जमात हाजी गुलाम सरवर के जनाजे की नमाज में हजारों मुसलमान शामिल हुए थे। वक्त था रात के करीब 10.30 बजे का। ये लोग सड़क पर ही नमाज पढ़ने लगे। इसी बीच इन नमाजियों ने अचानक एक अफवाह फैला दी कि गाड़ी खाना चौक पर स्थित प्रदूषण जांच केंद्र के भवन के ऊपर से किसी ने उन पर पत्थर फेंक दिया। इसके बाद तो इन लोगों ने वहां ऐसा उत्पात मचाया कि पुलिस भी कुछ नहीं कर पाई। एक घंटे तक इन लोगों ने हंगामा किया, कई दुकानों में तोड़—फोड़ की। पुलिस की गाड़ी को भी नहीं छोड़ा गया। वहां बहुत ही कम संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे। इसलिए उनकी एक नहीं चली। ऐसा कहा जा रहा है कि रांची पुलिस यह अंदाजा नहीं लगा सकी कि जनाजे में कितने लोग शामिल होंगे। हालांकि इस घटना की जानकारी मिलने के बाद रांची के सिटी एसपी अंशुमन, सिटी डीएसपी दीपक के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी वहां पहुंचे। इसके साथ ही अतिरिक्त पुलिस बल भी मंगाया गया। इसके बाद भीड़ को समझा—बुझाकर शांत कराया गया।
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव का कहना है कि ये लोग पहले खुद ही हंगामा करते हैं और अगर हंगामे की स्थिति न हो तो झूठी अफवाह फैला देते हैं, ताकि हंगामा हो सके। और सबसे बड़ी बात है कि ऐसे तत्वों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है, इसलिए ये लोग कहीं भी और कभी भी दंगा—फसाद करने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार और उनकी गाड़ियों को क्षति पहुंचाना, यही साबित करता है कि झारखंड में कानून—व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। इस घटना से तो यही लगता है कि पूरे रांची को एक बार फिर से सांप्रदायिक दंगे की आग में झोंकने की तैयारी थी, लेकिन बहुसंख्यक समाज ने अपनी सूझबूझ दिखाई और मामले को शांत किया।
रांची के लोग इस घटना से दंग हैं। इसके साथ ही रांची के निवासी राष्टीय स्वयंसेवक संघ के उन स्वयंसेवकों की प्रशंसा करने से नहीं थकते हैं, जिन्होंने अभी दो दिन पहले ही रांची शहर में पथ संचलन किया था। उस दौरान स्वयंसेवकों के कारण किसी राहगीर को कोई हल्की परेशानी भी नहीं हुई। स्वयंसेवकों ने प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग ही नहीं किया, बल्कि खुद ही यातायात व्यवस्था भी संभाली।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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