आज पंचायती राज दिवस पर हरियाणा के एक ऐसे मॉडल की बात की बात करेंगे, जिसकी तारीफ पिछले 12 वर्षों के दौरान देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के द्वारा ही नहीं, वरन बाहरी देशों में भी हुई है। हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव के सरपंच रहे सुनील जागलान ने अपने मिशन पॉसिबल गांव बने शहर से सुंदर के तहत प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश को नई पंचायती राज व्यवस्थाएंं दी हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कई बार मन की बात में उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का उल्लेख करने से अभियानों को और बल मिला है। डिजिटल पंचायत, महिला ग्राम सभा, ग्राम सचिवालय, ई-ग्राम सभा, लाडो पुस्तकालय जैसी नई व्यवस्थाओं की शुरुआत करने वाले सुनील जागलान ने अब उत्तर प्रदेश में अयोध्या के 20 गांवों को एक साल में आदर्श गांव बनाने का बीड़ा उठाया है।
कम्प्यूटर विज्ञान में स्नातक सुनील जागलान ने वर्ष 2010 में सबसे पहले देश की पहली डिजिटल पंचायत होने का गौरव बीबीपुर पंचायत को दिलाया, जिसके तहत गांव की आधिकारिक वेबसाइट बनाई गई। आज यह मॉडल पूरे देश में लागू हो चुका है। बीबीपुर गांव का सरपंच रहते हुए सुनील जागलान ने देश की पहली महिला ग्राम का आयोजन किया। इसके बाद वर्ष 2012 से केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा देश भर की पंचायतों को महिला ग्राम सभा करने का आदेश पारित किया गया। ग़ौरतलब है कि इससे पहले उतर भारत में महिलाओं की ग्राम सभा मे भागेदारी न के बराबर होती थी। इसी व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए जागलान ने ‘बेटी बचाओ अभियान’ शुरू किया जो एक बड़ी योजना बनकर देश भर में लागू हुआ।
इसके साथ 2013 में ही लाडो पुस्तकालय तैयार किया, ताकि लड़कियां गांव में ही रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। लेकिन अब देश के हर हिस्से में पुस्तकालय के इस मॉडल को अपनाया गया। बीबीपुर मॉडल द्वारा ग्राम सचिवालय की अवधारणा को वर्ष 2012 में विकसित किया गया, जिसे सरकारों ने अपना कर लागू भी किया। यही नहीं, सुनील जागलान ने कोरोना काल में गुरुग्राम के नयागांव में आधिकारिक तौर पर ई-ग्राम सभा कराया, जिसे बाद में राज्य सरकार ने लागू किया। इसके कारण कोरोना काल में भी गांवों के विकास कार्यों में गति आई।
जागलान ने 2015 में बेटियों के नाम नेमप्लेट अभियान को चलाया, जिसे कई राज्य सरकारों के साथ पंचायतों ने भी लागू किया और संपत्ति में महिलाओं के अधिकार को आधारभूत शुरुआत मिली। सुनील जागलान के महिला सशक्तिकरण के द्वारा ग्रामीण विकास मॉडल को भारत सरकार द्वारा दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया।
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी यह मॉडल भाया और उन्होंने इसे 100 गांवों में लागू किया तथा सुनील जागलान को इसके लिए 50 लाख रुपये का अनुदान भी मिला। इसके अलावा, जागलान ने महिलाओं के सम्मान में गांव के नाम से लेकर सड़कों और पार्कों के नाम रखे, जिससे महिला सशक्तिकरण की अलख जगी। इसे भी काफी पंचायतों ने लागू किया है। जागलान ने देश भर के हजारों गांवों का दौरा कर चुके हैं और वहां ग्रामीण विकास के मॉडल को विकसित कर रहे हैं।
सुनील जागलान का यह मॉडल देश की सीमा लांघ कर सार्क देशों के गांवा में पहुंच रहा है। नेपाल सरकार ने भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है। उतर प्रदेश, हिमाचल उत्तराखंड, गोवा, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना के कई गांवों में जागलान कार्य कर रहे हैं। कई राज्य सरकारें भी उन्हें अपने यहां काम करने के लिए न्यौता दे रही हैं। सुनील जागलान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना है कि हर गांव आत्मनिर्भर बने। मैं उसमें एक छोटी सी भूमिका निभा कर उस सपने को साकार करने की कोशिश कर रहा हूं।
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