एमवे इंडिया डायरेक्ट सेलिंग मल्टी लेवल मार्केटिंग नेटवर्क की आड़ में ‘पिरामिड फ्रॉड’ चला रहा था। कंपनी के सदस्य आगे के ही सदस्यों को लिस्ट में जोड़ रहे थे और कागजी तौर पर उन्हें सामान बेच रहे थे। कंपनी डायरेक्ट सेलिंग की आड़ में MLM पिरामिड स्कीम चला रही थी। एमवे के अलावा टपरवेयर, ओरिफ्लेम जैसी कंपनियां भी हैं, जो भारत में इसी तरह से MLM पिरामिड फ्रॉड चला रही थी। डायरेक्ट सेलिंग का मतलब है सीधे ग्राहकों को सामान बेचना। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक, एमवे कंपनी में एजेंटों को जुड़ने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उनसे कहा जाता है कि वह कंपनी के सामान को खरीदें। लालच दिया जाता है कि अगर वो आगे और सदस्य बनाएंगे और अगर वे सदस्य आगे और सदस्य बनाकर सामान खरीदेंगे तो उन्हें उसका कमीशन मिलेगा।
जानिए क्या बोले ईडी के अधिकारी
प्रवर्तन निदेशालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि एमवे कंपनी में एजेंटों को जुड़ने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उनसे कहा जाता है कि वह कंपनी द्वारा बेचा जा रहा सामान खरीदें। यह भी कहा जाता है कि वह यदि आगे और सदस्य बनाएंगे और यदि वे सदस्य आगे और सदस्य बना कर सामान खरीदेंगे तो उन्हें उसका कमीशन मिलेगा।
जानकारी के मुताबिक, कंपनी अपने एजेंटों को जो सिद्धांत बताती है उसके मुताबिक बेचना बाद में पहले खुद इस्तेमाल करें। यानी पहले इस कंपनी का सदस्य बनने वाले को कंपनी द्वारा बेची जा रही चीजों को खरीदना ही होगा।
क्या क्या हुआ जप्त
एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की अस्थायी रूप से जब्त की गई संपत्तियों में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में भूमि और कारखाना भवन, संयंत्र और मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और एफडी शामिल हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कुर्क कुल 757।77 करोड़ रुपये की संपत्ति में से, अचल और चल संपत्ति 411।83 करोड़ रुपये की है। इसके अलावा 36 बैंक खातों में जमा 345।94 करोड़ रुपये की राशि भी जब्त की गई है। कंपनी की संपत्तियों को ईडी की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जब्त किया गया है।
क्या है पिरामिड स्कीम?
पिरामिड स्कीम एक तरह का मल्टी लेयर्ड नेटवर्क होता है। इस स्कीम में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को जोड़ता है और इस तरह एक चेन तैयार होती है। चेन तैयार करते जाने पर पहले व्यक्ति को लगातार डायरेक्ट या इनडायरेक्ट बेनिफिट मिलते हैं। इस स्कीम में मनी-सर्कुलेशन यानी पैसे को घुमाया जाता है। इसमें नए जुड़े लोगो का पैसा पुराने लोगो को मिलता है। पिरामिड के नीचे वाले लोगों को अक्सर इसमें लॉस उठाना पड़ता है। पिरामिड स्कीम पर भारत समेत अधिकतर देशों में पाबंदी है। लेकिन, ये कंपनियां सीधे पैसों का सर्कुलेशन न कर अपने प्रोडक्ट के जरिए मनी सर्कुलेशन करती हैं।
कंपनी दे रही भारी कमीशन
यह देखा गया है कि कंपनी ने साल 2002-03 से 2021-22 तक अपने कारोबार से 27562 करोड़ रुपये इकट्ठे किये हैं। कंपनी ने इसमें से 7588 करोड़ रुपये का कमीशन भारत और अमेरिका में अपने सदस्यों और डिस्ट्रीब्यूटर्स को दिया है। कंपनी का पूरा फोकस इस बात का प्रचार करने पर है कि कैसे सदस्य बनकर लोग अमीर बन सकते हैं। कंपनी का उत्पादों पर कोई ध्यान नहीं है। इस एमएलएम पिरामिड धोखाधड़ी को प्रत्यक्ष बिक्री कंपनी के रूप में छिपाने के लिए उत्पादों का उपयोग किया जाता है।
लाभांश और रॉयल्टी में दी इतनी राशि
एमवे वित्त वर्ष 1996-97 से वित्त वर्ष 2020-21 तक भारत में शेयर कैपिटल के रूप में 21.39 करोड़ रुपये लाया है। वहीं, कंपनी उनके निवेशकों और मूल संस्थाओं को लाभांश, रॉयल्टी और अन्य भुगतान के नाम पर 2859.10 करोड़ रुपये दिये हैं।
करोड़ों कमाने का लालच
ED के मुताबिक, कंपनी लोगों को लालच देती थी कि वह अपने खाली समय का इस्तेमाल करते हुए सामान बेच सकते हैं और करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। ‘पिरामिड’ की वहीं चेन तैयार होती है, जिस चेन में आए सभी लोगों को वह माल खरीदना ही होता है जो कंपनी अपने मूल्यों पर बेचती है।
किया जाता है भव्य जीवन शैली का दिखावा
ब्रिट वर्ल्डवाइड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और नेटवर्क ट्वेंटी वन प्राइवेट लिमिटेड ने भी चेन सिस्टम में नए सदस्यों के लिए सेमिनार आयोजित करके एमवे की पिरामिड योजना को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। प्रवर्तक मेगा सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं और अपनी भव्य जीवन शैली का दिखावा कर रहे हैं और भोले-भाले निवेशकों को लुभाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
एमवे इंडिया का क्या है कहना
ईडी द्वारा की गई कार्रवाई पर एमवे इंडिया की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, ‘अधिकारियों की कार्रवाई 2011 की जांच के संबंध में है और तब से हम विभाग के साथ सहयोग कर रहे हैं। 2011 से समय-समय पर मांगी गई सभी सूचनाओं को साझा किया गया है। हम संबंधित सरकारी अधिकारियों और लॉ अधिकारियों के साथ मौजूदा मुद्दों के निष्पक्ष, कानूनी और तार्किक निष्कर्ष की दिशा में सहयोग करना जारी रखेंगे। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (डायरेक्ट सेलिंग) नियम, 2021 के तहत डायरेक्ट सेलिंग के हालिया समावेश ने उद्योग के लिए बहुत जरूरी कानूनी और नियामकीय स्पष्टता ला दी है। फिर भी हम एमवे इंडिया की ओर से भारत में सभी कानूनों और प्रावधानों के शब्दों व भावनाओं के अनुपालन को दोहराते हैं। एमवे के पास उच्चतम स्तर की ईमानदारी, अखंडता, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और उपभोक्ता संरक्षण को बनाए रखने का एक समृद्ध इतिहास है, जो बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं के हित में समय से बहुत आगे है। चूंकि मामला विचाराधीन है, इसलिए हम आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।’
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