पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बारह बहाने से केंद्र सरकार का विरोध करती रही हैं। अब ममता की राह पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी चल पड़े हैं। हाल ही में उन्होंने राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों की आड़ में केंद्रीय मंत्रियों से राज्य अतिथि का दर्जा वापस कर लिया है। भाजपा ने इसे संघीय ढांचे की भावना के विपरीत बताया है।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर एक बार फिर से संघीय ढांचे पर चोट कर रही है। इस बार उसने केंद्र सरकार के मंत्रियों से राज्य के अतिथि का दर्जा वापस कर लिया है। इसके पीेछे तर्क दिया है कि राज्य में पंचायत चुनाव के कारण आचार संहिता लागू है। इसलिए केंद्र या राज्य के मंत्री सरकारी सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकते हैं। वहीं राज्य के पूर्व मंख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्र में जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि पंचायत चुनाव दलगत आधार पर नहीं हो रहे हैं, इसलिए इस निर्णय की कोई जरूरत नहीं थी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र के मंत्री किसी भी राज्य में जाते हैं, तो उन्हें राज्य का अतिथि मानकर उनके लिए रहने, खाने और वहां इधर—उधर जाने—आने की व्यवस्था राज्य सरकार करती है। अब राज्य का अतिथि नहीं मानने से केंद्रीय मंत्री राज्य के अधिकारियों के साथ कोई बैठक नहीं कर सकते हैं। हां, जिस मंत्री को जिस श्रेणी की सुरक्षा मिलती है, वह अवश्य उपलब्ध कराई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में केंद्र के 19 मंत्री झारखंड के विभिन्न जिलों का दौरा करने वाले थे। ये लोग केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते। यह कार्यक्रम पंचायत चुनाव की घोषणा से पहले ही तय हो गया था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने केंद्रीय मंत्रियों से राज्य अतिथि का दर्जा वापस ले लिया। सत्तारूढ़ झामुमो के केंद्रीय सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों के झारखंड भ्रमण पर रोक लगाने को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की थी। चुनाव आयोग अपना काम करेगा। झारखंड में आचार संहिता लागू है। उनके इस बयान से साफ है कि राज्य सरकार पंचायत चुनावों की आड़ में केंद्रीय मंत्रियों को राज्य में नहीं आने देना चाहती है।
राज्य अतिथि का दर्जा पहले दो केंद्रीय मंत्रियों से छिना गया। ये हैं— अन्नपूर्णा देवी और कपिल मोरेश्वर पाटिल। अन्नपूर्णा देवी का कार्यक्रम दुमका, गिरिडीह और धनबाद में था। उन्हें यहां केंद्रीय योनजाओं की समीक्षा करनी थी। जबकि केंद्रीय मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल को सिमडेगा जाना था।
राज्य सरकार के निर्णय के बाद अन्नपूर्ण देवी दिल्ली वापस हो गई हैं।
भाजपा ने राज्य सरकार के इस निर्णय की निंदा की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि राज्य सरकार भारत के संघीय ढांचे पर प्रहार कर रही है। आदर्श आचार संहिता का बहाना बनाकर केंद्रीय मंत्रियों के झारखंड दौरे को टालने की कोशिश हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्रियों का राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यक्रम निर्धारित हैं, लेकिन राज्य सरकार उन्हें आवश्यक और निर्धारित सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एक ओर तो केंद्रीय मंत्रियों को कोई सुविधा नहीं दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य में आने वाले कांग्रेसी नेताओं को हर सुविधा दी जा रही है। श्री प्रकाश ने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में होने हैं। यानी आचार संहिता केवल ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है, शहरी निकाय, नगरपालिका और निगम क्षेत्र में आचार संहिता लागू नहीं है।
उनका कहने का अर्थ यह है कि केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम उन क्षेत्रों में हैं, जहां आचार संहिता लाूग नहीं है। फिर किस आधार पर केंद्रीय मंत्रियों को राज्य में नहीं आने दिया जा रहा है! साफ है कि राज्य सरकार की मंशा कुछ और ही है।
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