झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने कोरोना काल में अच्छा कार्य करने के नाम पर स्वयं के लिए भी प्रोत्साहन राशि तय कर ली। इसलिए इन दिनों पूरे राज्य में “बन्दरबांट” की जगह “बन्नाबांट” शब्द की चर्चा है।
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में कांग्रेस के कोटे से बन्ना गुप्ता स्वास्थ्य मंत्री हैं। उन्होंने अपने कामकाज से कई बार राज्य सरकार को संकट में डाला है। कभी वे पुलिस के अधिकारियों को यह कहते हुए डांटते हैं, ”तुम लोग किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता का काम नहीं करते हो।” अब उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही अपने लिए भी कोरोना प्रोत्साहन राशि तय कर ली है। बता दें कि कुछ दिन पहले बन्ना गुप्ता के विभाग ने विभाग के 94 पदाधिकारियों, कर्मचारियों, खुद मंत्री और मंत्री के कोषांग के 60 कर्मियों को कोरोना प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिए दो अलग—अलग आदेश जारी किए थे। इसके अनुसार कोरोना काल में अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना प्रोत्साहन राशि के रूप में एक महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जा रहा है। इसके बाद 94 पदाधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी राशि दे दी गई है। चूंकि मंत्री और उनके कर्मियों का वेतन भुगतान कैबिनेट से होता है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए कैबिनेट विभाग को पत्र लिखा।
इसी बीच यह खबर फैल गई कि मंत्री बन्ना गुप्ता खुद ही प्रोत्साहन राशि ले रहे हैं। निर्दलीय विधायक सरयू राय ने इस मामले को जोर—शोर से उठाया और उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत भी की। इसके बाद बन्ना गुप्ता ने सरयू राय पर आरोप लगाया कि उन्होंने गोपनीय सरकारी कागजातों को बाहर कर दिया है। इसके बाद तो सरयू राय और भड़क गए। उन्होंने बन्ना गुप्ता के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ”14 अप्रैल को बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती, बैशाखी और महावीर जयंती के कारण सार्वजनिक छुट्टी थी। इसके बावजूद झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का कार्यालय खुला था। शाम को विभाग की ओर से एक आधिकारिक वक्तव्य प्रसारित हुआ, ”स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एवं अन्य ने जो कोरोना प्रोत्साहन राशि ली है, वह सक्षम प्राधिकार के आदेश और 1 मई, 2021 के संकल्प के आधार पर ली है।” मैं स्वास्थ्य विभाग के इस वक्तव्य को चुनौती देता हूं और अवकाश के दिन स्वास्थ्य विभाग क़ा कार्यालय खोलकर कोरोना प्रोत्साहन राशि के भुगतान से संबंधित संचिका यानी फाइल को उलटने—पलटने की निंदा करता हूं।” सरयू राय ने यह भी कहा,”मुझे आशंका है कि 14 अप्रैल को अवकाश के दिन अपना कार्यालय खोलकर स्वास्थ्य मंत्री ने संचिका में हेराफेरी करने और सबूतों को नष्ट करने का प्रयास किया है। वे यानी बन्ना गुप्ता भयभीत हैं कि अवकाश समाप्त होते ही मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री जांच करने का आदेश देकर संबंधित संचिका जब्त कर सकते हैं और जांच के लिए संचिका अपने पास मंगा सकते हैं।”
सरयू राय के इस आरोप से राज्य की राजनीति गर्म है। सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता ही बन्ना गुप्ता की इस हरकत से परेशान हैं। खुद कांग्रेस के कई नेताओं ने बन्ना गुप्ता के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। अब यह देखना है कि बन्ना की कुर्सी बचती है या फिर जाती है।
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