चीन की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शंघाई में एक तरफ लोग कोरोना की जबरदस्त मार सहने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ जीरो टॉलरेंस के नाम पर उस देश की कम्युनिस्ट सरकार का दमनचक्र जारी है। शंघाई में कामकाज ठप है और लोग घरों में कैद चीख—पुकार मचा रहे हैं, जिनपिंग सरकार को लानते भेज रहे हैं। बहुत से तो खाने—पीने की किल्लत दूर करने को घर से क्या निकले, पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। ऐसे हजारों लोग गिरफ्तार किए गए हैं जो ‘लॉकडाउन का उल्लंघन’ कर रहे थे।
शंघाई में हालात इतने खराब है कि वहां की इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली एक्सपेंग कंपनी के मालिक जिया ओपेंग का कहना है कि अगर शंघाई में हालात जल्दी ही ठीक नहीं हुए तो पूरे देश का वाहन उत्पादन ठप हो जाएगा।
चीन में सिर्फ शंघाई ही नहीं, 29 अन्य राज्यों में भी कोविड संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा है। सरकार जीरो टॉलरेंस के नाम पर ऐसे अत्याचार कर रहे हैं कि लोग उसे जमकर कोस रहे हैं। लोग इन हालात में जीने से तो मौत आने की दुआएं कर रहे हैं। सरकार भले कितना भी प्रचार करे लेकिन धरातल पर न खाने का सामान लोगों को मिल पा रहा है, न पीने का। तिस पर कोविड नियम तोड़ने के नाम पर हजारों लोगों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है। देश का मीडिया कम्युनिस्ट सरकार की जकड़ में है इसलिए सही आंकड़े सामने नहीं आने दिए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के आंकड़े देखें तो कल सिर्फ शंघाई में ही कोरोना के 23,000 नए मामले दर्ज किए गए हैं। महामारी की शुरुआत के बाद से वुहान के बाद ये शंघाई शहर ही है जो कोरोना की जबरदस्त चपेट में आया है। कई दिन से शंघाई के करीब 2.5 करोड़ निवासी लगातार कड़े लॉकडाउन में हैं।
शंघाई चीन का सबसे बड़ा कारोबारी केंद्र है। लॉकडाउन की वजह से वहां कारोबार की धज्जियां उड़ी हुई हैं। एक जानकारी के अनुसार, चीन में फिलहाल 87 शहरों में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। यहां लॉकडाउन है और क्वारंटीन को लेकर पर जबरदस्त सख्ती बरती जा रही है, लेकिन कोरोना की कड़ी टूटने का नाम नहीं ले रही है।
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