उत्तर प्रदेश में तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए हर जिले में अभियान शुरू किया गया है। उसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी पुराने तालाबों की खोज शुरू हो गई है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि वो तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराएं।
केंद्र की मोदी सरकार ने भू जल स्तर बढ़ाने, नदियों को पुनर्जीवित करने और गंगा जैसी नदियों को निर्मल अविरल बहने के लिए एक अलग जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देशित किया है कि वो अपने राजस्व अभिलेखों की जांच पड़ताल करके तालाबों की भूमि को चिन्हित कर जानकारी उपलब्ध करवाएं। निर्देश में यह भी कहा गया है कि इन तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए क्योंकि ये सरकार की संपत्ति है। मंत्रालय ने इन तालाबों को नया जीवन देने के लिए कार्य योजना तैयार की है, जिसके तहत इनको अतिक्रमण मुक्त कराकर इसमें भरी मिट्टी गाद को करीब 3 मीटर खोदकर सड़क योजनाओं में डाला जाएगा और यहां अगली बारिश तक पानी भरे जाने पर काम पूरा किया जाएगा।
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में राजस्व विभाग के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 1274 तालाब थे, जिनमें से 545 इस वक्त दिखाई नहीं दे रहे हैं। हाल ही में 511 को अवैध कब्जों से मुक्त करवा लिया गया है। जानकारी के अनुसार अगले अभियान में चिन्हित 218 को कब्जे से मुक्त करवाना है। अब इन तालाबों को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए बुलडोजर चलाने का काम शुरू हो रहा है। सबसे पहले इन पर काबिज लोगों को हटाया जाएगा। उसके बाद यहां बारिश का पानी भरा जाएगा। अकेले सितारगंज ब्लाक में ही 287 तालाब थे, जिन्हें कब्ज़ा मुक्त करवा लिया गया है।
दिलचस्प बात ये है कि काशीपुर और रुद्रपुर नगर निगम के 27 तालाबों पर भू माफिया ने कब्जा कर जमीन बेच दी और इन पर आबादी बस गई है। अब इन्हें कब्जा मुक्त कराने का अभियान शुरू किया जा रहा है। उधमसिंह नगर जिला प्रदेश का मैदानी जिला है, जहां कभी भू जल एक फुट पर हुआ करता था जो घट कर सात से 10 फुट नीचे चला गया है। अगर ये तालाब फिर से अपने स्वरूप में लौटते हैं तो इससे भू-जल स्तर में वृद्धि होने की संभावना है। तराई में लगे उद्योगों को भी ये सुझाव दिए गए हैं कि वो अपने यहां जल शोधन कर पानी का फिर से उपयोग करने की प्रक्रिया अपनाएं।
उधमसिंह नगर ने डीएम युगल किशोर पन्त का कहना है कि जिले में पुराने तालाब खोजे जा चुके हैं, उन पर फिर से काम हो रहा है। मिट्टी गाद निकाल कर उसमें अगली बारिश में जल भरा जाएगा। इससे गांवों में जल स्तर उठेगा। तालाबों में मछली पालन की संभावनाएं हैं। साथ ही इनके किनारे केले की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
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