यदि कोई अधिकारी सकारात्मक सोच वाला हो तो हर मुश्किल काम आसान होने लगता है। सालों से विलुप्त हुईं गंगा की सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने की मुहिम में जुटे प्रशासन के अधिकारियों को अब इसके सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं।
बिजनौर के मुख्य विकास अधिकारी केपी सिंह बिजनौर जिले में कुछ नया करने की मंशा से आये हैं, पिछले दो सालों में उन्होंने जिले के सैकड़ों तालाब फिर से जिंदा कर दिए। करीब 300 तालाबों पर अतिक्रमण हो चुका था उन सभी में अब पानी दिखाई देने लगा है। सीडीओ केपी सिंह ने पिछले साल जिले के स्वयंसेवी संगठनों को साथ लेकर 103 किमी लम्बी बान नदी को फिर से जिंदा करने का प्रयास शुरू किया। गंगा की ये सहायक नदी एक गंदे नाले में तब्दील हो चुकी थी इसमें उद्योगों का गंदा पानी बहता था। ये नदी कभी बारह मास बहती थी और 101 गांवों की कृषि भूमि को भी सिंचित किया करती थी।
केपी सिंह ने उद्योगों को चेतावनी देकर उनके यहां जलशोधन का कार्य शुरू करवाया और नदी की अनावश्यक मिट्टी को बाहर निकलवा कर उसे एनएच निर्माण में लगवा दिया। नदी गहरी होने लगी। इस नदी के दोनों तरफ चौड़ी पत्ती के पौधों का रोपण किया गया और यह अभियान अब भी जारी है। मुख्य विकास अधिकारी ने अब बनेली, गागन, मालन नदियों की भी सफाई शुरू करवा दी है। ये नदियां भी गंगा में जाकर मिलती हैं। इनमें भरी गाद दलदली मिट्टी को बाहर निकाल कर निर्माणधीन एनएच के कामों में लाया जा रहा है। नदियों में फिर से अविरल जल बहने लगे इसके लिए आईआईटी कानपुर और एनआईएच रुड़की के विशेषज्ञों की टीम यहां सर्वे कर चुकी है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर डीपीआर बनाकर जल शक्ति मंत्रालय को भेजी जा रही है।
सीडीओ केपी सिंह कहते हैं कि कुछ माह तक यदि शिद्दत के साथ काम किया जाए तो देखना इन नदियों में आप बारह मासी जलधारा बहते हुए देखेंगे। उन्होंने कहा कि कभी किसी ने इस विषय को छुआ ही नहीं और ये जानने की कोशिश भी नहीं की, कि हमारी नदियां कहां लुप्त हो गईं। केपी सिंह ने कहा कि बिजनौर से लेकर अमरोहा तक इन चार नदियों का पानी जब बहने लगेगा तो क्या दृश्य होगा, मौसम में कितना बदलाव आएगा, कितनी हरियाली बढ़ जाएगी, कितने जलीय जीव बढ़ेंगे और अनेक खेतों की सिंचाई संभव होगी।
सीडीओ केपी सिंह ने बताया कि इन नदियों के दोनों तरह पेड़ लगाए जा रहें हैं, हम जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। नदियों के गाद निकलने से बाढ़ का खतरा भी कम हो जाएगा। बिजनौर जिले की ये चार नदियों को पुनर्जीवन मिलने से गंगा को भी निर्मलता मिलने लगेगी। नमामि गंगे योजना, जल शक्ति मंत्रालय और यूपी के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सयुंक्त अभियान से बिजनौर में नदियों के पुनर्जीवन की एक नई गाथा धरातल पर उतरती दिख रही हैं।
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