कश्मीर अब खुली हवा में सांस लेने लगा है। धारा 370 हटने के बाद काफी बदलाव आया। सरपंचों को खुलकर काम करने की आजादी है। हर स्तर पर उन्हें सहयोग मिल रहा है। सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम उन्हीं का है। खासकर महिला सरपंचों का। हमने घाटी में महिला सरपंचों से बात की। उन्होंने हर मुद्दे पर निर्भीकता से बात की।
त्राल से सरपंच पीएम पंडिता कहती हैं कि धारा 370 हटने के बाद पंचायत स्तर पर काफी बदलाव आया है। यहां पर 370 हटने से पहले पंचायत स्तर पर चुनाव हुए तो हुए नहीं तो कोई बात नहीं। यानी कुल मिलाकर ये कहेंगे कि नियम कानून से यहां पर कुछ भी नहीं होता था। 370 हटने के बाद पंचायत पूरी तरह से काम करने लगी है और पहली बार पंचायत स्तर तक चुनाव हुए हैं। इससे पहले न कोई बीडीसी बन पाये थे और न कोई डीडीसी बन पाये थे। मगर इस बार जो हुआ है उसमें बाकायदा थ्री टायर सिस्टम बना हुआ है। हमारे बीडीसी एवं डीडीसी भी हैं। बुनियाद तौर पर जो काम हो रहा है वो बाकायदा पीआईसी मेंबर की निगरानी में हो रहा है। कोई भी गलत चीज हो तो प्रशासन को टोका जाता है। गलत का साथ नहीं दिया जाता। यह सारा काम जमीनी स्तर पर दिख रहा है। इसके लिए आप खुद जाकर देख सकते हैं।
आतंकवादी जो घृणित हरकतों से बाज नहीं आते हैं। तंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद काम कैसे कर पाती हैं? इस सवाल के जवाब में पीएम पंडिता कहती हैं कि 370 हटने के बाद आतंकवाद पर भारत सरकार सख्त नजर रख रही है। आतंकवादियों को पैर पसारने नहीं दिया जा रहा है। हम लोग तो अभी ऑल आउट मिशन पर चल रहे हैं। फिर भी कहीं-कहीं छिटपुट घटनाएं होती हैं तो प्रशासन हमें मदद करता है। उस वक्त हम पीआरएस को ग्राउंड पर नहीं जाने दिया जाता है। हमें सुरक्षित क्षेत्र में रखा जाता है क्योंकि जब से 370 हटा है उसके बाद सरपंच काफी निशाने पर रहे। वे डराना जानते हैं तो उन्हें बता दें कि हम डरना नहीं जानते। हम एक देशभक्त की तरह काम कर रहे हैं। इस वक्त हम पीआरआई डरने वाले नहीं हैं। हम सबको पता है उनके साथ हमें कैसे लड़ना है और कैसे आगे बढ़ना है। इसमें सबसे बड़ा श्रेय हमारे आर्मी जवान को जाता है। मोदी सरकार को जाता है, गृहमंत्रालय एवं प्रशासन को जाता है।
कुपवाड़ा की सरपंच रजनी कहती हैं धारा 370 हटने के बाद हम अच्छे से काम कर पा रहे हैं। गांव से पत्थरबाजी खत्म हो गई है। लोग अब बंदूक भी नहीं उठाते हैं। लोग सुधर रहे हैं। घाटी में बदलाव आया है।
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