राहुल गांधी का कहना है कि “उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मैंने मायावती को मैसेज किया था कि समझौता करिए और मुख्यमंत्री बनिए. मगर उन्होंने बात तक नहीं की.” इसके बाद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि “मायावती, सीबीआई और ईडी से डरती हैं.” राहुल के इस बयान के बाद मायावती ने पलटवार करने में देर नहीं लगाई. राहुल को झूठा साबित करते हुए मायावती ने उनको, उनके पिता और कांग्रेस पार्टी को दलित विरोधी ठहराया. आखिर झूठ कौन बोल रहा है, राहुल गांधी या फिर मायावती ? अब गेंद फिर एक बार राहुल गांधी के पाले में है. अगर उन्होंने फोन से कोई मैसेज किया था तो उसका स्क्रीन शॉट उजागर कर साबित कर सकते हैं कि वे झूठे नहीं हैं.
राहुल गांधी जब भी कहीं पर कुछ बोलते हैं. उसमे कुछ बातें समान रूप से हर जगह पाई जाती हैं मसलन उनके बयान में कुछ हास्य अवश्य ही होगा. वे विपक्ष को आक्रामक होने का पर्याप्त अवसर मुहैया कराते हैं. राहुल गांधी जो खुद को पीएम मटेरियल होने का दावा करते हैं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “मैंने मायावती से समझौते का प्रस्ताव दिया मगर उन्होने बात तक नही की.” अगर मान लिया जाए कि यह सचाई है. उन्होंने समझौते का प्रस्ताव दिया था. तब भी उन्हें इस बात का खुलासा नहीं करना चाहिए था. सबसे पुरानी पार्टी के नेता जो खुद को पीएम मटेरियल होने का दावा करते हैं. वे खुले मंच से कह रहे हैं कि मुझसे बात तक नहीं की. मायावती पर यह आरोप लगाने के चक्कर में कि वो सीबीआई से डरती हैं. राहुल ने खुद का इतना बड़ा मजाक बनाया. ये कहते हुए जरा भी नहीं हिचकिचाए कि मायावती ने मुझसे बात तक नहीं की.
यह जानना भी दिलचस्प होगा कि वर्ष 2019 के पहले विपक्षी दलों के नेता एकजुट होने के लिए आपस में मुलाकात कर रहे थे. उस समय की एक तस्वीर काफी वायरल हुई थी. जिसमे मायावती और सोनिया गांधी बात कर रही हैं मगर मायावती ने राहुल गांधी की तरफ ठीक से देखा तक नहीं था. दरअसल, राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्ष 2017 में बनाया गया था मगर तब तक उनके खाते में कई हार दर्ज हो चुकी थी. उस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा था कि ” पूरी दुनिया में शायद ही कोई ऐसा राजनीतिक दल का अध्यक्ष होगा जिसके खाते में इतनी हार दर्ज होगी.” यहां तक कि उत्तर प्रदेश मे कांग्रेस का गढ़ समझी जाने वाली सीट अमेठी से भी राहुल गांधी चुनाव हार चुके हैं. उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जिन दो विधानसभा क्षेत्रों में राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित किया था. वहां पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई थी. कांग्रेस पार्टी की पश्चिम बंगाल में जबरदस्त हार हुई. इतनी करारी हार क्यों हुई ? इस पर बजाय चिंतन और मंथन करने के राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि “ममता जी को बधाई देते हुए मैं प्रसन्न हूं. पश्चिम बंगाल के लोगों ने भाजपा को हरा दिया.” कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को अपनी पार्टी की हार पर कोई चिंता नहीं हुई थी. उन्हें इस बात की खुशी थी कि भाजपा को सत्ता नहीं मिली.
अभी हाल ही में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी ने कोई ख़ास सक्रियता नहीं दिखाई. बीते फरवरी माह में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, प्रेस वार्ता के दौरान मोदी सरकार की कमियां गिना रहे थे तभी उनसे पूछा गया कि राहुल गांधी ने यूपी के चुनाव से इस तरह किनारा क्यों कर लिया है ? इस पर चिदंबरम ने चुप्पी साध ली. पहले भी यह कहा जाता रहा है कि राहुल और प्रियंका यूपी में पर्यटन के लिए आते हैं. गौरतलब है कि अमेठी में चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने यूपी से किनारा कर लिया है.
यहां तक कि वर्ष 2021 के जुलाई माह में एक मीडियाकर्मी ने राहुल गांधी से सवाल किया था कि क्या उन्हें यूपी के आम पसंद हैं? राहुल गांधी ने कहा था,”आई लाइक आंध्रा, आई डोंट लाइक यूपी मैंगो (मुझे आंध्र प्रदेश के आम का स्वाद पसंद है, मैं यूपी के आम पसंद नहीं करता)” इस बयान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी को ट्वीट में टैग करते हुए लिखा था कि “श्री राहुल गांधी जी आपका टेस्ट ही विघटनकारी है. आपके विभाजनकारी संस्कारों से पूरा देश परिचित है. आप पर विघटनकारी कुसंस्कारों का प्रभाव इस कदर हावी है कि फल के स्वाद को भी आपने क्षेत्रवाद की आग में झोंक दिया लेकिन ध्यान रहे कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत का स्वाद एक है.”
राहुल गांधी खुद का मजाक बनाने में काफी मशहूर हो चुके हैं. जब उन्होंने कन्हैया कुमार को कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई थी. तब कन्हैया कुमार ने कहा था “ मैं कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए आया हूं.” उस मसय भी लोगों ने इस बात का काफी मखौल बनाया था कि कन्हैया कुमार जैसा नया लड़का कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर रहा है और वो राहुल गांधी के सामने बयान दे रहा है कि “ मैं कांग्रेस को मजबूत करने आया हूं.”
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