भारत और चीन के बीच एक माह पहले हुई 15वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का मुद्दा सुलझ नहीं सका है। सीमा पर आपसी टकराव खत्म करने के लिए चीन ने एक बार फिर बेतुके प्रस्ताव के जरिये दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी है। विवादित हॉट स्प्रिंग्स इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 पर दो वर्षों से जमे भारतीय सैनिकों को चीन ने करीब 5 किमी. पीछे करने का प्रस्ताव रखा जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। यहां दोनों देशों के सैनिक अभी भी आमने-सामने टकराव की स्थिति में तैनात हैं।
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चल रहे तनाव को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 15वें दौर की वार्ता 11 मार्च को चुशूल मोल्दो मीटिंग प्वाइंट पर हुई। बैठक में भारत की तरफ से हॉट स्प्रिंग, डेप्सांग और डेमचोक इलाकों में चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी पर जोर दिया गया लेकिन दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे। साझा बयान में बताया गया था कि विवादित मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए हैं। दोनों पक्ष पश्चिमी सेक्टर में जमीनी स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता को अंतरिम रूप से बनाए रखने पर भी सहमत हुए थे।
इस बीच 24 मार्च की शाम को चीनी विदेश मंत्री वांग यी एक दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे। उनकी यात्रा से पहले चीन ने भारत को हॉट स्प्रिंग्स इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 15 पर आमने-सामने टकराव की स्थिति में तैनात भारतीय सैनिकों को पीपी 16 और पीपी 17 के बीच करम सिंह पोस्ट पर वापस जाने का एक प्रस्ताव भेजा। चीनी विदेश मंत्री के आने पर भारत ने यह चीनी प्रस्ताव सिरे से ख़ारिज कर दिया और चीनी विदेश मंत्री अगले दिन मुंह की खाने के बाद वापस चले गए। हालांकि, भारत ने वांग यी के दौरे से राजनयिक और कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के माध्यम से पीपी-15 के विवाद का समाधान निकलने की उम्मीदें बनाई थीं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अगर चीन का प्रस्ताव मान लिया जाए तो लगभग दो वर्षों से पीपी-15 पर तैनात भारतीय सैनिक एलएसी से करीब 5-10 किमी. पीछे चले जाएंगे क्योंकि पीपी-16 और पीपी-17 के बीच करम सिंह पोस्ट की दूरी इतनी ही है।
इतना ही नहीं, चीन ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के ठीक पीछे वापस जाएंगे जिसे भारत सीमा रेखा मानता है। सूत्रों ने कहा कि यह भारत के लिए अस्वीकार्य था क्योंकि चीनी दावा रेखा और एलएसी के बारे में भारत की समझ पीपी-15 पर है। अगर भारत प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो इसका मतलब यह होगा कि चीनी सैनिक बहुत कम पीछे हटेंगे, जबकि भारतीय सैनिकों को 5-10 किलोमीटर पीछे हटना पड़ेगा।
इसके अलावा दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र के सुदूर उत्तर में डेप्सांग मैदान में भी गतिरोध बना हुआ है। यहां चीनियों ने भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग प्वाइंट 10, 11, 11ए, 12 और 13 तक गश्त करने से वंचित कर रखा है। अब यह भी जानकारी मिली है कि चीन ने इन गश्त बिंदुओं के पीछे सड़क निर्माण के लिए एक अस्थायी हॉट-मिक्स प्लांट तैनात किया है। डेप्सांग का मैदानी इलाका भारत के सब सेक्टर नॉर्थ (एसएसएन) के अंतर्गत आता है। यह क्षेत्र एक तरफ सियाचिन ग्लेशियर तो दूसरी ओर चीनी नियंत्रित अक्साई चिन के बीच सैंडविच है। इसी विवादित क्षेत्र में 2013 और 2015 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच दो बड़े गतिरोध हो चुके हैं। 2013 में दोनों देशों की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने रही थीं।
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