डॉ संदीप मावा कश्मीरी पंडित हैं। नब्बे के दशक में उनके पिता पर आतंकियों ने गोलियां बरसाई थीं। वर्ष 2019 में उन्हें निशाना बनाया गया था। संदीप मावा कहते हैं, ‘नब्बे के दशक में लोगों को बरगलाया गया था। उन्हें यह बताया गया था कि आप इसका विरोध करेंगे तो पाकिस्तान हमला करेगा और आप लोगों को आजाद करेंगे। यहां के लोगों का स्थानीय पार्टी ने इस्तेमाल किया। मुफ्ती, शेख जैसे एजेंट और कांग्रेस के लोगों ने प्रायोजित तरीके से उन्हें इस्तेमाल किया। जब पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग किया गया तो उसी वक्त पाकिस्तान ने ब्लीड इंडिया पॉलिसी (Bleed India with a Thousand Cuts) बनायी। उसमें यह कहा गया कि हम तो हिन्दुस्तान को नहीं हरा पाएंगे पर हिन्दुस्तान में हजार चीरे लगाकर उसे दर्द दे सकते हैं।’ तल्ख लहजे में मावा कहते हैं, ‘धीरे-धीरे फारुख अब्दुल्ला, मुफ्ती ने उसका समर्थन किया। 1986 में इसकी पहली झलकी निकली। उसके बाद 1990 में हुर्रियत, पाकिस्तान, नेशनल कॉन्फ्रेंस की मदद से कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से भगाया गया। कुछ को मरवाया गया और घाटी में जो राष्ट्रवादी मुसलमान थे, जो देश के साथ, उनको मारा गया।’
अक्टूबर 1990 में मेरे पिताजी को चार गोलियां मारी गयी थीं। भगवान की कृपा है कि वो बचे हुए हैं और अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 2019 में मैंने फिर सोचा कि कश्मीर अपने वतन जाऊं। पहले तो बहुत मदद मिली। लेकिन, जो देश के खिलाफ और आपस में फूट डलवाने वाले लोग हैं और आपको जानकर हैरानी होगी कि 8 नवंबर 2021 को मुझ पर कातिलाना हमला हुआ, जिसमें चार गोलियां मेरे भाई इब्राहिम को लगीं क्योंकि रात को मेरे गाड़ी को लेकर चला गया था। शायद उनको लगा होगा कि गाड़ी में मैं हूं। जिनके कारण मेरा वह भाई मारा गया।
अलगाववादियों से आपको डर नहीं लगता? यह सवाल जब संदीप मावा से किया तो उन्होंने कहा- देखिए मैं भगवद् गीता को मानने वाला हूं। उसमें लिखा है कि जीवन के लिए जितनी सांसें हैं वह लिख चुकी होती हैं। जब मरना होगा तो जरूर मरेंगे, बचना होगा तो जरूर बचेंगे। मारने वाला और बचाने वाला सिर्फ श्रीराम हैं।
आतंकी बिट्टा कराटे ने कश्मीरी पंडितों की हत्या की थी। उसने कैमरे के सामने भी यह बात स्वीकार की थी। उसके खिलाफ भी संदीप मावा मोर्चा खोले हुएहैं। वह कहते हैं कि हमने लाल चौक पर बिट्टा का पुतला फूंका था। वो जेल में है। हमने सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं। एक बिट्टा कराटे का जो केस है, उसको खोला जाए, दूसरा माइनोरिटीज और मेजोरिटी के बीच में जो फसाद कराने वाले देशविरोधी ताकतें जो सरकार में थीं उनको दंडित करें और तीसरा जो मुसलमान कश्मीरी पंडितों के साथ था, जिन्हें मारा गया, उसका कमीशन बनाया जाए। आपको जानकार खुशी होगी जिसमें दो मांग जो बिट्टा कराटे का केस खुल गया और दूसरा जो देशविरोधी ताकतें जो सरकार में थीं उनको निलंबित किया गया। अब एक मांग बची है और वह है कमीशन नियुक्त किया जाए। इसकी अंतिम तिथि हम लोगों ने 19 अप्रैल रखी गयी है। अगर इस समय तक हमारी बात को नजरंदाज किया गया तो 20 अप्रैल से हम लोग आमरण अनशन पर बैठेंगे।
धारा 370 हटने के बाद आपने क्या बदलाव देखा ? इस पर संदीप मावा कहते हैं कि आज जो बदलाव हुआ वह यह है कि कश्मीर हिंदुस्तान बन गया। आज हम खुलेआम बिट्टा कराटे का पुतला फूंक रहे हैं। हिंदुस्तान का झंडा इस समय लाल चौक पर लहरा रहा है। इससे पहले तो आप सोच नहीं सकते थे, 370 हटने से पहले।
बदल रहा है नरेटिव : ताबिश बुखारी
स्थानीय और बुलंद आवाज के एडिटर इन चीफ ताबिश बुखारी कहते हैं कि आज दहशतगर्दों की रीढ़ की हड्डी टूट चुकी है। राष्ट्रवादी मुसलमान सामने आने लगे हैं। वे देश के लिए बोलते हैं। नरेटिव चेंज हो रहा है। वह कहते हैं कि और लोग भी साथ हैं, लेकिन खतरा होने की वजह से खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। कश्मीर में राष्ट्रवादी मुसलमानों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। घाटी में राष्ट्रवाद जितना मजबूत होगा, दहशतगर्दों की कमर उतनी ही टूटेगी।
टिप्पणियाँ