केंद्र सरकार ने ग्युतो तांत्रिक मठ को पांच साल का FCRA लाइसेंस दिया है। इस निर्णय से चीन को झटका अवश्य लगा होगा। ये मठ 17वें करमापा, ओग्येन ट्रिनले दोर्जे सेजुड़ी थी। मोनेस्ट्री करमापा के लिए एक अस्थायी निवास था। वर्ष 2011 में, हिमाचल पुलिस ने मठ की तलाशी ली और दावा किया कि उसने 7.05 करोड़ विदेशी मुद्रा जब्त की है। इस मामले में बाद में करमापा को क्लीन चिट दे दी गई थी। ग्युटो मठ के मठाधीश लोबसांग खेडुप ने इसकी पुष्टि की
2000 में अचानक भारत पहुंचे करमापा ने 2017-18 में कॉमनवेल्थ ऑफ डोमिनिका का पासपोर्ट हासिल कर लिया। छत्तीस वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक गुरु को भारत ने कभी मान्यता नहीं दी। दलाई लामा के बाद, वह तिब्बतियों के बीच सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले नेताओं में से एक हैं और भारत उनके साथ जुड़ने की कोशिश कर रहा है। मठ को बौद्ध शिक्षाओं के लिए धार्मिक-सह-शिक्षा श्रेणी के तहत एफसीआरए लाइसेंस दिया गया है। उन्होंने कहा कि लाइसेंस पांच साल के लिए यानी 2027 तक वैध है।
बता दें कि यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद आंतरिक रूप से तिब्बत मुद्दे से जुड़ा हुआ है। मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। अब तक 15 दौर की सैन्य-राजनयिक वार्ता हो चुकी है।
क्या है FCRA लाइसेंस का मतलब ?
किसी भी संगठन द्वारा प्राप्त विदेशी चंदे के लिए, एनजीओ को गृह मंत्रालय के साथ पंजीकृत होना चाहिए। विदेशी चंदा हासिल करने के लिए गृह मंत्रालय उस संगठन को एक अद्वितीय एफसीआरए पंजीकरण संख्या प्रदान करता है, जिसे हर पांच साल में नवीनीकृत किया जाता है। दिए गए FCRA लाइसेंस में एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम होना चाहिए। संशोधित विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2020 के तहत, प्रत्येक एनजीओ को विदेशी स्रोत से विदेशी योगदान की प्रारंभिक प्राप्ति के लिए एसबीआई, मुख्य शाखा, नई दिल्ली के साथ अनिवार्य रूप से एक ‘एफसीआरए खाता’ खोलना होगा।
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