दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेश मंत्रालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को निजी विदेश यात्रा पर जाने के लिए राजनीतिक स्वीकृति को जरूरी बताया गया है। जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि विदेश मंत्रालय का ये आदेश गैरजरूरी था।
याचिका अमन वाचार ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि विदेश मंत्रालय ने 13 जुलाई 2021 को अपने आदेश में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को निजी विदेश यात्रा पर जाने के लिए राजनीति स्वीकृति जरूरी है। विदेश मंत्रालय का ये आदेश न केवल संवैधानिक अदालतों के जजों की गरिमा के खिलाफ है बल्कि ये उनके निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र के इस आशय का उद्देश्य ये है कि जब संवैधानिक अदालतों के जज विदेश की निजी यात्रा पर जाते हैं तो उन्हें आपातकाल में जरूरी सुविधाएं दी जाए। मेहता की इस दलील को हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि जैसे ही कोई जज पासपोर्ट और वीजा के लिए विदेश विभाग से संपर्क करता है तो यात्रा की जानकारी हो जाती है। कोर्ट ने कहा कि एक आम भारतीय नागरिक भी अगर संकट में होता है तो भारतीय दूतावास उसे हरसंभव सहायता के लिए बाध्य होती है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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