शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने बताया कि सरकार सभी विद्यार्थियों को टैबलेट उपलब्ध करवाने के लिए लगभग 620 करोड़ रु़पये खर्च करेगी। कोशिश है कि 10वीं से 12 वीं का कोई भी विद्यार्थी इस सुविधा से वंचित न रह सके। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते शिक्षण अधिनियम प्रक्रिया के मायने बदले हैं। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है। इस कार्यक्रम से हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को डिजिटल ऑनलाइन शिक्षा का लाभ मिलेगा। इसका मूल उद्देश्य डिटिजटल शिक्षा के अंतर में शून्यता लाना है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे जो आर्थिक रूप से कमजोर व वंचित वर्ग से हैं और स्मार्टफोन एवं टैबलेट आदि उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं हैं।
निगरानी में पढ़ेंगे बच्चे
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को दिए जाने वाले टैबलेट में डिजिटल सामग्री, ई-पुस्तकें, विभिन्न प्रकार के परीक्षण वीडियो और सरकारी विद्यालयों में कक्षा वार पाठ्यक्रम से जुड़ी संबंधित सामग्री उपलब्ध होगी। इससे विद्यार्थी न केवल घर से सुविधानुसार विषयों को सीख सकेंगे, बल्कि उन्हें ऑनलाइन सीखने और परीक्षा में भी मदद करेंगे। सबका साथ, सबका विकास मूल मंत्र को ध्यान में रख कर काम किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिले। हमारे बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीक का प्रयोग करते हुए शिक्षित हों, इसी उद्देश्य को सामने रख कर काम किया जा रहा है।
खास बात यह है कि ये टैबलेट स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर (एसआरएन) से जुड़े होंगे और वही इसे चला सकेगा, जिसे मिला है। बच्चों के अभिभावक भी इसे नहीं चला सकेंगे। साथ ही, टैबलेट में इंस्टॉल मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर के जरिये स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षा निदेशालय बच्चों की प्रगति देख सकेंगे। इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि बच्चे इंटरनेट पर कोई अवांछित सामग्री न दे पाएं। इंटरनेट पर वे केवल शिक्षा से जुड़ी सामग्री ही वे देख पाएंगे। इसके लिए उन्हें प्रति दिन दो जीबी डेटा दिया जाएगा। टैब के जरिये उन्होंने कितनी परीक्षाएं दीं, कितनी शैक्षणिक वीडियो देखी और किन-किन सामग्रियों का अध्ययन किया, ये सारी जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के पास रहेगी। राज्य के सभी जिलों में 15 अप्रैल के बाद टैब वितरण शुरू किया जाएगा।
हरियाणा की शिक्षा दिल्ली से बेहतर
मंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार का डिजिटल शिक्षा की दिशा में यह बड़ा कदम है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए भी काफी काम हुए हैं। इसका परिणाम यह निकला कि अब बच्चे निजी स्कूल की बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए आ रहे हैं। शिक्षकों को विशेष तरह से प्रशिक्षित किया है, स्कूलों में प्रयोगशाला के साथ पुस्तकालय भी बनाए गए हैं। हरियाणा की शिक्षा प्रणाली दिल्ली सरकार से कहीं बेहतर हैं। उनके पास महज 1100 स्कूल हैं और हमारे पास 14,000 सरकारी स्कूल हैं। सुपर-100 के तहत हरियाणा के कई प्रतिभाशाली विद्यार्थी आईआईटी व एमबीबीएस के लिए चयनित हुए हैं, जबकि दिल्ली सरकार बताए कि उनके यहां से कितने बच्चे सरकार के इस तरह के प्रयास से उच्च शिक्षा के लिए चयनित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम बच्चों को इस तरह से शिक्षित कर रहे हैं कि शिक्षा पूरी करने के बाद वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। अपने क्षेत्र में माहिर हों और अपनी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए स्कूलों में बुनियादी ढांचे को तो मजबूत किया ही गया है, शिक्षा के स्तर में भी गुणात्मक सुधार किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में जो सुधार हो रहे हैं, यह तो एक शुरूआत भर है। आने वाले समय में हम इसे इतनी ऊंचाई तक जांएगे कि देश में इसकी चर्चा होगी।
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