भारत के पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान में हिंदू और उनकी संस्कृति खतरे में है, वहां चुन-चुनकर उन तमाम निशानियों को नेस्तनाबूद किया जा रहा है जिनसे सनातन धर्म की झलक मिलती है। यहां तक कि हिंदू नाम वाले तमाम भवन भी जमींदोज किए जा रहे हैं। जिन सड़कों का नाम किसी हिंदू के नाम पर है, उनका नाम बदला जा रहा है। इसी क्रम में अब 1930 में निर्मित माणिक माई प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के भवन पर बुलडोजर चलाने की तैयारी है। सरकार की मंशा स्कूल भवन को गिराकर इसके 4000 हजार वर्ग मीटर के विशाल भूखंड पर व्यावसायिक एवं रिहाइशी इमारतें खड़ी करने की है। यह स्कूल पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची के शांति नगर क्षेत्र में स्थित है।
प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी को स्कूल भवन के बहाने सिंध की सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के विरुद्ध हमलावर होने का मौका मिल गया है। इसलिए इस स्कूल भवन को लेकर राजनीति का दौर शुरू हो गया है। बावजूद इसके, किसी भी ओर से अब तक ये संकेत नहीं मिले हैं कि बंटवारे से बहुत पहले से मौजूद इस निशानी को गिरने नहीं दिया जाएगा। सिंध सरकार ने स्कूल को ढहाकर वहां आलीशान भवन खड़े करने का ठेका एक निजी कंपनी को सौंप दिया है।
उल्लेखनीय है कि सिंध में केंद्र्र में सत्तारूढ़ इमरान खान सरकार की विरोधी पार्टी सत्ता में है, इसलिए स्कूल भवन के नाम पर विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता हैं। वैसे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल भवन निजी बिल्डर को सौंपने का फैसला सरकार ने बेहद गुप-चुप तरीके से लिया है। इस स्कूल में 5000 बच्चे पढ़ते हैं। भवन टूटने के बाद वे कहां जाएंगे, यह सोचकर उनके अभिभावक परेशान हैं। कराची के शांति नगर क्षेत्र में कोई और प्राथमिक-माध्यमिक विद्यालय नहीं है। इस स्कूल में बड़ी संख्या में हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं।
गुपचुप बनी भवन तोड़ने की योजना
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ताच्युत करने की सरगर्मी बढ़ रही है। एक ओर जहां विपक्षी दल सरकार की गलत नीतियों के कारण देश के गर्त में जाने के विरोध में सड़कों पर सामूहिक मार्च निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर से संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें सत्ता से बेदखल करने की तैयारी चल रही है। इसी बीच गत 8 मार्च को बिल्डर कंपनी बुलडोजर लेकर स्कूल भवन तोड़ने को पहुंच गई। इस बारे में पता चलते ही बच्चों के अभिभावक, स्थानीय लोग और विपक्षी दलों के नेता विरोध करने पहुंच गए। उसके बाद उन्होंने तत्काल माणिक माई प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के भवन पर बुलडोजर चलने से रुकवा दिया। सिंध की विपक्षी पार्टी पीटीआई ने प्रदेश सरकार को चुनौती दी है कि यदि स्वतंत्रता पूर्व की इस निशानी को तोड़ा गया तो मुराद अली शाह सरकार की र्इंट से र्इंट बजा दी जाएगी। बता दें कि स्थानीय निवासी, छात्र, उनके माता-पिता के साथ स्कूल प्रशासन भी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है।
पीटीआई नेताओं ने पीपीपी के सरपरस्त और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर स्कूल भवन तोड़कर प्राइवेट बिल्डर को देने की योजना तैयार करने का आरोप लगाया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि बहुमंजिला भवन बनाने के पीछे जरदारी का आर्थिक स्वार्थ है।
शांति नगर में स्कूल भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले पीटीआई के विधायक आलमगीर खान और सांसद अरसलान ताज ने कहा, ‘‘शांति नगर में लड़कों के लिए राजकीय माणिक माई प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय का निर्माण विभाजन से बहुत पहले कराया गया था। यह 1930 के दशक में 4,000 वर्ग मीटर में बनाया गया था। मगर पीपीपी और उसके मंत्री इतने बेशर्म हैं कि अपने निहित स्वार्थ के लिए उन्होंने स्कूल की जमीन प्राइवेट बिल्डर के हाथों बेच दी है। लेकिन हम साफ कर दें कि पीटीआई ऐसा नहीं होने देगी। स्कूल स्थल पर विध्वंस के लिए मशीनरी लगाई जा रही है, लेकिन हम इस का विरोध करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि स्कूल को सिंध सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद शिक्षा विभाग द्वारा औपचारिक रूप से बिल्डर को सौंप दिया गया है। इस डर से कि कोई गड़बड़ पैदा न हो, जमीन का सौदे होने के बावजूद अब तक इसका कोई विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है। स्कूल के कर्मचारी-प्रशासन, इसके छात्र और उनके माता-पिता तक इससे बिल्कुल अनजान थे।
पीटीआई सांसद ताज ने कहा कि इस बारे में जब हमने क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं, आस-पड़ोस के बुजुर्गोें, संबंधित अधिकारियों से जानकारी इकट्ठी करने की कोशिश की तो कुछ पता नहीं चला। यदि बुलडोजर स्कूल की ऐतिहासिक इमारत गिराने नहीं पहुंचते तो किसी को कुछ पता ही नहीं चलता। उनका आरोप है कि सिंध सरकार ने शिक्षा पर पैसे को तरजीह देते हुए स्कूल के भूखंड पर अरबों रुपये की आवासीय और व्यावसायिक परियोजना को सिरे चढ़ाने की अनुमति दे दी है। प्रमुख विपक्षी दल पीटीआई का आरोप है कि इस घोटाले के लाभार्थियों में जरदारी और उनका गुट शामिल है।
उन्होंने आगे कहा कि यह सिंध के शिक्षा मंत्री के लिए कितने शर्म की बात है कि रिकॉर्ड के अनुसार मौजूदा समय में स्कूल में 5,000 छात्र होने के बावजूद इसे बंद किया जा रहा है। सिंध में अभी करीब साढ़े 14 हजार स्कूल हैं, जिनके पास या तो भवन नहीं हैं या किराए के मकानों में चल रहे हैं। सरकार स्कूलों को अच्छे भवन उपलब्ध कराने के बजाए उन पर ही बुलडोजर चलाने की फिराक में है। एक रिकॉर्ड के अनुसार, सिंध में मात्र 15 प्रतिशत ऐसे स्कूल हैं, जहां दो शिक्षक लगे हुए हैं। पाकिस्तान की न तो केंद्र और न ही प्रदेश सरकारों के पास कोई ठोस शिक्षा नीति है। यही वजह है कि अधिकांश स्कूलों को पीने के पानी, शौचालय, खेल मैदान और चारदीवारी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई जा रही हैं।
जमीन बेदखली का बेशर्म खेल
दरअसल भू-माफिया और मजहबियों के गठजोड़ ने पाकिस्तान में हिंदुओं की संपत्ति हथियाने का एक नया खेल शुरू कर दिया है। विश्व के अन्य हिस्सों की तरह पाकिस्तान में भी हाल के दिनों में जमीन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसके साथ ही दबंग किस्म के लोग मासूमों को डरा-धमका कर उनकी जमीन हथियाने में लगे हैं। मुसलमानों के साथ ऐसे मामलों में तो हंगामा खड़ा कर दिया जाता है, पर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के मामले में चारों ओर खामोशी रहती है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक गैररसूखदार और कमजोर हैं, इसलिए वे ही भू-माफिया और कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। यहां तक कि कोरोना संक्रमण काल में भी हिंदुओं को प्रताड़ित करने का यह खेल बंद या कमजोर नहीं पड़ा। इसके उलट इसमें वृद्धि ही हुई है। पिछले दिनों चर्च और ईसाइयों के कब्रिस्तान पर कब्जा करने की नीयत से तोड़-फोड़ की गई थी। दीवारें ढहा दी गई थीं और गेट उखाड़ दिए गए थे। कब्रिस्तान की जमीन समतल करने के लिए उस पर ट्रैक्टर चला दिया गया। यह घटना सिंध प्रांत के मतारी इलाके की है। भू-माफिया हिंदुओं की जमीन हथियाने के लिए उनके खेतों और मकान में आग लगा देते हैं। कभी-कभी भू-स्वामी की हत्या कर उसे खुदकुशी दिखाने के लिए शव छत से टांग दिया जाता है। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल का मानना है कि इन मौतों के पीछे जमीन हड़पने की साजिश है। गत दिनों थट्टा शहर में एक बिना छत वाले कच्चे मकान में बांस के सहारे दो सगे भाइयों के शव रहस्यमय परिस्थितियों में लटके पाये गये थे। इसी तरह हाल में सिंध के संघार में चंदोमल मेघवार का शव एक पेड़ से लटका मिला था। उनके शरीर पर प्रताड़ना के कई निशान मिले थे।
पाकिस्तान के एक्टिविस्ट मुकेश मेघवार कहते हैं कि पहले हिंदू लड़कियों के अपहरण और कन्वर्जन के ही मामले देखने-सुनने में आते थे। अब इस समुदाय को प्रताड़ित करने के लिए कट्टरपंथियों ने नए तरीके ढूंढ लिए हैं। हिंदुओं की संपत्ति हड़पने की साजिश शुरू हो गई है। बंटवारे के समय जो हिंदू पाकिस्तान में रह गए थे, आज 70 साल बाद उनकी जमीन—मकानों की कीमत करोड़ों में पहुंच गई है, जिन्हें हथियाने के लिए कट्टरपंथियों और मजहबियों के गठजोड़ ने अभियान छेड़ रखा है।
प्राचीन हनुमान मंदिर रातोंरात जमींदोज
कराची शहर के ल्यारी के बगदादी इलाके में एक कपड़ा मिल है। उसके पीछे ही आठ दशक पुराना एक हनुमान मंदिर था। इससे सटकर एक प्राइवेट बिल्डर द्वारा रिहाइशी सोसायटी बनाई गई है। मंदिर के इर्द-गिर्द हिंदुओं के करीब 20 परिवार अपने कच्चे-पक्के मकानों में रहते हैं। उनमें से एक, हीरालाल ने बताया कि जमीन अधिग्रहण करते समय बिल्डर ने उन्हें वैकल्पिक दो कमरों का आवास देने का आश्वासन देकर उनकी जमीन ले ली थी। उसके बाद चारदीवारी खड़ी कर उक्त जमीन के साथ ही यह वादा करते हुए प्राचीन हनुमान मंदिर को बिल्डिर ने अपने कब्जे में ले लिया था कि इसे यथावत रखा जाएगा।
मंदिर के पुजारी हर्षी का कहना है कि कोरोना संक्रमण फैलने से पहले तक वह मंदिर में नियमित पूजा-पाठ करते थे। इसके बाद 2020 में लॉकडाउन लग गया। उस दौरान बिल्डर ने कोरोना के बहाने श्रद्धालुओं को मंदिर में आने से रोक दिया। मंदिर के पुजारी का कहना है कि लॉकडाउन हटने के बाद भी उन्हें चारदीवारी के अंदर मंदिर तक पहुंचने नहीं दिया गया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने बिल्डर से विनती की कि मंदिर और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की सफाई और दिया-बत्ती करने के लिए वहां जाने दिया जाए। मगर उनकी किसी ने नहीं सुनी। इस बीच उन्हें पता चला कि अगस्त महीने में रात के अंधेरे में मंदिर को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। उसमें रखीं तमाम प्रतिमाएं, पूजन सामग्री, देवी-देवताओं की तस्वीरें या तो गायब कर दी गर्इं या नष्ट कर दी गर्इं। पूजारी हर्षी का कहना है कि तेल-सिंदूर चढ़ाने से मंदिर की कई सोने की प्रतिमाएं काली पड़ गई थीं, जिनका कोई अता-पता नहीं है।
घटना के अगले दिन एक स्थानीय व्यक्ति मोहम्मद इरशाद बलूच ने हिन्दुओं को मंदिर तोड़े जाने की जानकारी दी। तब वहां भीड़ इकट्ठी हो गई। इरशाद बलूच का कहना है कि वह बचपन से मंदिर देखता आ रहा था। इसके अचानक गायब होने से हिंदुओं के साथ वह भी दुखी है। मंदिर तोड़ने के विरोध में हिंदुओं की भारी भीड़ का देखकर ल्यारी के तत्कालीन सहायक आयुक्त अब्दुल करीम मेमन भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए। किसी तरह गुस्साई भीड़ को शांत किया गया। उस दौरान मेमन ने एक पुरातत्वविद् सहित सात अधिकारियों की टीम गठित कर मंदिर तोड़ने, मूर्तियों को गायब करने, मंदिर की जमीन के मालिकाना हक सहित तमाम पहलुओं पर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने तथा इसके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने का ऐलान किया। ल्यारी के हिंदू कार्यकर्ता मोहन लाल कहते हैं कि समिति गठन के बाद भी न तो इस पर रिपोर्ट आई है, न ही आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है। प्रशासन से इंसाफ नहीं मिलने पर कराची के हिंदू अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। हालांकि वहां से भी उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद कम ही है।
पाकिस्तान हिंदू परिषद के अध्यक्ष एवं नेशनल असेंबली के सदस्य डॉक्टर रमेश वांकोआनी ने इस मसले को सर्वोच्च न्यायालय और तमाम बड़े नेताओं के सामने उठाया, पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। परिषद का दावा है कि देश में ऐसे 1400 मंदिर व धर्मस्थल हैं जहां तक पहुंचना अब असंभव है। इनके रास्ते बंद कर वहां गोदाम या पशु बाड़े बना दिये गये हैं। पंजाब के चकवाल शहर से 30 किलोमीटर दूर कटासराज गांव के प्रसिद्ध शिव मंदिर के साथ भी यही कुछ हुआ। इसके इर्द-गिर्द के सारे भूखंड पर सीमेंट फैक्ट्रियों ने कब्जा कर लिया है। मंदिर की प्राकृतिक झील का पानी उन फैक्ट्रियों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके कारण झील सूखने लगी है। पाकिस्तान वक्फ बोर्ड के पुजारी रहे जयराम कहते हैं कि यहां की सरकारों ने ऐसी नीतियां अपनार्इं हैं कि देश से हिंदू संस्कृति ही मिटने लगी।
(लेखक आवाज द वॉयस डॉट कॉम हिंदी के संपादक हैं)
टिप्पणियाँ